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मुज़फ़्फ़रनगर शिक्षक विवाद पर बीजेपी, सपा, बीकेयू की एक राय क्यों?

मुजफ्फरनगर ज़िले के निजी स्कूल में शिक्षिका द्वारा छात्रों से मुस्लिम छात्र की पिटाई कराए जाने के मामले में विपरीत विचारधाराओं वाले राजनीतिक दलों और संगठनों की एक राय दिखती है। बीजेपी, समाजवादी पार्टी और भारतीय किसान यूनियन यानी बीकेयू क़रीब-क़रीब एक जैसी बात करते दिखते हैं। वे इस मामले में समाज की बैठक कराने, दोनों पक्षों में आपसी रजामंदी होने और मुद्दे का समाधान निकालने की बात करते दिखते हैं। वे इसमें सांप्रदायिक ऐंगल को नकारते हैं। तो सवाल है कि आख़िर वे सब एक ही राय कैसे रखते हैं?

उत्तर प्रदेश में बीजेपी, समाजवादी पार्टी और भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) की राय क्या-क्या है, यह जानने से पहले यह जान लें कि यह पूरा मामला क्या है।

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मामला मुजफ्फरनगर ज़िले के नेहा पब्लिक स्कूल खुब्बापुर का है। यह उस गाँव का एकमात्र निजी स्कूल है, जिसकी मालिक तृप्ता त्यागी हैं। इन पर सांप्रदायिक टिप्पणी करने और बच्चों को उनके सहपाठी को मारने का आदेश देने का आरोप है। ऐसा उन्होंने कथित तौर पर इसलिए किया क्योंकि छात्र ने मल्टीप्लीकेशन टेबल में गलती कर दी थी।

इंटरनेट पर वायरल हुए वीडियो में त्यागी बच्चों को उस लड़के को थप्पड़ मारने का आदेश देती नज़र आईं। इसके साथ ही वह वीडियो में यह भी कहती हुई सुनी गईं, 'मैंने तो डेक्लेयर कर दिया, जितने भी मोहमडन बच्चे हैं, इनके वहां चले जाओ...'। लड़के के बयान और उसके पिता की शिकायत के आधार पर त्यागी के खिलाफ आईपीसी की धारा 323 (चोट पहुंचाना) और 504 (शांति भंग करने के इरादे से जानबूझकर अपमान) के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई।

इस मामले में भाजपा नेता और केंद्रीय मंत्री संजीव कुमार बालियान ने कहा है कि इस प्रकरण में कोई सांप्रदायिक ऐंगल नहीं है। प्रिंसिपल तृप्ता त्यागी और नाबालिग के माता-पिता के बीच समझौता कराने के लिए आयोजित पंचायत में सपा और बीकेयू के प्रतिनिधि मौजूद थे।
कहा जाता है कि इसका कारण पश्चिमी उत्तर प्रदेश में त्यागी लोगों की राजनीतिक पकड़ हो सकती है, जो धार्मिक सीमाओं से परे एक समूह के रूप में पहचान रखते हैं।

'द इंडियन एक्सप्रेस' की रिपोर्ट के अनुसार रविवार को तृप्ता त्यागी से मुलाकात करने वाले बालियान ने कहा कि लड़के के गाँव के लोगों ने एक बैठक की थी और इस मुद्दे को आपसी बातचीत के माध्यम से हल करने का संकल्प लिया था, क्योंकि वे राजनीतिक नेताओं का हस्तक्षेप नहीं चाहते थे। 

रिपोर्ट के अनुसार बालियान ने कहा, 'संदेश साफ़ है। लोग अपने यहाँ राजनीतिक पर्यटन की इजाजत नहीं देंगे, जिसका मतलब है कि एक छोटी सी घटना को तूल देने वाले नेताओं के एक वर्ग को स्थानीय लोगों को राजनीतिक या धार्मिक कठपुतली के रूप में इस्तेमाल करने का मौका नहीं मिलेगा... जनता ने इन्हें आईना दिखा दिया है।'

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26 अगस्त को बीकेयू प्रमुख नरेश टिकैत, पूर्व सांसद और एसपी नेता हरेंद्र मलिक और त्यागी-भूमिहार-ब्राह्मण समाज के प्रमुख मांगे राम त्यागी, लड़के के गांव में आयोजित एक पंचायत में उपस्थित थे। जहां एक पैच-अप किया गया था। अंग्रेजी अख़बार की रिपोर्ट के अनुसार टिकैत का कहना है कि उन्होंने शिक्षिका को आश्वासन दिया है कि उनके खिलाफ एफआईआर वापस ली जा सकती है।

