फ़ाइल फ़ोटो।
जहाँ तक ऑक्सीजन की कमी का सवाल है, देश में पैदा होनेवाली कुल ऑक्सीजन का सिर्फ़ 10 प्रतिशत ही अस्पतालों में इस्तेमाल होता है। सरकार और निजी कंपनियाँ चाहें तो कुछ ही घंटों में सारे अस्पतालों को पर्याप्त ऑक्सीजन मुहैया हो सकती है। इसी तरह कोरोना के टीके यदि मुफ्त या सस्ते और सुलभ हों तो इस महामारी को काबू करना कठिन नहीं है।
लोगों की यह लापरवाही ही अब वीभत्स रूप धारण करती जा रही है। इस जनता के जले पर वे लोग नमक छिड़क रहे हैं, जो रेमडेसिविर का इंजेक्शन 40 हजार रुपये और ऑक्सीजन का सिलेंडर 30 हजार रुपये में बेच रहे हैं।