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फ़ोटो साभार: ट्विटर?आईसीसी

ऑस्ट्रेलिया क्यों टी-20 वर्ल्ड कप चैंपियन बना? 

1987 वर्ल्ड कप के लिए एलन बोर्डर की कप्तानी और बॉब सिंपसन की कोचिंग में जिस ऑस्ट्रेलियाई टीम ने भारतीय उप-महाद्वीप का दौरा किया, उसको कंगारुओं ने अपने वन-डे इतिहास की सबसे कमज़ोर टीम माना था और इसलिए मीडिया दल से सिर्फ़ एक टीम आयी थी। कोई उम्मीद ही नहीं थी कि ऑस्ट्रेलिया उस टूर्नामेंट में कुछ कर भी सकता है। मशहूर क्रिकेट लेखक पीटर रॉबक ने अपनी किताब ‘इन इट टू विन इट’ में उस घटना का दिलचस्प अंदाज़ में ज़िक्र किया है जो दरअसल ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेट के प्रभुत्व पर लिखी गई है।

इत्तिफ़ाक़ से 2021 में ऑस्ट्रेलियाई टीम जब यूएई टी20 वर्ल्ड कप के लिए पहुँची तो दुनिया के तमाम मीडिया ऑस्ट्रेलिया की दावेदारी को गंभीरता से नहीं ले रहे थे। आलम ये रहा कि ऑस्ट्रेलियाई अख़बार ‘सिडनी मार्निंग हेरल्ड’ में बेहद अनुभवी पत्रकार मैलकम कॉन ने तो यहां तक लिख डाला था कि मौजूदा टीम से किसी तरह की उम्मीद करना बेवकूफी होगी क्योंकि ऑस्ट्रेलिया ने तो टी20 फॉर्मेट को सच्चे मन से अभी तक अपनाया भी नहीं है। उनका फोकस अभी भी टेस्ट क्रिकेट और वन-डे पर है और बिग बैश लीग पर। 

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इस आलोचना में थोड़ा दम ज़रूर है लेकिन इस बात से भला कोई कभी इंकार कैसे कर सकता है कि ऑस्ट्रेलिया की टीम वर्ल्ड कप में जब भी उतरे तो उसकी कमज़ोर से कमज़ोर दिखने वाली टीम भी बेहद ख़तरनाक दिखने लगती है। और यही ऐरन फिंच की टीम के साथ हुआ। आलोचक सोच रहे थे कि अब तक 2007 से टी20 वर्ल्ड कप हो रहा है, और इतने सालों में 7 आयोजन के दौरान सिर्फ़ एक मौक़े पर ही कंगारु टीम फाइनल तक का सफर तय कर पायी थी। लेकिन, इस बार कंगारु टीम अलग टीम थी।

अलग इसलिए नहीं कि उनके पास आसाधरण खिलाड़ी थे। अलग इसलिए कि इस टीम के कई अहम सदस्यों को आलोचकों ने ख़त्म मान लिया था। इन किरदारों को पूरी दुनिया के सामने ये साबित करना था कि ऑस्ट्रेलिया नस्ल में ही विपरीत हालात से लड़ने का एक ज़बरदस्त गुण है। 

खानदानी वर्ल्ड कप वाले हैं मार्श! 

फाइनल के हीरो मिचेल मार्श ने तो सार्वजनिक तौर पर इससे पहले ही कह दिया था कि वो इकलौते ऐसे खिलाड़ी हैं जिन से पूरा देश नफरत करता है लेकिन उन्हें इस बात की परवाह नहीं है क्योंकि उन्हें पता है कि एक दिन वो इस नफरत को प्यार में बदलने में कामयाब हो जायेंगे। और शायद अब ऐसा लगता है कि मार्श कामयाब भी हो गये।

लेकिन, मार्श नाम का प्राणी ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेट में कोई मामूली प्राणी थोड़े ही है। उनके पिता ज्यौफ मार्श उस पहली बार 1987 में विश्व-विजेता बनने वाली ऑस्ट्रेलियाई टीम के लिए सबसे ज़्यादा रन बनाने वाले खिलाड़ी थे।

ये वही मार्श थे जो दोबारा कोच के तौर पर ड्रेसिंग रुम में लौटे तो 1999 में उन्होंने फिर से कंगारुओं को चैंपियन बना डाला। और अब उन्हें अपने बेटे पर काफी गर्व महसूस हो रहा होगा कि उनका लाल एक बार फिर से मार्श परिवार में वर्ल्ड कप लेकर लौटा यानी कुल मिलाकर खानदानी वर्ल्ड कप वाले हैं मार्श!

australia becomes t20 world cup champion  - Satya Hindi

स्ट्रार्क के परिवार में भी दो खिलाड़ी विश्व कप विजेता!