द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार एसपी मेरठ इकाई के पूर्व प्रमुख राजपाल सिंह ने कहा, 'जिस गांव में थप्पड़ मारने की घटना हुई, वहाँ के स्थानीय लोगों ने इस मुद्दे को खुद ही सुलझाने की पहल की है। बुजुर्ग शिक्षक ने माफी मांग ली है और नाबालिग के पिता ने कहा है कि वह इस मुद्दे को तूल देने के मूड में नहीं हैं, लेकिन राजनीतिक नेता अगले आम चुनाव से पहले राजनीतिक लाभ लेने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं।' 

रिपोर्ट के अनुसार मेरठ के किठौर से सपा विधायक और मुस्लिम त्यागी नेता शाहिद मंजूर लोगों को आगाह करते हैं कि वे 'नेताओं के एक वर्ग के राजनीतिक मंसूबों से सावधान रहें, जिनकी एकमात्र रुचि समुदायों के बीच दरार पैदा करना है'। मंज़ूर ने कहा, 'सत्तारूढ़ बीजेपी थप्पड़ मारने की घटना को 2013 के मुजफ्फरनगर दंगों की तरह एक और शक्तिशाली राजनीतिक हथियार के रूप में इस्तेमाल करती, लेकिन उन्हें एहसास हुआ कि वे खेल हार सकते हैं, और इसलिए वे पीछे हट गए।'

भाजपा व्यापार प्रकोष्ठ के राज्य प्रमुख विनीत शारदा इस घटना को एक सामाजिक मुद्दा बताते हैं और कहते हैं कि किसी को भी इसे राजनीतिक रंग नहीं देना चाहिए। उन्होंने कहा, 'हमें बचपन से सिखाया गया है कि गुरु को अपनी माँ के समान सम्मानित किया जाना चाहिए। संबंधित शिक्षक दिव्यांग है। अगर उन्होंने अपने छात्र को गणितीय तालिका न सुनाने के लिए दंडित किया तो इसमें गलत क्या था? क्या मदरसों में छात्रों को पीटा नहीं जाता? ये नेता मदरसों के मुद्दे क्यों नहीं उठाते?' 

बीकेयू के नरेश टिकैत ने कहा कि मुद्दा सुलझा लिया गया है। उन्होंने कहा, 'शिक्षक ने कुछ भी गलत नहीं किया है, और मेरी व्यक्तिगत राय में, न तो उन्हें एफआईआर का सामना करना चाहिए, न ही घटना के बाद स्कूल की मान्यता रद्द की जानी चाहिए।'

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इधर पश्चिमी यूपी की प्रमुख पार्टी आरएलडी के प्रमुख जयंत चौधरी ने पूछा कि क्या भाजपा नेता यह दिखाने की कोशिश कर रहे हैं कि इस प्रकरण में कोई सांप्रदायिक ऐंगल नहीं था, क्या वे अपने बच्चों को ऐसे स्कूल में भेजेंगे। पीटीआई से बातचीत में उन्होंने केंद्र और यूपी में भाजपा सरकारों पर हमला किया। उन्होंने कहा, 'जब मैंने वह क्लिप (बच्चे की पिटाई की) देखी, तो मैंने एक बुरे शिक्षक को देखा। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि भाजपा नेता शिक्षक को न्याय दिलाने की बात कर रहे हैं। वे एक त्यागी को देख रहे हैं। मैं वहां कोई त्यागी नहीं देख रहा हूं, मैं वहां कोई 'समाज' नहीं देख रहा हूं। मैं वहां किसी समुदाय को लक्ष्य नहीं कर रहा हूं, मैं सिर्फ सवाल पूछ रहा हूं - क्या हम अपनी भावी पीढ़ियों के साथ इसी तरह व्यवहार करना चाहते हैं? क्या हम छह, सात या आठ साल की उम्र में उनकी मासूमियत छीन लेना चाहते हैं?' 

प्रिंसिपल ने दावा किया है कि मामले को सांप्रदायिक रंग देने के लिए क्लिप के साथ छेड़छाड़ की गई है। हालाँकि उन्होंने स्वीकार किया है कि छात्र को उसके सहपाठियों द्वारा थप्पड़ मारना गलत था, उन्होंने कहा कि उन्होंने ऐसा इसलिए किया क्योंकि वह शारीरिक रूप से अक्षम थीं।

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क़मर वहीद नक़वी
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