क्या एमएसपी की क़ानूनी गारंटी देने के बाद सरकार वाकई किसानों की पूरी फसल खरीद लेगी, कितना खर्च करना होगा सरकार को?
किसान आंदोलन का एक साल पूरा हो गया है .केंद्र सरकार का सुर भी बदल चुका है .पर एमएसपी का मुद्दा अभी बाकी है .किसान इस मुद्दे को नही छोड़ेगा .सरकार नहीं मानी तो यह आंदोलन और आगे जाएगा .क्या असर पड़ेगा इसका ,राजनीति पर चुनाव पर ,देश पर और समाज पर
किसान न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी एमएसपी की गारंटी मांग रहे हैं, लेकिन क्या कृषि की इतनी ही समस्या है? जानिए, किसानों के समग्र मुद्दों का आख़िर कैसे समाधान हो सकता है?
किसान यह मांग क्यों कर रहे हैं कि निजी व्यापारी भी एमएसपी पर ही फ़सलें खरीदें? क्या इसका मतलब यह है कि सारी फ़सलें सरकार ही खरीदे?
प्रधानमंत्री मोदी ने तीन काले कानून तो वापस ले लिए मगर न्यूनतम समर्थन मूल्य को कानूनी गारंटी देने पर खामोश क्यों हैं? क्या उन्हें डर है कि ऐसा करने से सरकार पर बहुत बड़ा बोझ पड़ेगा? क्या ऐसा करने से कृषि उत्पादों के दाम एकदम से बढ़ जाएंगे, जिससे महँगाई भी बढ़ेगी? क्या है एमएसपी के बारे में चल रहे प्रचार का सच?
कृषि क़ानूनों को रद्द करने के लिए कैसा विधेयक बना रही है सरकार, उसमें क्या प्रावधान होंगे?
संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चिट्ठी लिख कर माँग की जाएगी कि एमएसपी पर बनने वाली समिति के बारे में स्थिति साफ करें।
रबी की एमएसपी वक्त से पहले बढ़ाई गई। क्या दो ढाई परसेंट की यह बढ़त किसानों के लिए खुशखबरी है? अब शांत हो जाएगा किसानोें का गुस्सा? आलोक जोशी के साथ किसान नेता वी एम सिंह, वरिष्ठ पत्रकार वीरेंद्र भट्ट और सतीश के सिंह
केंद्र सरकार ने रबी फसल के समर्थन मूल्य में दो प्रतिशत की बढ़ोतरी का एलान किया है। इसके तहत गेहूं, चना, मटर, ज्वार व बाजरा जैसे फसलों पर किसानों को अधिक पैसे मिलेंगे।
भारत में आंदोलनकारी किसान अपने कृषि उत्पादों के लिए एमएसपी की माँग कर रहे हैं। इस माँग पर विचार करने की आवश्यकता है।दुनिया के लगभग हर देश में कृषि पर सब्सिडी दी जाती है।
कृषि क्षेत्र में लाए गए तीन सुधारवादी क़ानूनों के विरोध में किसान 26 नवंबर से दिल्ली घेरे हुए हैं। कई दौर की वार्ता के बाद भी अभी तक सहमति नहीं बन पाई है। सैकड़ों किसान संगठनों ने भारत बंद भी किया।
विपक्ष की अनुपस्थिति में केंद्र सरकार ने सितंबर महीने में लोकसभा के बाद राज्यसभा से भी आखिरी कृषि विधेयक पारित करा लिया था और फिर बाद में राष्ट्रपति की मुहर लगने के साथ यह क़ानून भी बन गया। लेकिन किसानों का प्रदर्शन जारी है।