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मथुरा : मंदिर और ईदगाह, यूपी पुलिस की भेदभावपूर्ण कार्रवाई

फ़ैज़ल ख़ान मसजिद में नमाज़ अदा करते हैं, तो मंदिर में प्रसाद ग्रहण कर पुजारी से आशीर्वाद भी लेते हैं। लोगों के बीच में शांति और सौहार्द्र बना रहे इसके लिए उन्होंने देश के भीतर तो यात्राएं की ही हैं, देश के बाहर भी वह गए हैं।
अनिल शुक्ल
जैसी संभावना थी, ब्रज क्षेत्र के वातावरण को पिछले 7 दिन में नष्ट कर डाला गया। मथुरा और आगरा के इसलामिक धार्मिक केंद्रों पर कट्टरपंथी युवाओं ने उत्पात मचाया। गोवर्धन (मथुरा) की ईदगाह में 4 नवयुवकों ने ज़बरन हनुमान चालीसा का पाठ किया जबकि आगरा की 3 मज़ारों के चौतरफा घेरे को रातों-रात गेरुए रंग से पोत डाला गया। 

आगरा से कुछ दूर स्थित शमसाबाद की एक मज़ार पर हनुमान चालीसा पढ़े जाने का वीडियो भी वायरल हुआ है। 'विश्व हिन्दू परिषद्' के ब्रज प्रांत के सह संपर्क प्रमुख आशीष आर्य ने बयान जारी करके कहा है कि “दूसरे धार्मिक स्थलों पर हनुमान चालीसा पढ़े जाने में कुछ भी ग़लत नहीं है। यह भाईचारे और सद्भावना का कार्य है।“ 
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मामला क्या है?

माना जाता है कि यह कार्रवाई 29 अक्टूबर को 'ख़ुदाई ख़िदमतगार' संस्था के कार्यकर्ताओं द्वारा मथुरा स्थित नन्द बाबा के मंदिर में नमाज़ पढ़े जाने के विरोध में की गई हैं। 

'हिंदू धर्म से छेड़छाड़' के गंभीर आरोप में गिरफ़्तार फ़ैज़ल ख़ान के बारे पहले यह जान लेना ज़रूरी है कि वह है कौन। 48 वर्षीय फ़ैज़ल ख़ान सारी जिंदगी साम्प्रदायिक सदभावना के काम के लिए जाने गए हैं। फ़ैज़ल ख़ान अगर क़ुरान की आयतें पढ़ते हैं तो उतनी ही आसानी से रामचरितमानस पढ़ने में सिद्धहस्त हैं। 

कौन है फ़ैज़ल ख़ान?

2018 में जाने-माने प्रवचनकर्ता मुरारी बापू ने उन्हें अपने आश्रम महुआ बुलाकर सद्भावना पर्व पर पुरस्कृत किया था और अपनी सभा में बोलने का मौका भी दिया था। फ़ैज़ल ख़ान से रामचरित मानस के दोहे व चौपाई सुनकर मुरारी बापू इतने गदगद हो गए कि उन्होंने कहा कि वे एक दिन फ़ैज़ल ख़ान द्वारा जामिया मिल्लिया के निकट ‘ग़फ़्फ़ार मंजिल’ में स्थापित ‘सबका घर’  देखने जरूर आएंगे। 
‘सबका घर’ किसी भी प्रकार के भेदभाव के कारण शहीद हुए लोगों को समर्पित एक भव्य आवास है।  यह साम्प्रदायिक सद्भावना की एक ऐसी मिसाल है जहां विभिन्न धर्मों को मानने वाले लोग एक साथ रहते हैं और होली, दिवाली, ईद, क्रिसमस आदि सभी त्योहार मिलकर मनाते हैं। फ़ैज़ल ख़ान मॉब लिन्चिंग के सवाल पर पिछले वर्ष दिल्ली से कोलकाता तक हुई सामाजिक कार्यकर्ताओं की पदयात्रा में शामिल थे।
फ़ैज़ल ख़ान मसजिद में नमाज़ अदा करते हैं, तो मंदिर में प्रसाद ग्रहण कर पुजारी से आशीर्वाद भी लेते हैं। लोगों के बीच में शांति और सौहार्द्र बना रहे, इसके लिए उन्होंने देश के भीतर तो यात्राएं की ही हैं, देश के बाहर भी वह गए हैं।

