Jaipur Hospital Fire Staff fled जयपुर के सवाई मान सिंह अस्पताल के ट्रॉमा सेंटर में लगी भीषण आग में 7 लोगों की मौत हो गई। परिजनों ने स्टाफ की लापरवाही और सुरक्षा उपायों में कमी को ज़िम्मेदार ठहराया है।
जयपुर के सरकारी अस्पताल में आग लगी
जयपुर के सवाई मानसिंह अस्पताल के ट्रॉमा सेंटर में रविवार रात को लगी आग ने दर्दनाक मोड़ ले लिया। ट्रॉमा आईसीयू में शॉर्ट सर्किट से शुरू हुई आग में सात मरीजों की दर्दनाक मौत हो गई। मृतकों में दो महिलाएं और चार पुरुष शामिल हैं। घटना के बाद परिवार बेहद गुस्से में है। अस्पताल कर्मचारियों पर लापरवाही और आग लगने पर आईसीयू से भागने का गंभीर आरोप है।
जयपुर अस्पताल में आग की जांच के लिए एसआईटी बनी
राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने घटना की जाँच के आदेश दिए हैं। जाँच के लिए एक समिति की घोषणा की गई है। समिति की अध्यक्षता चिकित्सा शिक्षा विभाग के आयुक्त इकबाल खान करेंगे। यह समिति आग के कारणों, अस्पताल प्रबंधन की प्रतिक्रिया, ट्रॉमा सेंटर और एसएमएस अस्पताल में अग्निशमन व्यवस्था, आग लगने की स्थिति में मरीजों की सुरक्षा और निकासी, तथा भविष्य में ऐसी आग की घटनाओं की पुनरावृत्ति को रोकने के लिए अस्पताल को सुरक्षित रखने के उपायों की जाँच करेगी और अपनी रिपोर्ट देगी।घटना रविवार देर रात करीब 11:20 बजे हुई, जब ट्रॉमा सेंटर की दूसरी मंजिल पर स्थित ट्रॉमा आईसीयू में शॉर्ट सर्किट के कारण आग लग गई। आग तेजी से फैली और जहरीली गैस के धुएं ने मरीजों व परिजनों में अफरातफरी मचा दी। अस्पताल प्रशासन के अनुसार, ट्रॉमा सेंटर में कुल 210 मरीज भर्ती थे, जिनमें चार आईसीयू में 40-40 मरीज थे। प्रभावित दूसरी मंजिल पर ट्रॉमा आईसीयू में 11 और सेमी-आईसीयू में 13 मरीज थे। अधिकांश मरीज कोमा में थे और उनकी हालत नाजुक थी।
ट्रॉमा सेंटर इंचार्ज अनुराग धाकड़ ने बताया, "ट्रॉमा आईसीयू में शॉर्ट सर्किट हुआ, जिससे आग तेजी से फैली और जहरीली गैसें निकलने लगीं। छह मरीजों की हालत बेहद नाजुक थी। हमने लंबे समय तक सीपीआर (कार्डियोपल्मोनरी रिससिटेशन) की कोशिश की, लेकिन उन्हें बचाया नहीं जा सका। मृतकों में दो महिलाएं और चार पुरुष हैं। पांच अन्य मरीज अभी भी गंभीर हालत में हैं।" आग बुझाने में फायर ब्रिगेड को करीब दो घंटे लगे। इस दौरान आईसीयू का सामान, दस्तावेज, ब्लड सैंपल ट्यूबें और अन्य वस्तुएं जलकर राख हो गईं।
मरीजों के परिवार ने गंभीर लापरवाही का आरोप लगाया
परिजनों ने अस्पताल कर्मचारियों पर गंभीर लापरवाही का आरोप लगाया है। एक परिजन ने कहा, "धुएं को देखते ही हमने स्टाफ को सूचना दी, लेकिन उन्होंने ध्यान नहीं दिया। आग लगते ही वे सबसे पहले भाग खड़े हुए। अब कोई हमारी मरीजों की हालत के बारे में कुछ बता ही नहीं रहा।" एक अन्य परिजन ने पीटीआई को बताया, "आईसीयू में आग लग गई, लेकिन वहां फायर एक्सटिंग्विशर, सिलेंडर या पानी तक उपलब्ध नहीं था। कोई सुविधा ही नहीं थी। मेरी मां बच नहीं सकीं।" एएनआई के अनुसार, एक अन्य प्रभावित ने कहा, "रात 11:20 बजे धुआं दिखा तो डॉक्टरों को बताया, लेकिन धुआं गहराता गया। स्टाफ नीचे से भाग गया। हमने चार-पांच मरीजों को खींचकर बाहर निकाला। मेरी चाची का बेटा अंदर था, जो ठीक था और एक-दो दिन में छुट्टी मिलने वाली थी। लेकिन उसकी मौत हो गई।"
रात में हर आईसीयू में सिर्फ एक-एक स्टाफ तैनात था, जो आग लगते ही भाग गया, जिससे मरीज अकेले रह गए। परिजनों ने अस्पताल में फायर सेफ्टी उपकरणों की कमी की भी बात कही।
सीएम और दो अन्य मंत्री अस्पताल पहुंचे
मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने संसदीय कार्य मंत्री जोगराम पटेल और गृह राज्यमंत्री जवाहर सिंह बेधम के साथ ट्रॉमा सेंटर का दौरा किया। जयपुर पुलिस कमिश्नर बिजू जॉर्ज जोसेफ ने पुष्टि की, "प्रारंभिक जांच में शॉर्ट सर्किट का पता चला है। छह मौतें पुष्ट हो चुकी हैं। शेष मरीजों को दूसरे वार्ड में शिफ्ट कर दिया गया है और उनका इलाज जारी है। फोरेंसिक टीम कारणों की जांच करेगी।" सोमवार सुबह पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने शोक व्यक्त करते हुए राज्य सरकार से उच्च स्तरीय जांच की मांग की। उन्होंने कहा, "भविष्य में ऐसी दुर्घटनाओं को रोकने के लिए उच्च स्तरीय जांच सुनिश्चित की जाए।"