Space News: कभी तकनीकी दिक्कत तो कभी मौसम की बाधा, इसके बावजूद भारतीय वायुसेना के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला बतौर भारतीय अंतरिक्ष यात्री मिशन पर रवाना हो गए हैं। 41 साल बाद यह भारत की बड़ी उपलब्धि बताई जा रही है।
भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला को ISS ले जाने के लिए एक्सिओम-4 मिशन को स्पेसएक्स के फ़ॉल्कन 9 रॉकेट में लिक्विड ऑक्सीजन लीक होने के कारण टाल दिया गया है। इस बार नई तारीख नहीं दी गई।
इसरो का Axiom-4 मिशन खराब मौसम की वजह से आज स्पेसएक्स से लॉन्च नहीं हो सका। भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला व अन्य अब 11 जून को इस मिशन के लिए उड़ान भरेंगे।
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अंतरिक्ष डॉकिंग के परीक्षण का यह मिशन यदि सफल हो जाता है, तो अमेरिका, रूस और चीन के बाद भारत दुनिया का चौथा देश होगा जो जटिल तकनीकों में महारत हासिल करेगा।
भारत ने भारत निर्मित रॉकेट पर अपना पहला अंतरिक्ष डॉकिंग मिशन लॉन्च किया है। इस मिशन की कामयाबी उसे अमेरिका, चीन और रूस के बराबर लाकर खड़ा कर देगी। इस मिशन में इस बार प्राइवेट सेक्टर की कंपनी अनंत टेक्नॉलजीज की भी भागीदारी है।
इसरों ने निगरानी वाले उपग्रह के क्षेत्र में लंबी छलांग लगाई। उसने 16 अगस्त को एक ऐसा उपग्रह लॉन्च किया है जो पृथ्वी पर होने वाली पर्यावरण संबंधी गतिविधियों पर नजर रखेगा। हालांकि इस क्षेत्र में अमेरिका, रूस, चीन बहुत पहले ही आगे निकल चुके हैं लेकिन भारत की सफलता मामूली नहीं है।
चारों अंतरिक्ष यात्री बेंगलुरु में अंतरिक्ष एजेंसी की अंतरिक्ष यात्री प्रशिक्षण सुविधा में प्रशिक्षण ले रहे हैं। जानिए, उनका चयन कैसे हुआ।
भारत अब सितारों से आगे जहान (दुनिया) की खोज के लिए कदम बढ़ा रहा है। यानी ब्लैक होल के मैजिक को हल करने की दिशा में भारत बढ़ चला है। विज्ञान खबर की भाषा में अगर कहना है तो यह भारत का एक्स-रे पोलारिमीटर सैटेलाइट (XPoSat) लॉन्च है जिसे भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने नए साल 2024 पर 1 जनवरी को सुबह 9:10 बजे सतीश धवन सेंटर से रवाना किया है।
इसरो प्रमुख डॉ एस सोमनाथ ने दावा किया है कि इसरो अब चंद्रमा से उसकी मिट्टी और पत्थरों का सैंपल धरती पर लेकर आयेगा। इसके लिए योजना पर काम हो रहा है।
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान इसरो ने कहा है कि वह देश के पहले ह्यूमन स्पेस फ्लाइट मिशन 'गगनयान' की टेस्टिंग करने जा रहा है। इसरो इसके क्रू एस्केप सिस्टम की टेस्टिंग 21 अक्टूबर को सुबह 7 से 9 बजे के बीच करेगा।
इसरो गगनयान मिशन को लेकर तेजी से तैयारियां कर रहा है। इसरो से प्राप्त जानकारी के मुताबिक तैयारियां अंतिम चरण में हैं और इस महीने के अंत तक गगनयान का अहम हिस्सा ‘क्रू एस्केप सिस्टम' का परीक्षण किया जा सकता है।
इसरो ने शनिवार 30 सितंबर को इस मिशन को लेकर यह अपडेट जानकारी साझा की है। इसरो ने बताया कि अब यह सूर्य-पृथ्वी लैग्रेंज प्वाइंट 1 (एल1) की ओर आगे बढ़ते हुए अपना रास्ता तलाश रहा है।
