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देश में सहिष्णुता नहीं, प्रधानमंत्री हिंसा के ख़िलाफ़ बोलें: गहलोत

राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भारत के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना, केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू और अन्य वरिष्ठ न्यायाधीशों की मौजूदगी में एक कार्यक्रम में केंद्र के ख़िलाफ़ और न्यायपालिका से संबंधित मुद्दों पर तीखी टिप्पणियां कीं। यह कहते हुए कि आज देश में कोई 'सहिष्णुता' नहीं है, गहलोत ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से हिंसा के ख़िलाफ़ बोलने और मौजूदा तनावों और चिंताओं को दूर करने का आग्रह किया।

मुख्यमंत्री गहलोत राष्ट्रीय कानूनी सेवा प्राधिकरण यानी एनएएलएसए द्वारा शनिवार को आयोजित अखिल भारतीय कानूनी सेवा प्राधिकरण की बैठक में बोल रहे थे। कार्यक्रम में केंद्रीय क़ानून और न्याय मंत्री किरेन रिजिजू और भारत के मुख्य न्यायाधीश एन वी रमना भी उपस्थित थे।

मुख्यमंत्री ने इस बात पर आपत्ति जताई कि कैसे बीजेपी की पूर्व प्रवक्ता नूपुर शर्मा मामले में सुप्रीम कोर्ट के जजों की टिप्पणियों के लिए उन्हें निशाना बनाया गया।

गहलोत ने नूपुर शर्मा पर सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणियों की आलोचना करने वाले सेवानिवृत्त न्यायाधीशों, नौकरशाहों और सशस्त्र बलों के अधिकारियों के एक समूह द्वारा सीजेआई को लिखे गए खुले पत्र का ज़िक्र किया। मुख्यमंत्री ने कहा, 'यह हमारा कर्तव्य है कि हम न्यायपालिका का सम्मान करें… 116 लोग मैदान में उतरे थे, सेवानिवृत्त न्यायाधीश और वरिष्ठ अधिकारी... इसे कैसे मैनेज किया गया, किसने प्रबंधन किया? इसे मुद्दा बना दिया गया... देश के हालात पर सुप्रीम कोर्ट के जजों ने अपनी राय रखी थी।'

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बता दें कि पैगंबर मुहम्मद साहब पर टिप्पणी के लिए विभिन्न राज्यों में नूपुर शर्मा के ख़िलाफ़ कई प्राथमिकी को एक साथ जोड़ने की उनकी याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जेबी पारदीवाला की सुप्रीम कोर्ट की एक बेंच ने उन्हें फटकार लगाते हुए उनको 'बदजुबान' बताया था और कहा था कि 'देश में जो हो रहा है उसके लिए वह अकेले ज़िम्मेदार' हैं। इसी टिप्पणी के बाद लिखे गए खुले ख़त में कहा गया था कि न्यायाधीशों की टिप्पणियाँ 'दुर्भाग्यपूर्ण और अभूतपूर्व' थीं।

गहलोत ने कहा कि सहिष्णुता लोकतंत्र के आभूषण की तरह है, लेकिन आज ऐसा नहीं है। रिजिजू से मोदी तक अपने विचार पहुँचाने के लिए आग्रह करते हुए गहलोत ने कहा,

हम बार बार कह रहे हैं कि आज देश में तनाव है, हिंसा का माहौल है, ये नहीं होना चाहिए... क्या प्रधानमंत्री जी को ये नहीं कहना चाहिए कि प्रेम मोहब्बत, सद्भावना रहना चाहिए और मैं किसी क़ीमत पर हिंसा को बरदाश्त नहीं करूंगा।


अशोक गहलोत, राजस्थान सीएम

उन्होंने आगे कहा, 'आज माहौल ऐसा बन गया है कि देश के अंदर चिंता पैदा कर रहा है। वो चिंता समाप्त होनी चाहिए।'

गहलोत ने नौकरशाहों और न्यायाधीशों द्वारा सेवानिवृत्ति के बाद पदों को स्वीकार करने की प्रथा पर भी सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि पूर्व सीजेआई रंजन गोगोई सुप्रीम कोर्ट के उन चार न्यायाधीशों में से एक थे जिन्होंने कहा था कि लोकतंत्र ख़तरे में है, लेकिन उन्होंने सेवानिवृत्ति के बाद राज्यसभा की सीट स्वीकार कर ली। न्यायाधीशों और नौकरशाहों की सेवानिवृत्ति के बाद की स्थिति के बारे में चिंता व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा कि स्थिति बहुत गंभीर है।

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गहलोत ने चुनी हुई सरकारों को गिराने के प्रयासों पर भी चिंता व्यक्त की और महाराष्ट्र, गोवा, मणिपुर, कर्नाटक और मध्य प्रदेश का उदाहरण दिया।

इसके बाद राजस्थान के मुख्यमंत्री ने केंद्र पर निशाना साधते हुए कहा कि प्रधानमंत्री को देश में हिंसा और तनाव के माहौल को खत्म करने के लिए राष्ट्र को संबोधित करना चाहिए।

उन्होंने कहा, 'लोकतंत्र सहिष्णुता पर आधारित है। लोग प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सुनते हैं और इसलिए लोग उन्हें वोट देते हैं। क्या प्रधानमंत्री को राष्ट्र को संबोधित नहीं करना चाहिए और यह कहना चाहिए कि एकता और भाईचारा बनाए रखना है? उनको कहना पड़ेगा कि मैं किसी भी कीमत पर हिंसा को स्वीकार नहीं करूंगा। मेरा मानना है कि कानून मंत्री उन्हें मना सकते हैं। वह हमारी नहीं सुनते हैं। आज स्थिति ऐसी है कि यह बहुत तनाव पैदा कर रहा है।'

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क़मर वहीद नक़वी
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