भारतीय अर्थव्यवस्था की मौजूदा स्थिति बहुत ही चिंताजनक है। मैं यह बात विपक्षी राजनीतिक दल के सदस्य की हैसियत से नहीं, बल्कि देश के एक नागरिक और अर्थशास्त्र के विद्यार्थी के रूप में कह रहा हूँ। मौजूदा तथ्य सबके सामने हैं-नॉमिनल जीडीपी वृद्धि दर 15 साल के न्यूनतम स्तर पर है, बेरोज़गारी 15 साल के सबसे ऊँचे स्तर पर है,घरेलू खपत 40 साल के निचले स्तर पर है, बैंकों में डूबा हुआ कर्ज़ सबसे ऊँचे स्तर पर है, बिजली उत्पादन में वृद्धि 15 साल के न्यूनतम स्तर पर है। इस तरीके के आँकड़े भरे पड़े हैं। लेकिन अर्थव्यवस्था की स्थिति इन तकलीफ़देह आँकड़ों की वजह से चिंताजनक नहीं है, यह तो सिर्फ़ आज की भारतीय अर्थव्यवस्था को जो गहरा रोग लगा है, उसका लक्षण मात्र है।
आँकड़े दबाना बचकाना काम : मनमोहन सिंह
- विचार
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- 18 Nov, 2019

मोदी सरकार हर चीज और हर व्यक्ति को शक और संदेह की नज़र से देखती है, जिसकी वजह से पिछली सरकारों की सारी नीतियों के बारे में मान लिया गया है कि वे बुरी नीयत से बनाई गई थीं। दिए गए सारे कर्ज़ ग़लत लोगों को दिए गए और सारे नए औद्योगिक प्रोजेक्ट सिर्फ़ कुछ लोगों के लिए बनाए गए हैं।