वसुंधरा राजे
वसुंधरा राजे का बयान भाजपा के राजनीतिक हलकों में चर्चा का विषय बना हुआ है। वसुंधरा ने वो बयान किसको लक्ष्य करके दिया है, वो क्या कहना चाहती है, इसे लेकर लोग अपने-अपने अनुमान लगा रहे हैं। राजस्थान के ताजा घटनाक्रम पर वरिष्ठ पत्रकार विजय विद्रोही की रिपोर्टः
वसुंधरा ने पद, मद और कद की परिभाषा का व्याख्या को पार्टी के कार्यकर्ताओं से जोड़ कर आला कमान पर एक तरह से बड़ा आरोप भी जड़ दिया। उनका कहना था कि सबसे बड़ा पद जनता की चाहत और कार्यकर्ताओं का प्यार है। यहां वसुंधरा ने बीजेपी के कार्यकर्ताओं की समर्पण और त्याग की चर्चा की। उन्होंने श्यामा प्रसाद मुखर्जी से लेकर दीन दयाल उपाध्याय और अटल बिहारी वाजपेयी से लेकर लालकृष्ण आडवाणी का तो नाम लिया कि कैसे इन नेताओं ने कार्यकर्ताओं को साथ लेकर बीजेपी को आगे बढ़ाने का काम किया। लेकिन वसुंधरा इस सिलसिले को मोदी या अमित शाह से जोड़ने से परहेज कर गयी।
वसुंधरा भाषण घर से तैयार कर के लाई थी। यानी वह सोच समझ कर बोल रही थीं। उन्होंने नये अध्यक्ष को आगाह भी किया कि इस कुर्सी पर बैठना आसान काम नहीं है और पहले बहुत से नेता असफल भी रहे हैं। गुटबाजी से बचने की सलाह देकर वसुंधरा ने गुटबाजी की तरफ इशारा कर दिया और चुटकी ली कि कहने को तो बड़े प्यारे हैं सब लेकिन सबको साथ लेकर चलना आसान भी नहीं है।