loader

राजस्थान: कांग्रेस के तीन पूर्व क़ानून मंत्रियों का राज्यपाल को पत्र, कहा- संकट टालें

राजस्थान का समर जीतने के लिए कांग्रेस ने अपने सियासी कमांडरों के अलावा क़ानून की गहरी समझ रखने वाले नेताओं को भी मैदान में उतार दिया है। यूपीए सरकार में अलग-अलग वक्त में क़ानून मंत्रालय संभाल चुके कपिल सिब्बल, सलमान ख़ुर्शीद और अश्विनी कुमार ने सोमवार को राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्रा को पत्र लिखा और राज्य के संवैधानिक संकट को टालने की गुजारिश की। इनमें से सिब्बल तो पहले से ही सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट में लगातार मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की पैरवी कर रहे हैं। 

पूर्व मंत्रियों ने पत्र में लिखा है कि विधानसभा सत्र बुलाने में देरी होने से संवैधानिक संकट खड़ा हो रहा है। उन्होंने कहा है कि राज्यपाल मंत्रि परिषद की विधानसभा सत्र बुलाने की सलाह को मानने के लिए बाध्य हैं और क़ानून की स्थापित मान्यताओं से हटने की वजह से संवैधानिक संकट पैदा होगा। 

ताज़ा ख़बरें

पत्र में कहा गया है कि राज्यपाल की भूमिका को लेकर सुप्रीम कोर्ट 1974 के शमशेर सिंह वर्सेज यूनियन ऑफ़ इंडिया और 2016 के नबाम रेबिया वाले मामले में विस्तार से फ़ैसला दे चुका है। 

पत्र में लिखा है, ‘देश के संविधान के तहत राज्यपाल के कार्यालय के बारे में जैसी कल्पना की गई है कि यह पक्षपातपूर्ण राजनीति के दबाव और विवशताओं से ऊपर है, जिससे वह संविधान को बनाए रखने के लिए स्वतंत्र और निष्पक्ष रूप से काम कर सके।’ 

पत्र में जोर देकर कहा गया है कि अलग-अलग समय पर क़ानून मंत्रालय संभालने की वजह से हमारा (तीनों पूर्व मंत्रियोंं) इसे लेकर स्पष्ट मत है कि राज्यपाल राज्य सरकार की सलाह के अनुसार विधानसभा सत्र बुलाने के लिए बाध्य हैं। 

राजस्थान से और ख़बरें

इससे पहले भी कपिल सिब्बल ने एक वीडियो संदेश में कहा था कि जब सरकार आग्रह करे कि विधानसभा का सत्र बुलाना है तो उसमें राज्यपाल को देरी नहीं करनी चाहिए। उन्होंने कहा था कि इसमें संविधान की मर्यादा की बात है और सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले भी हैं जिनमें साफ कहा गया है कि जब सत्र बुलाने की मांग हो तो राज्यपाल इसमें देरी नहीं कर सकते और यह उनका कर्तव्य भी है।

चिदंबरम ने बोला हमला 

इसके अलावा कांग्रेस नेता और सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील पी. चिदंबरम ने कहा है कि 2014 के बाद से ही बीजेपी के द्वारा नियुक्त किए गए राज्यपाल लगातार संविधान की भावना का उल्लंघन कर रहे हैं और उन्होंने संसदीय लोकतंत्र, इसकी परम्पराओं को भी बुरी तरह बिगाड़ दिया है। 

सत्य हिन्दी ऐप डाउनलोड करें

गोदी मीडिया और विशाल कारपोरेट मीडिया के मुक़ाबले स्वतंत्र पत्रकारिता का साथ दीजिए और उसकी ताक़त बनिए। 'सत्य हिन्दी' की सदस्यता योजना में आपका आर्थिक योगदान ऐसे नाज़ुक समय में स्वतंत्र पत्रकारिता को बहुत मज़बूती देगा। याद रखिए, लोकतंत्र तभी बचेगा, जब सच बचेगा।

नीचे दी गयी विभिन्न सदस्यता योजनाओं में से अपना चुनाव कीजिए। सभी प्रकार की सदस्यता की अवधि एक वर्ष है। सदस्यता का चुनाव करने से पहले कृपया नीचे दिये गये सदस्यता योजना के विवरण और Membership Rules & NormsCancellation & Refund Policy को ध्यान से पढ़ें। आपका भुगतान प्राप्त होने की GST Invoice और सदस्यता-पत्र हम आपको ईमेल से ही भेजेंगे। कृपया अपना नाम व ईमेल सही तरीक़े से लिखें।
सत्य अनुयायी के रूप में आप पाएंगे:
  1. सदस्यता-पत्र
  2. विशेष न्यूज़लेटर: 'सत्य हिन्दी' की चुनिंदा विशेष कवरेज की जानकारी आपको पहले से मिल जायगी। आपकी ईमेल पर समय-समय पर आपको हमारा विशेष न्यूज़लेटर भेजा जायगा, जिसमें 'सत्य हिन्दी' की विशेष कवरेज की जानकारी आपको दी जायेगी, ताकि हमारी कोई ख़ास पेशकश आपसे छूट न जाय।
  3. 'सत्य हिन्दी' के 3 webinars में भाग लेने का मुफ़्त निमंत्रण। सदस्यता तिथि से 90 दिनों के भीतर आप अपनी पसन्द के किसी 3 webinar में भाग लेने के लिए प्राथमिकता से अपना स्थान आरक्षित करा सकेंगे। 'सत्य हिन्दी' सदस्यों को आवंटन के बाद रिक्त बच गये स्थानों के लिए सामान्य पंजीकरण खोला जायगा। *कृपया ध्यान रखें कि वेबिनार के स्थान सीमित हैं और पंजीकरण के बाद यदि किसी कारण से आप वेबिनार में भाग नहीं ले पाये, तो हम उसके एवज़ में आपको अतिरिक्त अवसर नहीं दे पायेंगे।
क़मर वहीद नक़वी
सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें

अपनी राय बतायें

राजस्थान से और खबरें

ताज़ा ख़बरें

सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें