पश्चिम बंगाल की धरती हिंसा की आग में सुलग रही है, और इस बीच उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ममता बनर्जी पर हमला किया है। हरदोई में एक जनसभा को संबोधित करते हुए उन्होंने बंगाल हिंसा के लिए पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर निशाना साधा और कहा, 'लातों के भूत बातों से कहां मानने वाले हैं।' यह बयान न केवल बंगाल की स्थिति पर एक तीखा हमला है, बल्कि केंद्र सरकार द्वारा हाल ही में पारित वक्फ संशोधन विधेयक को लेकर चल रही राजनीतिक बहस को और गर्म करने वाला है। 


योगी आदित्यनाथ ने कहा कि 2017 में जब बीजेपी सत्ता में आई थी, उससे पहले उत्तर प्रदेश में हर दूसरे-तीसरे दिन दंगे होते थे। उन्होंने कहा, 'दंगाइयों के लिए डंडा ही एकमात्र इलाज है। आप देख सकते हैं कि बंगाल जल रहा है। मुख्यमंत्री चुप हैं। वह दंगाइयों को 'शांति दूत' कह रही हैं।'

पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले में वक्फ संशोधन विधेयक के ख़िलाफ़ विरोध-प्रदर्शन के दौरान हिंसा भड़क उठी। इस हिंसा में तीन लोगों की मौत हो गई, जिसमें एक पिता और पुत्र शामिल थे और कई अन्य घायल हुए। दक्षिण 24 परगना जिले में भी ताज़ा हिंसा की ख़बरें सामने आईं, जहां प्रदर्शनकारियों और सुरक्षाबलों के बीच झड़पें हुईं। स्थानीय लोगों का दावा है कि यह विरोध विधेयक के प्रावधानों के ख़िलाफ़ था, जिसे वे वक़्फ़ बोर्ड की स्वायत्तता पर हमला मानते हैं। दूसरी ओर, भारतीय जनता पार्टी और केंद्र सरकार का कहना है कि यह विधेयक वक्फ संपत्तियों में पारदर्शिता लाने और उनके दुरुपयोग को रोकने के लिए है।


योगी आदित्यनाथ ने अपने भाषण में बंगाल की स्थिति को 'जलता हुआ बंगाल' क़रार दिया और ममता बनर्जी पर चुप्पी साधने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा, 'आप सभी देख सकते हैं कि बंगाल जल रहा है, लेकिन वहां की मुख्यमंत्री चुप हैं। वह दंगाइयों को शांतिदूत कहती हैं। धर्मनिरपेक्षता के नाम पर दंगाइयों को पूरी छूट दी गई है।' योगी ने यह भी दावा किया कि वक्फ संपत्तियों पर अस्पताल, स्कूल और विश्वविद्यालय बनाए जाएंगे, और अब कोई भी इन संपत्तियों को हड़प नहीं सकेगा। उन्होंने कहा कि इसके कारण कुछ लोग परेशान हैं क्योंकि उनकी लूट अब बंद होगी।

वक़्फ़ संशोधन विधेयक को हाल ही में संसद के दोनों सदनों में पारित किया गया है। इसे भारत में वक़्फ़ संपत्तियों के प्रबंधन और उपयोग को रेगुलेट करने के लिए लाया गया है। सरकार का दावा है कि यह विधेयक वक़्फ़ बोर्ड में भ्रष्टाचार को ख़त्म करेगा और संपत्तियों का बेहतर उपयोग सुनिश्चित करेगा। योगी ने अपने भाषण में कहा, 'वक़्फ़ की संपत्तियों पर अब कोई कब्जा नहीं कर सकेगा। यह संपत्तियाँ समाज के कल्याण के लिए उपयोग होंगी।' हालाँकि, टीएमसी और एआईएमआईएम जैसे विपक्षी दलों ने इस विधेयक को मुस्लिम समुदाय के धार्मिक और संपत्ति अधिकारों पर हमला बताया है।

टीएमसी का कहना है कि यह विधेयक वक़्फ़ बोर्ड की स्वायत्तता को कमजोर करता है और केंद्र सरकार की ओर से धार्मिक ध्रुवीकरण की कोशिश है। मुर्शिदाबाद और अन्य क्षेत्रों में हिंसा को टीएमसी ने स्थानीय असंतोष का परिणाम बताया, जबकि बीजेपी ने इसे कट्टरपंथी तत्वों द्वारा प्रायोजित क़रार दिया।

