भारत से विदेशी निवेशकों का पलायन क्यों हो रहा है? क्या चीन ज्यादा आकर्षक निवेश की जगह बन गया है? जानिए इस बदलाव के पीछे की वजहें और भारत की अर्थव्यवस्था पर असर।
भारतीय शेयर बाज़ार में ख़ूनख़राबा क्यों हो रहा है? आख़िर विदेशी निवेशक एफ़डीआई क्यों निकाल रहे हैं और देश के निवेशक विदेशों में पैसा लगा रहे हैं? भारत की अर्थव्यवस्था की हालत ठीक नहीं है?
विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों को अचानक ऐसा क्या हो गया कि 2024 में घरेलू शेयर बाजार में वे पैसे लगाने के लिए तैयार नहीं थे?
हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट आने के बाद से अडानी समूह की कंपनियों के शेयरों के भाव गिरने का जो सिलसिला पिछले हफ़्ते शुरू हुआ था वह सोमवार को भी जारी रहा। कुछ कंपनियाँ संभली भी हैं। जानिए किस कंपनी की क्या है स्थिति।
बजट पेश किए जाने से पहले शेयर बाज़ार में तेजी क्यों है? क्या बजट से पहले पेश आर्थिक सर्वेक्षण से निवेशक उत्साहित हैं?
आख़िर क्या हुआ कि सोमवार सुबह बाज़ार खुलते ही दलाल स्ट्रीट पर खूनखराबा दिखा व शेयरों की कीमतें बुरी तरह टूटीं?
बंबई स्टॉक एक्सचेंज का संवेदनशील सूचकांक सेंसेक्स एक महीने में 3,600 अंक नीचे क्यों और कैसे गिरा?
गुरुवार को बंबई स्टॉक एक्सचेंज, एनएसई में ज़बरदस्त उछाल आया, पर क्या यह भारतीय अर्थव्यवस्था की मजबूती का संकेत है?
वित्त मंत्री निर्मला सितारमण के बजट पर सेंसेक्स उछला है। एक समय इसमें 2000 से ज़्यादा अंकों का उछाल आ गया। निफ़्टी में भी ऐसा ही असर देखने को मिला और यह 14 हज़ार के पार पहुँच गया।
अर्थव्यवस्था का आईना समझा जाने वाला शेयर बाज़ार इस समय छलांगें लगा रहा है जबकि जीडीपी की दर माइनस में जा रही है। ऐसी मंदी कभी देखी नहीं गई थी और 2021 में भी इसके सुधरने के आसार कम ही हैं।
अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप को कोरोना होने की खबर से शेयर बाज़ार को झटका लगा और सोने में उछाल आ गया। उधर दिग्गज निवेशक जिम रोजर्स ने चेताया है कि बाज़ार में एक बम जैसा हाल बन रहा है जो कभी भी फट सकता है। क्या है रास्ता और क्या असर हो सकता है भारत के बाज़ारों में?
शेयर बाज़ार में भारी गिरावट के बाद कभी उछाल दिखता है तो आप समझते हैं कि यही आख़िरी मौक़ा है। घबराकर बेचने, या खुश होकर ख़रीदने का। तो जाने माने इन्वेस्टमेंट एक्सपर्ट अजय बग्गा के साथ आलोक जोशी की यह बातचीत सुनिए और समझिए कि कैसे आप इस मौक़े का फ़ायदा उठा सकते हैं। ख़ासकर महिलाएँ ज़रूर देखें।
शेयर बाज़ार में भारी गिरावट। क्या यह ख़रीद का मौक़ा है? क्या बॉटम बन गया? क्या अब पैसे लगा दें? बहुत से लोग ऐसे सवाल पूछ रहे हैं। तो बहुत से यह भी पूछ रहे हैं कि शेयर क्या होता है और इसमें पैसा कैसे लगाते हैं? सीएनबीसी आवाज़ के पूर्व संपादक आलोक जोशी बता रहे हैं कि शेयर होता क्या है!
शेयर बाज़ार की उठापटक ने सबको चक्कर में डाल रखा है। ख़ासकर शुक्रवार को भारत के बाज़ारों ने जो जोश दिखाया, उसके बाद सोमवार की तेज़ गिरावट एक बड़े सदमे जैसी थी। अब सबके मन में एक ही सवाल है? कब तक गिरेगा बाज़ार और कब थमेगा यह खूनखराबा? बता रहे हैं आलोक जोशी।
शेयर बाज़ार सोमवार को जब खुला तो फिर से इसने गोता लगाया। सेंसेक्स में 2100 अंकों तक और निफ़्टी में 600 अंकों तक की गिरावट दर्ज की गई।
शेयर बाज़ार शुक्रवार को औंधे मुँह गिरा। हफ़्ते के आख़िरी क़ारोबार में सेंसेक्स में 1,448.37 अंकों यानी 3.64 फ़ीसदी की गिरावट आई और यह 38,297.29 पर बंद हुआ। इससे क़रीब शेयर बाज़ार को छह लाख करोड़ का नुक़सान हुआ है।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप की यात्रा के बीच ही शेयर बाज़ार ने गोता लगाया है। सप्ताह के पहले दिन सोमवार को सेंसेक्स 806.89 अंकों की भारी गिरावट के साथ 40363.23 पर बंद हुआ।
तीन दिनों से लगातार चल रही ज़बरदस्त तेज़ी पर बुधवार को लगाम लग गई और बंबई स्टॉक एक्सचेंज का संवेदनशील सूचकांक 400 अंक टूटा।
शेयर बाज़ार में भारी उछाल दर्ज किया गया है। बीएसई सेंसेक्स 2,250 अंक तो निफ़्टी 1,100 अंक उछला, ज्यादातर कंपनियों के शेयर तेज़ी से आगे बढ़े।
सऊदी अरब में अरैमको के तेल संयंत्रों पर हमले के बाद भारतीय शेयर बाज़ार बुरी तरह गिरा, बीएसई सेंसेक्स 642 अंक टूटा। बीएसई के 30 में से 27 शेयर घाटे में बंद हुए।