वैसे, बात सिर्फ़ मार्श के परिवार की ही नहीं है। मिचेल स्ट्रार्क के परिवार में भी अब एक नहीं दो-दो लोग टी-20 वर्ल्ड कप विजेता हैं! आप सोचेंगे ऐसा कैसे मुमकिन है तो आपको बता दें कि स्टार्क से पहले उनकी पत्नी जो पूर्व ऑस्ट्रेलियाई विकेटकीपर इयन हीली की बेटी हैं, वो महिला टी20 वर्ल्ड कप जीतने वाली खिलाड़ी हैं। यानी पति-पत्नी दोनों के पास अपने-अपने निजी कार की तरह घर में वर्ल्ड कप ट्रॉफी भी हैं।

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कोच जस्टिन लैंगर को क्यों बेताबी से इंतज़ार था कप का?

एक और शख्स जिसे इस कप का बेहद बेताबी से इंतज़ार था वो थे कोच जस्टिन लैंगर। पूर्व ओपनर ऑस्ट्रेलिया की महा-पराक्रमी टेस्ट टीम का हिस्सा रह चुके हैं और दबदबे में उनकी भूमिका अहम रही है। लेकिन अपने साथी खिलाड़ियों को, जिनमें मैथ्यू हैडन, ऐडम गिलक्रिस्ट, रिकी पोंटिंग, शेन वार्न, मार्क वॉ, स्टीव वॉ, ग्लेन मैक्ग्रा शामिल हैं, उन्होंने वर्ल्ड कप जीतने वाली टीम का हिस्सा होते भी देखा। ये बात लैंगर को हमेशा कचोटती थी क्योंकि वो कभी भी वन-डे क्रिकेट में अपनी जगह टेस्ट की तरह पक्की नहीं कर पाये और किसी वर्ल्ड कप में शिरकत भी नहीं कर पाये। लेकिन, कोच के तौर पर लैंगर की हसरत थी कि वो अपनी सीवी में इसे ज़रूर हासिल करें। 

और जस्टिन लैंगर ने एक ऐसी टीम तैयार की जिसने टूर्नामेंट के हॉट फेवरिट पाकिस्तान को सबसे पहले सनसनीखेज अंदाज में सेमीफाइनल में बाहर किया और उसके बाद फाइनल में प्रबल दावेदार न्यूज़ीलैंड को भी।

ऑस्ट्रेलियाई शैली में अपने खेल से ही वार्नर का जवाब

लेकिन, तमाम खिलाड़ियों के अलावा अगर किसी ने दुनिया के सबसे बड़े मंच पर अपना लोहा मनवाया है तो वो हैं जुझारु ओपनर डेविड वार्नर। उनके जैसे धाकड़ और अनुभवी खिलाड़ी को टूर्नामेंट से ठीक पहले आईपीएल में इस कदर अपमानित किया गया कि शायद कोई दूसरा बल्लेबाज़ होता तो क्रिकेट ही छोड़ देता। सनराइजर्स हैदरबाद ने न सिर्फ सीज़न में उनसे कप्तानी छीन ली बल्कि उन्हें ये भी हिदायत दी कि वो होटल रुम में ही बैठे रहें और स्टेडियम न आयें क्योंकि इससे माहौल ख़राब हो सकता था। 

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वार्नर ने चिर-परिचित ऑस्ट्रेलियाई शैली में अपनी ज़ुबान से नहीं बल्कि अपने खेल से जवाब दिया है। टूर्नामेंट में मैन ऑफ़ द सीरीज़ का ख़िताब हासिल करके वार्नर ने भी यही साबित किया कि क्रिकेट के मैदान पर ऑस्ट्रेलिया और वार्नर की चुनौती को कभी भी कम करके ना आंकें वरना आपको हमेशा चौंकाने वाले ही नतीजे मिलेंगे!

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विमल कुमार
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