योगी आदित्यनाथ का 'लातों के भूत बातों से नहीं मानते' वाला बयान उनकी आक्रामक शैली का हिस्सा है, जिसे वह अक्सर क़ानून-व्यवस्था और सामाजिक मुद्दों पर इस्तेमाल करते हैं। इस बयान का उद्देश्य न केवल ममता बनर्जी पर हमला करना है, बल्कि बंगाल में हिंसा को नियंत्रित करने में उनकी कथित नाकामी को उजागर करना भी है। योगी ने कहा, 'ऐसी अराजकता को नियंत्रित करना होगा। पूरा मुर्शिदाबाद पिछले एक हफ्ते से जल रहा है। मैं वहां की अदालत को धन्यवाद देता हूं, जिसने केंद्रीय बलों की तैनाती का आदेश दिया और अल्पसंख्यक हिंदुओं की सुरक्षा के लिए क़दम उठाए।'


योगी का यह बयान बीजेपी की रणनीति का हिस्सा लगता है, जिसमें वह बंगाल में टीएमसी सरकार पर क़ानून-व्यवस्था के मोर्चे पर विफल होने का आरोप लगाती रही है। बंगाल बीजेपी सांसद ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को पत्र लिखकर चार जिलों में सशस्त्र बल विशेष अधिकार अधिनियम यानी यानी AFSPA लागू करने की मांग की है, जबकि विपक्षी नेता शुभेंदु अधिकारी ने दावा किया कि हिंसा के कारण '400 हिंदू परिवारों' को पलायन करना पड़ा।

योगी के बयान पर तीखी राजनीतिक प्रतिक्रियाएँ आई हैं। टीएमसी ने इसे उकसावे वाला और विभाजनकारी क़रार दिया। टीएमसी सांसद डेरेक ओ'ब्रायन ने कहा, 'योगी आदित्यनाथ को पहले अपने राज्य की क़ानून-व्यवस्था देखनी चाहिए। बंगाल में स्थिति को स्थानीय प्रशासन नियंत्रित कर रहा है और बीजेपी केवल धार्मिक तनाव भड़काने की कोशिश कर रही है।' दूसरी ओर बीजेपी नेताओं ने योगी के बयान का समर्थन किया। बंगाल बीजेपी के नेता शुभेंदु अधिकारी ने कहा, 'ममता बनर्जी की सरकार ने दंगाइयों को खुली छूट दी है और अब समय आ गया है कि केंद्र कड़ा कदम उठाए।'



बंगाल में हुई हिंसा ने हिंदुओं और मुस्लिम समुदायों के बीच तनाव को भी बढ़ाने का काम किया है। बीजेपी का दावा है कि हिंसा में हिंदू परिवारों को निशाना बनाया गया, जबकि टीएमसी ने इसे सामुदायिक हिंसा के बजाय विधेयक के ख़िलाफ़ असंतोष बताया। यह स्थिति सामाजिक एकता के लिए एक बड़ी चुनौती पेश करती है।

योगी के बयान में केंद्रीय बलों की तैनाती की सराहना करना भी अहम है, क्योंकि यह केंद्र और राज्य के बीच टकराव को और गहरा सकता है। बंगाल में पहले से ही केंद्र द्वारा भेजे गए बलों को लेकर टीएमसी असहज रही है।

बंगाल में हिंसा और योगी के बयान ने 2026 के विधानसभा चुनावों से पहले राजनीतिक माहौल को और गर्म कर दिया है। बीजेपी बंगाल में अपनी स्थिति मज़बूत करने की कोशिश कर रही है और योगी का बयान इस रणनीति का हिस्सा हो सकता है। दूसरी ओर, टीएमसी इसे अपने पक्ष में इस्तेमाल कर सकती है, यह दावा करते हुए कि बीजेपी बंगाल में सामाजिक सौहार्द को बिगाड़ने की कोशिश कर रही है।

इस हिंसा को नियंत्रित करने के लिए तत्काल कदम उठाने की जरूरत है। केंद्र और राज्य सरकार को मिलकर काम करना होगा ताकि स्थिति और बिगड़े नहीं। साथ ही, वक्फ विधेयक के प्रावधानों को लेकर व्यापक संवाद की जरूरत है ताकि समुदायों के बीच भरोसा बना रहे।