डीएमके प्रमुख एमके स्टालिन
तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने त्रिभाषा विवाद को लेकर गुरुवार 27 फरवरी को केंद्र सरकार पर फिर हमला बोला। स्टालिन ने दावा किया कि हिंदी को जबरन थोपने से पिछले कुछ वर्षों में 25 उत्तर भारतीय भाषाएं "निगल ली गईं।" तमिलनाडु की डीएमके सरकार और केंद्र सरकार राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) के तहत त्रिभाषा नीति को लेकर आमने-सामने हैं। जिसमें हिंदी को शामिल करना अनिवार्य है।
स्टालिन ने एक्स पर कहा, "एक ही हिंदी पहचान को थोपने की कोशिश ही प्राचीन मातृभाषाओं को मार रही है। उत्तर प्रदेश और बिहार कभी भी केवल 'हिंदी हृदयस्थल' नहीं थे। लेकिन उनकी वास्तविक भाषाएं अब अतीत की बात हो चुकी हैं।" उन्होंने इस घटना से जुड़े अपने पत्र को साझा किया।
स्टालिन ने अपने पत्र में कहा कि हिंदी को "राष्ट्र की एकमात्र एकीकृत भाषा मानना और अन्य सभी भाषाओं को दूसरे दर्जे पर मानने की धारणा भाषाई विविधता को मिटाने का एक जानबूझकर किया गया प्रयास है।" स्टालिन ने कई
भाषाओं की सूची दी, जो "अब अपने अस्तित्व के लिए संघर्ष कर रही हैं।" जिनमें भोजपुरी, मैथिली, अवधी, ब्रज, बुंदेली, गढ़वाली, कुमाऊंनी, मगही, मारवाड़ी, मालवी, छत्तीसगढ़ी, संथाली, अंगिका, हो, खड़िया, खोरठा, कुर्माली, कुरुख और मुंडारी आदि शामिल हैं।
स्टालिन ने पूछा कि क्या उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में आयोजित महाकुंभ में गैर-हिंदी साइनबोर्ड लगाए गए थे। जबकि वहां देशभर से लोगों के आने का दावा किया गया था।
भारतीय संविधान की आठवीं अनुसूची का हवाला देते हुए स्टालिन ने कहा कि इसमें 22 आधिकारिक रूप से मान्यता प्राप्त भाषाएं शामिल हैं, लेकिन कई अभी भी इसमें शामिल नहीं हैं। अगर विश्लेषण किया जाए, तो यह स्पष्ट हो जाएगा कि केंद्र का "लक्ष्य एकता नहीं बल्कि भाषाई विविधता को सिलसिलेवार तरीके से मिटाया जाना है।"
अगर देश की भाषाई विविधता के लिए सम्मान नहीं है, तो वह बहुप्रचारित 'भारतीय एकता' कहां है?
क्या यह मुद्दा पूरी राजनीतिक है
क्या यह चुनावी रणनीति हैः तमिलनाडु में अगले विधानसभा चुनाव 2026 में होने हैं, जो अभी दूर हैं, लेकिन स्थानीय निकाय चुनाव और राजनीतिक गहमागहमी इसे पहले से ही चर्चा में ला चुकी है। स्टालिन का यह रुख उनकी पार्टी की कोर विचारधारा—द्रविड़ अस्मिता और हिंदी विरोध—को मजबूत करता है, जो उनके वोटर आधार को एकजुट रखने का काम कर सकता है। साथ ही, केंद्र की बीजेपी सरकार पर हमला करके वे विपक्षी गठबंधन (INDIA) के हिस्से के रूप में अपनी स्थिति को भी मजबूत कर रहे हैं।
(रिपोर्ट और संपादनः यूसुफ किरमानी)