सर्वधर्म समभाव

दोनों देशों के बीच भाईचारे के उद्देश्य से की गई उनकी बहुचर्चित भारत (दिल्ली) से पाकिस्तान (मुल्तान) यात्रा का दोनों देशों की जनता ने ज़बरदस्त स्वागत किया था। इस यात्रा में देश के अनेक प्रमुख सामाजिक कार्यकर्ता भी शामिल थे। पिछले वर्ष उन्होंने अयोध्या में ‘सरयू आरती’ में भी हिस्सा लिया।
mathura : hanuman chalisa in eidgah, namaz in temple and UP Police - Satya Hindi
मथुरा स्थित नंद गाँव मंदिर
फ़ैज़ल ख़ान अयोध्या के ‘राम-जानकी मंदिर’, दुराही कुआं, सरजू कुंज स्थित ‘सर्व धर्म सद्भाव केन्द्र न्यास’ के न्यासी भी हैं। अनेक सामाजिक और सांस्कृतिक कार्यकर्ताओं के सहयोग से आचार्य युगल किशोर शास्त्री के इस मंदिर को एक सर्वधर्म सद्भाव केन्द्र के रूप में विकसित करने की योजना है।

मंदिर में क्या हुआ?

इस मंदिर में फ़ैज़ल ख़ान ने कई बार आ कर नमाज़ अदा की है। इस मंदिर में दलित समेत सभी जातियों और धर्मों के मानने वाले का स्वागत होता है। इस मंदिर में लंगर का आयोजन भी होता है, जिसकी संचालन समिति के अध्यक्ष फैजाबाद के दानिश अहमद हैं।  

फैज़ल ने देश भर में घूम-घूम कर सीमांत गाँधी ख़ान अब्दुल ग़फ़्फ़ार ख़ान के संगठन 'ख़ुदाई ख़िदमतगार' को पुनर्गठित किया है। महात्मा गाँधी के शिष्य और 'भारत रत्न' सीमांत गाँधी ने इस संगठन को सर्व धर्म सम भाव के चिंतन के आधार पर खड़ा किया था।
फ़ैज़ल ख़ान ने बह्मचारी आत्मबोधानंद के समर्थन में ( जो उस समय ‘मातृसदन आश्रम’, हरिद्वार में गंगा के संरक्षण हेतु एक क़ानून बनाने की मांग को लेकर अनशन पर बैठे हुए थे),  2019 मार्च में दिल्ली से हरिद्वार तक की पदयात्रा का भी आयोजन किया था और बाद में फरवरी 2020 में,  दिल्ली में हुए साम्प्रदायिक दंगों में आश्रम के प्रमुख स्वामी शिवानंद को ले जाकर, उनके हाथों से एक क्षतिग्रस्त मसजिद को कुछ राहत का सामान भी दिलवाया था और राहत शिविर में पीड़ितों से मिलवाया था। 

मंदिर में नमाज़ का सच

'परिक्रमा' पूरी करके ये लोग विभिन्न मंदिरों में अभ्यर्थना करते और स्थानीय पुरोहितों और मंदिर में मौजूद भक्त जनों आदि के समक्ष अपनी यात्रा का उद्देश्य बताते हुए 29 अक्टूबर को नंदगांव के प्रसिद्ध 'नन्द बाबा मंदिर' में पहुंचे। फ़ैज़ल ने मीडिया को बताया कि
“यहां मौजूद सेवायतों और भक्त जनों से हमारे अपने उद्देश्य की चर्चा के दौरान ही नमाज़ का समय हो गया था। जब हमने वहाँ मौजूद लोगों से नज़दीक में किसी मसजिद की बाबत पूछा तो सेवायत कान्हा आदि ने कहा कि जब आप सभी धर्मों को सामान समझते हैं तो यहाँ क्या मतभेद? यह भी भगवान का घर है। आप नमाज़ यहां भी कर सकते हैं, हमें कोई आपत्ति नहीं। सेवायतों का ऐसा उत्तर सुनकर हम लोगों को बड़ी प्रसन्नता हुई और मैंने और चाँद ख़ान ने मंदिर में ही अपनी नमाज़ अदा की।" 

विवाद क्यों?