इसरो ने शुक्रवार, 22 सितंबर को सोशल मीडिया साइट एक्स पर एक ट्विट कर कहा है कि चंद्रयान - 3 के विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर से साथ वह संपर्क नहीं कर पा रहा है। इसरो की ओर से लगातार प्रयास किये जा रहे हैं कि उनसे संपर्क स्थापित किए जा सके।
चंद्रयान-3 की लॉन्चिंग के समय काउंटडाउन को आवाज़ देने वाली इसरो की वैज्ञानिक नहीं रहीं। जानिए, वह इसरो के अभियान में कितनी अहम भूमिका निभाती रही थीं।
इसरो ने शनिवार की सुबह 11:50 बजे श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से पीएसएलवी रॉकेट के जरिए अपने आदित्य एल1 मिशन को लॉन्च कर दिया है।
सूर्य से संबधित जानकारियां एकत्र करने के लिए अंतरिक्ष में भेजा जाने वाला भारत का पहला सोलर मिशन शनिवार 2 सितंबर को लॉन्च किया जाएगा।
इसरो द्वारा चांद पर भेजे गए चंद्रयान-3 मिशन के प्रज्ञान रोवर ने विक्रम लैंडर की एक तस्वीर खींची है। प्रज्ञान के नेविगेशन कैमरे ने बुधवार को विक्रम की यह तस्वीर क्लिक की है। इसरो ने इस तस्वीर को सोशल मीडिया साइट ट्विटर पर जारी किया है।
गुजरात के सूरत का एक शख्स मितुल त्रिवेदी पिछले कई दिनों से चंद्रयान 3 के डिजाइन को लेकर सुर्खियां बटोर रहा था। टीवी चैनल वाले उसका इंटरव्यू करने के लिए उसके घर पर लाइन लगाए हुए थे, आखिरकार पुलिस ने उसे मंगलवार शाम को गिरफ्तार कर लिया। वो खुद को इसरो का वैज्ञानिक बता रहा था लेकिन उसके सारे दावे फर्जी साबित हुए।
चंद्रयान-3 की लैंडिंग साइट का नामकरण शिव शक्ति किए जाने पर आख़िर विवाद क्यों है? क्या इसका चुनावी लाभ लेने की कोशिश है? जानिए, इस पर इसरो प्रमुख ने क्या कहा है।
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन या इसरो ने सोशल मीडिया एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर एक पोस्ट लिख कर कहा है कि चंद्रयान-3 मिशन ने अपने तीन उद्देश्यों में से दो को पूरा कर लिया है।
प्रधानमंत्री मोदी शनिवार को बेंगलुरु में पहुंचने के बाद रोडशो करते हुए इसरो सेंटर में वैज्ञानिकों को बधाई देने पहुंचे। लेकिन एक छोटा विवाद भी हुआ। वो ये कि कर्नाटक के सीएम और डिप्टी सीएम को एयरपोर्ट पर उनका स्वागत करने के लिए आने से मना कर दिया गया। क्योंकि अगर दोनों जाते तो वे फिर पीएम के साथ इसरो तक जाते। आगे का मतलब समझा जा सकता है।
विदेश से लौटते ही पीएम मोदी शनिवार को सीधे बेंगलुरु में इसरो संस्थान पहुंचे और चंद्रयान 3 की सफलता के लिए वैज्ञानिकों को बधाई दी। पीएम मोदी का यह पूरा कार्यक्रम भव्य इवेंट में बदल गया। उन्होंने इस मौके पर कई घोषणाएं कीं और रोडशो भी किया। रोडशो का अंदाज एकदम चुनावी था।
23 अगस्त को शाम 6 बजकर 4 मिनट पर चंद्रयान-3 के लैंडर ने चांद पर पहला कदम रखा। इसके साथ ही भारत सबसे कम खर्च कर चांद पर पहुंचने वाला देश बना
इसरो के चंद्रयान-3 को चंद्रमा पर सफलतापूर्वक उतरने को आख़िर अंतरराष्ट्रीय मीडिया कैसे देखता है? जानिए, प्रमुख अख़बारों ने क्या लिखा।
चंद्रयान-3 बुधवार शाम को चंद्रमा की सतह पर सफलतापूर्वक उतर गया तो अब वहाँ क्या चल रहा है? जानिए, चंद्रयान-3 का प्रज्ञान रोवर अब क्या कर रहा है।