शाहीनबाग आंदोलन के दौरान आमिर अज़ीज़ की एक कविता सब याद रखा जाएगा बहुत मशहूर हुई थी। लेकिन उस कविता पर एक मशहूर आर्टिस्ट ने पेंटिंग बनाई और आमिर का नाम तक नहीं दिया। पूरा विवाद जानिएः
जब पूरा देश कोरोना महामारी से जूझ रहा है तो दिल्ली पुलिस अपने पुराने एजेंडे के साथ काम पर लग गई है। उसने सीएए और एनआरसी के ख़िलाफ़ प्रदर्शन करने वालों पर मनगढ़ंत आरोप लगाकर गिरफ़्तारियों का अभियान छेड़ दिया है। दो छात्रों पर उसने दिल्ली दंगों की साज़िश में शामिल होने, हत्या और राजद्रोह का आरोप लगा दिए हैं।
पुलिस कुख़्यात आतंकवादी संगठन इसलामिक स्टेट (आईएस) से जुड़े दंपति से पूछताछ में जुटी हुई है।
होर्डिंग्स लगाने के मामले में हाई कोर्ट से योगी सरकार को झटका लगा है। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने सोमवार को फ़ैसला सुनाया है कि इन होर्डिंग्स को हटा दिया जाए।
दिल्ली में हुई हिंसा क्या अचानक हो गई? नहीं, इसके लिये लंबे समय से तैयारी की जा रही थी। हिंदू जातियों विशेषकर जाटों के बीच इसलाम के ख़िलाफ़ प्रचार किया जा रहा है।
शाहीन बाग़ के आंदोलन को लेकर कहा जा रहा है कि यातायात रोकना अनैतिक है। किसी भी जम्हूरियत में आंदोलन के बुनियादी अधिकार को चुनौती कैसे दी जा सकती है?
दिल्ली में दंगों के दौरान यानी 24 और 25 फ़रवरी को ताहिर हुसैन ने दिल्ली पुलिस को पांच बार फ़ोन किया था और मदद की गुहार लगाई थी।
दिल्ली में दंगों के एक नये वीडियो में दिख रहा है कि एक हॉस्पिटल की छत पर कब्जा करे बैठे दंगाई नीचे खड़ी भीड़ पर फ़ायरिंग कर रहे हैं और बोतलें फेंक रहे हैं।
दिल्ली में हुए दंगों के मामले में आरोपी आम आदमी पार्टी (आप) से निलंबित पार्षद ताहिर हुसैन ने गुरुवार को राउज एवेन्यू कोर्ट में सरेंडर कर दिया है।
क्या दिल्ली में दंगों के दौरान दिल्ली पुलिस के पास पर्याप्त संख्या में जवान नहीं थे। अगर जवान होते तो क्या प्रदर्शनकारियों की भीड़ पुलिस पर पत्थर बरसा पाती?
दिल्ली के दंगों में दंगाइयों ने बीजेपी के नेता की फ़ैक्ट्री को भी फूंक दिया। दंगाइयों ने उनके मजहब के कारण उनकी फ़ैक्ट्री को निशाना बनाया।
दिल्ली में दंगों से पहले नफ़रत फैलाने के लिये, भड़काने के लिये हिंदु और मुसलिम दोनों ही समुदायों की ओर से कई वॉट्सऐप ग्रुप बनाये गये थे।
नागरिकता क़ानून को लेकर हुए दंगों में पुलिस पर फ़ायरिंग करने वाले शाहरूख नाम के शख़्स को पुलिस ने गिरफ़्तार कर लिया है।
कई मुसलिम राष्ट्रों के बाद ईरान ने दिल्ली के दंगों को लेकर आधिकारिक प्रतिक्रिया दी है और कहा है कि ईरान भारतीय मुसलमानों के ख़िलाफ़ हुई संगठित हिंसा की निंदा करता है।
याचिकाकर्ताओं ने मांग की है कि कपिल मिश्रा, अनुराग ठाकुर, प्रवेश वर्मा और अन्य लोगों, जिन्होंने भड़काऊ भाषण दिये उनके ख़िलाफ अदालत एफ़आईआर करने का आदेश दे।
दिल्ली के दंगों में हज़ारों लोगों का सब कुछ तबाह हो गया। मुस्तफ़ाबाद का शिव विहार इलाक़ा मुसलमानों से खाली हो चुका है। बिना सुरक्षा के भरोसे के वे लोग कैसे वापस अपने घरों में जाएंगे?