यहां तक सब ठीक था। बाहर निकल कर ‘सर्वधर्म समभाव’ के इन आस्थावानों ने मंदिर के सेवायतों की इस 'ऊंची' सोच की प्रशंसा की नीयत से नमाज़ की अपनी तसवीरों को सोशल मीडिया पर अपलोड कर दिया। इस वीडियो में मंदिर के सेवायतों से हुई उनकी धार्मिक चर्चा, सेवायतों से प्रसाद ग्रहण करना तथा सेवायतों द्वारा उनसे नमाज़ मंदिर प्रांगण में कर लेने की बात कहने के ब्यौरे दर्ज़ हैं।

 उनका तस्वीरें अपलोड करना था कि बवाल उठ खड़ा हुआ। न सिर्फ़ मथुरा, बल्कि दिल्ली तक के 'हिन्दू' और 'इसलाम' के आस्थावानों ने जम कर उत्पात मचाया।
सोशल मीडिया पर 3 दिन तक मंदिर परिसर के 'अपवित्र' होने और उसे पवित्र करने की नियत से गंगाजल से धोने आदि की तसवीरें आदि चलती रहीं।

उधर इसकी प्रतिक्रियास्वरूप कई मुसलिम कठमुल्लावादी संगठनों के सोशल नेटवर्क पर भी फ़ैज़ल और उनके संगठन पर 'इसलाम को नष्ट किये जाने' के आरोप की टिप्पणियां वायरल हुईं। 

दबाव में सेवायत

मथुरा-वृन्दावन के कथित संत समाज ने 'नन्द बाबा मंदिर' के सेवायतों को इस 'जघन्य अपराध' के लिए कस कर धमकाया और कठोर दबाव डाला। तीसरे दिन यानी 1 नवंबर की रात 'मंदिर' के सेवायत कान्हा, मुकेश और शिवहरि गोस्वामी की तहरीर के आधार पर पुलिस थाना बरसाना में सब इन्स्पेक्टर दीपक कुमार पांडेय की ओर से एफआईआर दर्ज़ करवाई गई। 

इन लोगों ने पुलिस को बताया कि फ़ैज़ल आदि ने रसखान, मीरा आदि की हमसे चर्चा की जो उनका भक्त होना दर्शाती थी। राजभोग का समय हो जाने पर हम लोग मंदिर के गर्भगृह में चले गए, इसी बीच इन्होने नमाज़ पढ़ फोटो को वायरल कर दिया।
एसएसपी (मथुरा) ने सोमवार की शाम स्थानीय संवाददाताओं के समक्ष कहा कि समूचे प्रकरण की जांच की जा रही है, लेकिन पुलिस ने 2 नवंबर की रात ही फ़ैज़ल को नयी दिल्ली स्थित जामिया नगर के उनके आवास से गिरफ़्तार कर लिया। बाक़ी 3 लोगों की खोज की जा रही है। 

पीएफ़आई से जुड़े तार?

सोमवार 2 अक्टूबर को 'न्यूज़ 24 टीवी चैनल के जरिये इस प्रकरण को एक नया रूप देने की कोशिशें चलती रहीं। सारे दिन यह ख़बर चलाई गई की मंदिर और ‘हिन्दू आस्थाओं का विनाश’ करने वाले इन लोगों को मथुरा में जिस संगठन ने आमंत्रित किया, उसके संयोजक के तार 'पॉपुलर फ्रंट ऑफ़ इंडिया' (पीएफआई)  से जुड़े हुए हैं। वस्तुतः 'क़ौमी एकता संगठन' नामक उक्त संस्था के संयोजक मधुवन दत्त चतुर्वेदी की गिनती मथुरा के वरिष्ठ वकीलों में होती है। 

मथुरा में हाल ही में गिरफ़्तार किये गए मलयाली पत्रकार व 3 अन्य मुसलिम युवकों के वक़ील होने के नाते कोर्ट में पैरवी कर रहे हैं। पुलिस ने इन युवकों को ‘पीएफआई’ से जुड़ा होने का आरोप लगाया है। श्री चतुर्वेदी टीवी चैनल के इस मीडिया ट्रायल से बेहद आहत हैं। 'सत्य हिंदीं' से बातचीत में उन्होंने बताया,
"ख़ुदाई खिदमतगार संस्था एक सर्व धर्म सम भाव संस्था है जो धर्म के ज़रिये समाज में प्रेम के प्रसार का काम कर रही है। हमारा 'क़ौमी एकता मंच' भी लम्बे समय से कमोबेश समाज में ऐसे ही प्रेमपूर्ण मूल्यों को लोकप्रिय बनाने की दिशा में अग्रसर है इसीलिये उनका नागरिक अभिनन्दन करना हम अपना कर्तव्य समझते हैं।"
पीएफआई’ से तार जुड़े होने के आरोप के बारे में पूछे जाने पर उनका कहना है कि “अदालत में मुज़रिम की पैरोकारी करना मेरा पेशा है। उसका धर्म और राजनीति से कोई ताल्लुक़ नहीं। यह आरोप शरारतपूर्ण और राजनीति से प्रेरित है।“

