उत्तर प्रदेश, आंध्र प्रदेश, पंजाब, तेलंगाना, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, उड़ीसा, दिल्ली और गोवा ऐसे राज्य हैं जहां से कांग्रेस का एक भी नेता राज्यसभा में नहीं पहुंच सका है।
कांग्रेस लगातार चुनावी हार का सामना कर रही है। 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव के साथ ही बीते 8 सालों में अधिकतर चुनावी राज्यों में उसे हार मिली है और इस वजह से लोकसभा के साथ ही राज्यसभा में भी वह सिकुड़ती जा रही है।
हालात ऐसे हैं कि 17 राज्यों से कांग्रेस का एक भी नेता राज्यसभा में नहीं है। पार्टी के पास वर्तमान में राज्यसभा में 33 सांसद हैं। लेकिन राज्यसभा चुनाव के बाद यह संख्या 30 होने वाली है। सहयोगी दल डीएमके की मदद से यह अधिकतम 31 हो सकती है।
उत्तर प्रदेश, आंध्र प्रदेश, पंजाब, तेलंगाना, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, उड़ीसा, दिल्ली और गोवा ऐसे राज्य हैं जहां से पार्टी का एक भी नेता राज्यसभा में नहीं पहुंच सका है।
इसके साथ ही पूर्वोत्तर के राज्यों से भी पार्टी का राज्यसभा में प्रतिनिधित्व शून्य है।
कांग्रेस के 30 सांसदों में से अधिकतर राजस्थान और छत्तीसगढ़ से हैं क्योंकि अब इन्हीं 2 राज्यों में कांग्रेस सत्ता में है।
लोकसभा में भी यही हाल
द इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, ऐसा ही हाल लोकसभा में भी है जहां हरियाणा, आंध्र प्रदेश, राजस्थान, गुजरात, उत्तराखंड, अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नागालैंड, सिक्किम, त्रिपुरा से कांग्रेस का एक भी लोकसभा सांसद नहीं है।
बीजेपी के पास 100 सांसद
दूसरी ओर, बीजेपी तीन दशक के बाद पहली ऐसी पार्टी बन गई है जिसने राज्यसभा में 100 के आंकड़े को छू लिया है। 1988 में राजीव गांधी के रहते हुए कांग्रेस के पास राज्यसभा में 100 से ज्यादा सांसद थे। जबकि तब लोकसभा में बीजेपी के दो सांसद हुआ करते थे।
राज्यसभा में ताकत बढ़ने के साथ ही एनडीए को तमाम विधेयकों को पास कराने में पहले जितनी मुश्किल नहीं होगी। यहां उसे एआईएडीएमके और बीजू जनता दल का भी साथ मिलता रहा है।
आप की ताकत बढ़ी
छोटे राजनीतिक दलों जैसे आम आदमी पार्टी ने राज्यसभा में अपनी ताकत बढ़ाई है और अब उसकी संख्या 3 से बढ़कर 8 हो गई है। पंजाब में आम आदमी पार्टी राज्यसभा की 5 सीटों पर चुनाव जीती है।
राज्यसभा और लोकसभा के इन आंकड़ों से समझा जा सकता है कि कांग्रेस किस कदर कमजोर हो गई है। हार दर हार के बीच पार्टी के अंदर असंतुष्ट नेताओं का होना भी एक बड़ा मुद्दा है। हालांकि कांग्रेस हाईकमान ने बीते दिनों असंतुष्ट नेताओं को साधने की कोशिश की है लेकिन ऐसा लगता है कि अब काफी देर हो चुकी है।
जीत हासिल करनी होगी
2022 के अंत में गुजरात और हिमाचल प्रदेश और 2023 में कई राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं। कांग्रेस को अगर 2024 में बीजेपी के खिलाफ मजबूत लड़ाई लड़नी है या मजबूत विपक्षी गठबंधन बनाना है तो उसे इन चुनावी राज्यों में जीत हासिल करनी ही होगी वरना वह और ज्यादा सिकुड़ जाएगी और क्षेत्रीय दलों से भी पीछे रह जाएगी।