सत्रहवीं शताब्दी में फ्रांस के शासक लुई चौदहवें ने ‘मैं ही राज्य हूँ’ की घोषणा करते हुए एक निरंकुश शासन की स्थापना की थी जिसके लिए ‘एस्टेट्स जनरल’ जैसी प्रतिनिधि सभा का कोई मतलब नहीं था। ख़ुद को ईश्वर का प्रतिनिधि और ‘चर्च का बड़ा बेटा’ मानने वाले लुई 14वें ने गैर कैथोलिकों के ख़िलाफ़ दमन की नीति अपनायी थी। इसी के साथ उसने जनता की बदहाली से बेपरवाह होकर पेरिस से 12 मील दूर वर्साय मे शानदार शीशमहल बनवाने में ख़ज़ाना लुटा दिया था। तमाम बाग़ बग़ीचों से घिरे इस खूबसूरत महल के विशाल आईनों मे छवि निहारने में मशगूल रहने वाले लुई14वें की हरक़तों का ख़ामियाज़ा लुई सोलहवें को भुगतना पड़ा जब 1789 में फ्रांस में क्रांति हुई और सम्राट तथा भूखी आबादी को ‘रोटी नहीं तो केक खाने’ की सलाह देने वाली रानी मेरी एंतोनियोत का सिर धड़ से अलग कर दिया गया।
लुई14वें की याद दिला रहे हैं हक़ीक़त पर पर्दा डालते मोदी!
- विचार
- |
- 29 Mar, 2025

क्या पीएम मोदी लुई 14वें की ‘मैं ही राज्य हूँ’ की नीति पर ही चल रहे हैं। लेकिन पत्रकार पंकज श्रीवास्तव का तो यही कहना है। हालांकि भारत में फ्रांस जैसी स्थितियां नहीं हैं कि यहां क्रांति हो। फिर भी आप इस लेख को पढ़िए क्योंकि वक्त और हालात बदलते देर नहीं लगती।




