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की सरकार द्वारा बनाई गई जांच कमेटी ने पाया था कि जेएनयू छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार ने देश तोड़ने वाले नारे नहीं लगाये थे। तो फिर अब केजरीवाल ने कन्हैया के ख़िलाफ़ मुक़दमा चलाने की इज़ाजत क्यों दे दी? सुनिये, वरिष्ठ पत्रकार आशुतोष का विश्लेषण।
दिल्ली के दंगों में पिस्तौल और बंदूकों का जमकर इस्तेमाल हुआ। यह पहला मौक़ा है जब दंगों में इतने घातक हथियारों का इस्तेमाल किया गया। इससे पहले दंगों में अमूमन लाठी, चाकू का इस्तेमाल होता रहा है। इतनी बड़ी मात्रा में हथियार कहां से आये, यह एक बड़ा सवाल है।
दिल्ली में दंगाइयों के अंदर भरे ज़हर से बच्चों के स्कूल तक नहीं बच सके। दंगाइयों ने बच्चों के स्कूल फूंक दिये।
दंगाइयों की भीड़ दिल्ली के करावल नगर में रहने वाले लोगों के घरों में घुसना चाहती थी तो ग़ाज़ियाबाद पुलिस ने दिल्ली की सीमा में घुसकर उन्हें खदेड़ दिया।
दिल्ली के दंगाग्रस्त इलाक़ों सीलमपुर, जाफ़राबाद, मुस्तफ़ाबाद तक में अवैध धंधों की भी भरमार है और अंडर वर्ल्ड के साथ-साथ अवैध हथियारों का धंधा भी यहां खूब होता है।
दिल्ली में हुए दंगों में मरने वालों और घायलों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। दंगों के बाद यह बात साफ़ दिखती है कि दोनों समुदायों के मन में जो टकराव है वह गहरा हो चुका है और दोनों ही ख़ुद को इस बात के लिये तैयार कर रहे हैं कि अगर भविष्य में उन पर कहीं हमले हों तो, वे मुक़ाबले के लिये तैयार रहें। इसके अलावा ऐसा लगता है कि दंगाइयों को ट्रेनिंग दी गई है। दिल्ली दंगों को लेकर सुनिये क्या कहा वरिष्ठ पत्रकार आशुतोष ने।
दिल्ली में दंगों के दौरान दंगाई रस्सी से एक स्कूल में उतरे और उसे तहस-नहस कर दिया। तो क्या उन्हें इसकी ट्रेनिंग दी गई थी और क्या वे प्रोफ़ेशनल थे?
दिल्ली दंगों के मामले में दायर याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए शुक्रवार को दिल्ली हाई कोर्ट ने दिल्ली पुलिस, दिल्ली सरकार और केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया है।
बीजेपी नेता कपिल मिश्रा के ख़िलाफ़ बिहार की मुज़फ्फरपुर अदालत में मुक़दमा दर्ज किया गया है। मिश्रा पर भड़काऊ भाषण देने के मामले में मुक़दमा दर्ज किया गया है।
दिल्ली में दंगों के दौरान राहुल गाँधी से लेकर केजरीवाल और अखिलेश यादव से लेकर मायावती, सभी पूरी तरह ख़ामोश रहे। जबकि इन्हें सड़कों पर उतरना चाहिए था।