महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के लिए मतदान एक ही चरण में 20 नवंबर को होगा। एमवीए की तरह महायुति में भी अभी तक सीटों का बंटवारा तय नहीं हो सका है। वहां भी शनिवार तक स्थिति स्पष्ट होने की उम्मीद है। भाजपा सीटों का बलिदान देने की बात शिवसेना शिंदे गुट से कह रही है। महायुति में विवाद ज्यादा है।
2022 में उद्धव की सरकार एकनाथ शिंदे के विद्रोह के कारण गिर गई। शिंदे को भाजपा ने समर्थन दिया और शिंदे मुख्यमंत्री बन गये। इसके बाद अजित पवार ने एनसीपी को बांटा और पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के साथ उपमुख्यमंत्री पद की शपथ ली। अब मुकाबला कांग्रेस, भाजपा और दोनों शिवसेना और एनसीपी के बीच है। इस चुनाव के जरिए मूल पार्टियों की विरासत की लड़ाई भी चल रही है। इस चुनाव में यह भी फैसला होना है कि असली शिवसेना और असली एनसीपी नेतृत्व का हकदार कौन है। महत्वपूर्ण यह भी है कि चुनाव आयोग ने अपना फैसला देते हुए तोड़फोड़ करने वाले शिंदे को मूल शिवसेना और अजित पवार को मूल एनसीपी माना और चुनाव चिह्न उनके पास रहे। लेकिन अंतिम फैसला महाराष्ट्र की जनता को करना है।
हरियाणा के नतीजों को लेकर शरद पवार और शिवसेना यूबीटी ने गुरुवार को कहा कि उत्तरी राज्य के किसी भी चुनाव का महाराष्ट्र के नतीजों पर कोई असर नहीं पड़ता है।