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मितुल त्रिवेदीः इसरो का फर्जी वैज्ञानिक

गुजरातः इसरो का फर्जी वैज्ञानिक मितुल त्रिवेदी आखिरकार गिरफ्तार

गुजरात में सूरत पुलिस की अपराध शाखा ने अपनी मीडिया रिलीज में कहा कि हमने एक ऐसे व्यक्ति को पकड़ा है, जिसकी पहचान मितुल त्रिवेदी के रूप में हुई, जिसने इसरो में वैज्ञानिक होने का झूठा दावा किया और उसके लिए जाली दस्तावेज़ भी बनाए। पुलिस का कहना है कि उसने अपराध कबूल कर लिया है।
सूरत के अतिरिक्त पुलिस आयुक्त, शरद सिंघल ने कहा-  "...अपराध शाखा ने इसरो से संपर्क किया और इसरो से पहली प्रतिक्रिया में ही कहा कि पत्र जाली है और उनके द्वारा ऐसा कोई पत्र जारी नहीं किया गया है। उन्होंने यह भी कहा कि वे हमें कुछ दिनों के भीतर विस्तृत जवाब देंगे। कल क्राइम ब्रांच ने मितुल त्रिवेदी को अपने चौक बाजार दफ्तर में बुलाया और विस्तृत पूछताछ की। आज यह साबित हो गया है और उसने कबूल भी कर लिया है कि पत्र फर्जी है। उन्होंने कहा कि उसने पत्र इसलिए तैयार किया क्योंकि वह ट्यूशन भी पढ़ाता है और उसे लगा कि अगर वह छात्रों के माता-पिता को ऐसा पत्र दिखाएगा, तो अधिक छात्र आएंगे। आईपीसी की धारा 465, 468, 471 और 419 के तहत एफआईआर दर्ज की गई है। जांच एसओजी ने की है...।''
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चंद्रयान 3 के चांद पर उतरने की सूचना 23 अगस्त शाम को आई थी। सूरत के मितुल त्रिवेदी ने 24 अगस्त को दावा किया कि चंद्रयान 3 के डिजाइन टीम को वो हिस्सा है। उसने ही डिजाइन तैयार किया है। मीडिया के लोग उसके घर टूट पड़े। लेकिन तमाम लोग ऐसे भी थे जो उसके दावे को फर्जी समझ रहे थे, क्योंकि वो उसे एक ट्यूशन पढ़ाने वाले के रूप में जानते थे। पुलिस तक शिकायत पहुंची तो पुलिस ने सरसरी तौर पर बयान दिया कि वो इसकी जांच करेंगे। लेकिन मितुल का मीडिया कवरेज कम नहीं हुआ।  
कहानी में नया मोड़ः मितुल त्रिवेदी को जैसे ही पुलिस के बयान की जानकारी मिली, पूरी कहानी में नया मोड़ आ गया। उसने घर पर ताला लगाया और गायब हो गया। पुलिस को पता चला तो वो उसके घर पहुंची और उन्हें त्रिवेदी के आवास पर ताला लगा मिला। उसका फोन भी बंद मिला। अब पुलिस को यकीन हो गया कि उसके दावे झूठे हैं। त्रिवेदी के दावों की जांच सूरत पुलिस की क्राइम ब्रांच को सौंप दी गई है।

त्रिवेदी के दावों की जांच पुलिस उपायुक्त (डीसीपी) हेतल पटेल को सौंपी गई। क्राइम ब्रांच ने उसे तलाश कर लिया। उन्होंने फौरन उसकी गिरफ्तारी नहीं की। क्योंकि तब तक वो शहर का वीआईपी बना हुआ था। उन्होंने त्रिवेदी से भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) से अपने कथित जुड़ाव को साबित करने वाला कोई भी दस्तावेज मांगा। ऐसा कोई दस्तावेज वो नहीं दे सका। उसने एक फर्जी पत्र जरूर दिया जो इसरो के फर्जी पैड पर था। क्राइम ब्रांच ने उसी पत्र के बारे में इसरो से प्रतिक्रिया मांगी थी। इसरो ने जब साफ कर दिया कि वो पत्र इसरो की ओर से जारी नहीं हुआ है तो क्राइम ब्रांच का शक यकीन में बदल गया।

मितुल के दावे

त्रिवेदी ने चंद्रयान-3 मिशन की सफलता के बाद अपनी भागीदारी के दावे की बात कहकर ध्यान आकर्षित किया था। उसने जोर देकर कहा था कि लैंडर के उसके डिजाइन में पारंपरिक लैंडर के विपरीत, लैंडिंग पर धूल के बिखरने को रोकने वाली एक अनूठी विशेषता शामिल थी। उसने यह भी कहा कि वह 2011 से इसरो और 2013 से नासा से जुड़ा हुआ है। नीचे का वीडियो देखिए, गुजरात के नामी चैनल ने उसका इंटरव्यू लिया था।
वो चंद्रयान 3 के लैंडर के डिजाइन के फर्जी दावे को लेकर ही नहीं रुका। यहां तक ​​कि उसने नासा के 2024 चंद्र मानव मिशन और इसरो के आदित्य एल1 और गगनयान मिशन डिजाइन परियोजनाओं में भूमिका का दावा भी किया। त्रिवेदी की कथित शैक्षणिक उपलब्धियों में भौतिकी में बीएससी और एमएससी, और कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय में क्वांटम भौतिकी में अध्ययन, और पीएचडी के लिए ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में मानव विज्ञान और वेदांत शामिल हैं। उसने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) की सदस्यता और 45 प्राचीन भाषाओं को पढ़ने की क्षमता का भी दावा किया।
इससे पहले त्रिवेदी ने दक्षिण गुजरात में ओलपाड के पास समुद्र में द्वारिका नाम की स्वर्ण नगरी होने का दावा किया था।
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क़मर वहीद नक़वी
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