जातीय आधार पर नफरत के इस मामले में 10 हजार लीटर पानी की क्षमता वाले टैंक के अंदर से भारी मात्रा में मल मिला। इस वजह से टैंक का पानी पीला हो गया था। अभी तक यह पता नहीं चल पाया है कि इसके लिए जिम्मेदार कौन है।
अल्मोड़ा जिले में हुई इस घटना में युवती के सौतेले पिता, भाई और मां को गिरफ्तार कर लिया गया है। सभी पर एससी-एसटी एक्ट के तहत मुकदमा पंजीकृत कर उन्हें जेल भेज दिया गया है।
मोरबी जिले के प्राइमरी एजुकेशन अफसर ने कहा है कि यह जातिगत भेदभाव का मामला नहीं है। लेकिन आखिर यह पूरा मामला क्या है?
विजय कांबले नाम के दलित युवक की हत्या की वारदात को किन लोगों ने अंजाम दिया?
दलित भोजन माता सुनीता देवी के हाथ का बना खाना खाने से सवर्ण समुदाय के बच्चों के द्वारा इनकार करने की घटना समाज में फैले जातिवाद के दंश को उजागर करती है।
दबंगों ने एक दलित परिवार की बारात ले जाने के दौरान जमकर उत्पात मचाया था लेकिन शिवराज सरकार ने उन पर सख्ती दिखाई है।
दबंगों ने एक दलित परिवार से बारात वापस ले जाने को लेकर गुंडागर्दी की। राजगढ़ जिले में इस तरह की घटनाएं पहले भी हो चुकी हैं।
राजेश कुमार मेघवाल ने कहा कि उनसे जबरन मंदिर के फर्श पर नाक रगड़वाई गई। पुलिस ने एफआईआर दर्ज कर इस मामले में 11 लोगों को नामजद किया है।
सरकार ने दलित भोजन माता को फिर से इस पद पर नियुक्त करने का फैसला किया है। यह सारा विवाद बेहद चर्चा में रहा था क्योंकि सामान्य वर्ग के छात्रों ने दलित भोजन माता के हाथ से बना खाना खाने से इंकार कर दिया था।
यह घटना अमेठी के रायपुर फुलवारी गांव में हुई है। गांव के ही रहने वाले सूरज सोनी नाम के शख्स के घर से दो मोबाइल फोन चोरी हो गए थे।
दलित महिला के हाथ का बना खाना खाने से इनकार कर देना कौन सी मानसिकता है? 21वीं सदी में भी जातीय श्रेष्ठता का अहंकार चरम पर है।
स्कूल के दलित छात्र/छात्राओं ने भी सामान्य वर्ग की भोजन माता के हाथों से खाना खाने से इनकार कर दिया है। इस मामले में उत्तराखंड के दलित संगठन भी मुखर होकर सामने आए हैं।
उत्तराखंड के चंपावत जिले के सूखीढांग गांव के सरकारी स्कूल में एक दलित महिला सुनीता देवी के हाथ का बना खाना खाने से सवर्ण समुदाय के बच्चों ने इनकार कर दिया।