इतिहास गवाह है कि महिलाओं ने जब भी कोई ज़िम्मेदारी संभाली है, उन्होंने कई बार पुरुषों से भी कहीं अधिक चमत्कारी परिणाम लाकर दिखाए हैं। क्या हम प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के करिश्मे को भुला सकते हैं? महारानी लक्ष्मीबाई, दुर्गावती, अहिल्याबाई, रजिया सुल्तान, गोल्डा मीयर, मार्गेरेट थेचर, थेरेसा मे, बेनजीर भुट्टो, शेख हसीना की क्षमता से क्या अपरिचित हैं?
हमारे सर्वोच्च न्यायालय ने ठीक ही कहा है कि यह दुनिया पुरुषप्रधान है और पुरुषों के पक्ष में ही सारे फ़ैसले करती है लेकिन इतिहास गवाह है कि महिलाओं ने जब भी कोई ज़िम्मेदारी संभाली है, उन्होंने कई बार पुरुषों से भी कहीं अधिक चमत्कारी परिणाम लाकर दिखाए हैं।