पुलिस की कार्रवाई

आश्चर्यजनक बात यह है कि मथुरा पुलिस ने गांधीवादी 'ख़ुदाई ख़िदमतगार' संस्था के सचिव फ़ैज़ल खान को दिल्ली जाकर गिरफ़्तार किया। पुलिस ने उन पर विदेशी फंडिंग का संदेह, आईपीसी की गंभीर धाराओं- 153ए (विभिन्न समुदायों में शत्रुता को बढ़ावा देना), 295 (धार्मिक स्थल पर उत्पात करके धार्मिक भावनाएं भड़काना), 505 (सार्वजानिक क्षति) के तहत मुक़दमा दर्ज़ किया। 3 नवम्बर को मामले में आईपीसी की धाराएं 419 (प्रतिरूपण द्वारा छल), 420 (धोखाधड़ी), 453 (दूसरे के घर में दाखिल होना), 468 (धोखे के लिए कूटरचना) व 470 (धोखाधड़ी के दस्तावेज तैयार करना) बढ़ा दी गई हैं। इसके चलते 14 दिन की न्यायिक हिरासत में उन्हें जेल भेज दिया गया।
गोवर्धन की बरसाना रोड स्थित ईदगाह में ज़बरन हनुमान चालीसा पढ़ने वाले 4 नवयुवकों को पुलिस ने सीआरपीसी की मामूली धारा 151 (शांति भंग का अंदेशा) के तहत एसडीएम की अदालत में पेश किया, जहाँ पुलिस द्वारा किसी प्रकार की आपत्ति न दर्शाने पर उन्हें निजी मुचलकों पर छोड़ दिया गया।
इन पंक्तियों के लिखे जाने तक आगरा की घटना पर किसी को गिरफ़्तार नहीं किया गया है।

शिवानंद सरस्वती ने क्या कहा?

बहरहाल धार्मिक सद्भाव के एक सहयात्री को जिस तरह से बदनीयती के आरोप में घेरा गया है, वह दुखद है। फ़ैज़ल की गिरफ़्तारी पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए हरिद्वार स्थित 'मातृसदन' के प्रमुख स्वामी शिवानंद सरस्वती ने कहा कि इस तरह से हिन्दू धर्म को अज्ञानता में धकेल देना दुखद है। 'सत्य हिंदी' से बातचीत में उन्होंने कहा,

"अव्वल तो फ़ैज़ल का परमीशन लेकर प्रार्थना करने का बयान वीडियो से स्पष्ट है। यदि उन्होंने बिना परमीशन के भी प्रार्थना की होती तो वैदिक धर्म इतना व्यापक है कि किसी पवित्र जगह पर किसी सुप्रीम लार्ड की आराधना करने को ग़लत कार्य नहीं मानता।"


स्वामी शिवानंद सरस्वती, 'मातृसदन' के प्रमुख

सामाजिक कार्यकर्ता और 'मैग्सेसे पुरस्कार' से सम्मानित संदीप पण्डे ने फ़ैज़ल की गिरफ़्तारी पर गहरा रोष व्यक्त किया है। 'सत्य हिंदी' से बातचीत में उन्होंने कहा कि समाज को फ़ैज़ल को ठीक-ठीक नज़रों से समझना चाहिए। वह और उन जैसे लोग सामाजिक सद्भाव के लिए अपना सब कुछ क़ुर्बान कर रहे हैं जबकि स्वार्थी तत्व समाज को बांटने की कोशिश में जुटे हैं।
सोशलिस्ट पार्टी (मध्य प्रदेश) के अध्यक्ष रामस्वरूप और महामंत्री दिनेश कुशवाहा ने भी कड़े शब्दों में फ़ैज़ल ख़ान की गिरफ़्तारी की कड़े शब्दों में निंदा की है।  

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