करण भूषण (बाएं) अपने पिता भाजपा सांसद ब्रजभूषण शरण सिंह के साथ
राष्ट्रीय लोक दल (आरएलडी) के राष्ट्रीय प्रवक्ता चौधरी रोहित जाखड़ ने ब्रजभूषण शरण सिंह के सबसे छोटे बेटे करण भूषण सिंह को भाजपा टिकट देने का विरोध करते हुए पार्टी और सभी पदों से इस्तीफा दे दिया है। भाजपा ने करण भूषण को यूपी के गोंडा जिले में कैसरगंज लोकसभा क्षेत्र से उम्मीदवार बनाया है। आरएलडी में इस मुद्दे पर लगातार इस्तीफे सामने आ रहे हैं। सभी इस्तीफे जाट नेताओं के हैं जो आरएलडी के अलावा जाट संगठनों से भी जुड़े हुए हैं।
रोहित जाखड़ ने एनडीए के सहयोगी और आरएलडी अध्यक्ष जयंत सिंह चौधरी को लिखे अपने पत्र में कहा है कि ऐसे व्यक्ति के बेटे को टिकट देना जिस पर महिला पहलवानों के यौन उत्पीड़न का आरोप है, शर्मनाक है। जाखड़ राष्ट्रीय जाट महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष, सूरजमल फाउंडेशन के प्रदेश अध्यक्ष और युवा जाट महासभा के उपाध्यक्ष भी हैं।
जाखड़ का कहना है कि भाजपा ने ब्रजभूषण के बेटे को लोकसभा टिकट देने का फैसला करने से पहले पश्चिमी उत्तर प्रदेश में चुनाव खत्म होने का इंतजार किया। उन्होंने लिखा, ''इससे ब्रजभूषण को खुशी हुई होगी। मुझे ऐसी पार्टी में बने रहने का कोई कारण नजर नहीं आता जो अपनी उपयोगिता खो चुकी है और इसलिए भारी मन से इस्तीफा दे रहा हूं।'
जाखड़ का कहना है कि “हमारी बेटियों के यौन उत्पीड़न और अपमान के आरोपी को सम्मान दिया गया है और संविधान की शपथ लेने के बावजूद भाजपा आरक्षण के मुद्दे पर जाटों को धोखा दे रही है। साथ ही किसान आंदोलन को स्थगित करने से पहले जो मामला तय किया गया था वह अधूरा है… मैंने किसानों के संकट, युवाओं की बेरोजगारी को उजागर करने, 700 किसानों की शहादत को याद करने, लखीम खीरी में मारे गए लोगों के न्याय के लिए और महिला पहलवानों के सम्मान के लिए पार्टी छोड़ने का फैसला किया है।”
छह बार के सांसद ब्रजभूषण शरण सिंह पांच बार भाजपा टिकट पर और एक बार सपा टिकट पर जीते हैं। वो भारतीय कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष थे। उस पद पर रहने के दौरान उन पर महिला पहलवानों के साथ छेड़छाड़ के आरोप हैं। इसके खिलाफ कुछ महिला पहलवानों ने आंदोलन किया, जंतर मंतर पर धरना दिया। उनके प्रदर्शन पर दिल्ली पुलिस ने लाठी चार्ज किया। महिला पहलवानों के आंदोलन का हरियाणा और पश्चिमी यूपी के जाटों पर खासा असर पड़ा है। दोनों इलाके की खाप पंचायतें महिला पहलवानों के आंदोलन में शामिल थीं। भाजपा समर्थित जाट नेताओं ने खाप पंचायतों के नेताओं से कहा था कि वे आंदोलन बंद कर दें। भाजपा खुद ही ब्रजभूषण से दूरी बना लेगी। लेकिन ऐसा कुछ हुआ नहीं। हिसार से भाजपा सांसद चौधरी ब्रिजेंदर सिंह ने इस्तीफा दे दिया था और कांग्रेस में शामिल हो गए थे। बाद में उनके पिता चौधरी बीरेंद्र सिंह भी भाजपा छोड़ दिया। कहा जा रहा है कि हरियाणा में चुनाव होने पर इसके असर का पता चलेगा।
करण भूषण भाजपा सांसद ब्रजभूषण के तीन बेटों में सबसे छोटा है। वो इस साल फरवरी में यूपी कुश्ती संघ का अध्यक्ष बना था, जिसका भारी विरोध हुआ था। इस टिकट से भाजपा की मजबूरी भी सामने आ गई। अगर वो ब्रजभूषण के बेटे को टिकट नहीं देती तो भाजपा सांसद कैसरगंज के आसपास श्रावस्ती, बस्ती और अयोध्या की सीटों पर भाजपा को हरवा सकते थे। अगर भाजपा ने उनके परिवार किसी शख्स को टिकट नहीं देती तो ब्रजभूषण शरण सिंह ने निर्दलीय चुनाव लड़ने की योजना बना ली थी। उनके समर्थक तैयारी में जुटे थे। लेकिन अब जब उनके बेटे को टिकट मिल गया है तो उन्होंने इसका स्वागत किया है।
करण भूषण सिंह ने कल शुक्रवार 3 मई को कैसरगंज से अपना नामांकन भी दिया। ब्रजभूषण उनके साथ नहीं गए लेकिन इस मौके पर उनके परिवार ने जबरदस्त शक्ति प्रदर्शन किया। कैसरगंज में रोड शो के दौरान करीब 700 एसयूवी खड़ी दौड़ रही थीं और 10,000 से अधिक लोगों के साथ करण भूषण नामांकन करने गए थे। जिसमें विधायक, एमएलसी, जिला पंचायत प्रमुख, आसपास के जिलों के भाजपा नेता शामिल थे। अयोध्या के प्रमुख अखाड़ों के धार्मिक संत ब्रजभूषण और उनके बेटे को आशीर्वाद देने पहुंचे थे।
ब्रजभूषण खुद पीला कुर्ता, नारंगी दुपट्टा और धोती पहने हाथ में माइक्रोफोन लेकर व्यवस्था संभाल रहे थे। वो एक "राजा" की तरह मंच के बीच में एक सोफे पर बैठे, जबकि अन्य लोगों को साधारण कुर्सियों पर बैठना पड़ा। वो खुद को धार्मिक बाबाओं की सेवा में ज्यादा व्यस्त देखे जा रहे थे। वह अपने बेटे के नामांकन दाखिल करते समय दूर रहे। इस कार्यक्रम में यूपी के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य खासतौर से शामिल हुए।
बेटियां हार गईं...