इस वक़्त राजस्थान विधानसभा की एक घटना याद आ रही है तब भैरोंसिंह शेखावत मुख्यमंत्री होते थे और हरिशंकर भाभड़ा विधानसभा अध्यक्ष। एक बार तो भाभड़ा ने शेखावत का तख्ता पलट करने की कोशिश की थी। उन दिनों शेखावत ने एक परंपरा डाली कि विधानसभा में हर दिन जो भी वक्ता अच्छा भाषण देगा वो लड्डू मँगवायेगा और वो लड्डू सभी विधायकों के लिए होंगे। भले ही विधानसभा में सदन के भीतर किसी भी मुद्दे पर सरकार को घेरा जाए लेकिन लंच और लड्डू सब लोग साथ खाते थे।
ये टिफिन विधानसभा अध्यक्ष के बाहर वाले कमरे में रखे रहते और हर कोई उस भोजन का लुत्फ़ उठाता था तो भले ही विधानसभा में सदन के भीतर किसी भी मुद्दे पर सरकार को घेरा जाए लेकिन लंच और लड्डू सब लोग साथ खाते थे। इससे हमेशा ही माहौल अच्छा रहता था और पारिवारिक स्तर पर भी सब लोग एक-दूसरे का ध्यान रखते थे।
तब सर्दियों का समय था, गृह मंत्री लालकृष्ण आडवाणी अपने पंडारा पार्क वाले घर से दफ्तर के लिए गाड़ी में बैठ ही रहे थे कि तभी उनकी पत्नी कमला आडवाणी दौड़ते हुए आईं कि अभी अटल जी ने फ़ोन कर के कहा है कि वो कल लंच पर हमारे घर खाना खाने आएँगे। आडवाणी कमला जी की तरफ़ मुस्करा कर गाड़ी में बैठकर चले गए।
वाजपेयी ने ममता की माँ के पैर छू लिए और उनकी माँ से कहा, ‘आपकी बेटी बहुत शरारती है, बहुत तंग करती है।’ फिर क्या था। ममता का ग़ुस्सा मिनटों में उतर गया। वाजपेयी जानते थे कि राजनीति से ज़्यादा रिश्ते महत्वपूर्ण हैं जो उन्हें अजातशत्रु बनाते थे।