जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के पीड़ितों की स्मृति में ग्लोबल गांधी नेटवर्क ने एक ऑनलाइन सर्वधर्म प्रार्थना सभा का आयोजन किया। इस वर्चुअल सभा में भारत, अमेरिका, कैलिफोर्निया, लंदन, कनाडा, बांग्लादेश, अफगानिस्तान सहित कई देशों से सैकड़ों प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया। इस आयोजन ने महात्मा गांधी के अहिंसा और शांति के सिद्धांतों को वैश्विक मंच पर फिर से जीवंत कर दिया। इसमें सामाजिक एकजुटता, प्रार्थना की शक्ति और समकालीन चुनौतियों में गांधीवादी मूल्यों की प्रासंगिकता पर गहन चर्चा हुई।

‘अंतरराष्ट्रीय शांति प्रार्थना सभा’ का आयोजन ग्लोबल गांधी नेटवर्क द्वारा किया गया। इसका उद्देश्य पहलगाम हिंसा के ख़िलाफ़ वैश्विक स्तर पर शांति और अहिंसा का संदेश फैलाना था। सभा में प्रमुख गांधीवादी चिंतकों, समाजसेवियों, और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने हिस्सा लिया। सर्व सेवा संघ के अध्यक्ष चंदन पाल, गुजरात विद्यापीठ के पूर्व कुलपति अनामिक शाह, गांधी रिसर्च फ़ाउंडेशन के निदेशक सुदर्शन अय्यंगर, गांधी मेमोरियल म्यूज़ियम दिल्ली के निदेशक डॉ. अन्नामलाई, श्री जमनालाल बजाज मेमोरियल लाइब्रेरी एंड रिसर्च सेंटर फॉर गांधीयन स्टडीज के निदेशक सिबी के. जोसेफ और बांग्लादेश सुप्रीम कोर्ट की अधिवक्ता लुबना यास्मिन ने अपने विचार साझा किए। वक्ताओं ने पहलगाम हमले को मानवता पर हमला क़रार देते हुए सामाजिक समरसता और राष्ट्रीय एकता को मज़बूत करने की ज़रूरत पर बल दिया।

सभा का संचालन करते हुए वरिष्ठ पत्रकार राम दत्त त्रिपाठी ने अपने प्रारंभिक वक्तव्य में कहा, 'धर्म के नाम पर, धार्मिक पहचान के आधार पर की गई इस क्रूर हिंसा ने पूरी दुनिया को शर्मसार और स्तब्ध कर दिया है। हम पीड़ित परिवारों के प्रति अपनी गहरी संवेदना व्यक्त करते हैं और विश्वास करते हैं कि सरकार और समाज इस दुख की घड़ी में उनके साथ खड़ा रहेगा।' 

सर्व सेवा संघ के अध्यक्ष चंदन पाल ने पहलगाम हमले के बाद देश में सांप्रदायिक उन्माद फैलाने की कोशिशों पर कड़ा ऐतराज जताया। उन्होंने कहा, 'इस घटना को सांप्रदायिक रंग देना आतंकवादियों के मंसूबों को मज़बूत करना है। यह उनके हाथों में खेलने जैसा है। हमें गांधीजी के दिखाए एकता और अहिंसा के मार्ग पर चलकर ऐसी ताकतों को हराना होगा।'

गुजरात विद्यापीठ के पूर्व कुलपति अनामिक शाह ने इसे इतिहास की क्रूरतम घटनाओं में से एक बताते हुए कहा, 'हमारा देश एकता की नींव पर खड़ा है। इस एकता को बचाने के लिए सभी धर्मों, समुदायों, और नागरिकों को एकजुट होना होगा।'

गांधी रिसर्च फाउंडेशन के निदेशक प्रो. सुदर्शन अय्यंगर ने शांति और प्रेम का संदेश देते हुए आह्वान किया, 'हर व्यक्ति को अपने स्तर पर शांति का यह संदेश समाज तक पहुँचाना होगा। छोटे-छोटे प्रयासों को निरंतर जारी रखकर हम हिंसा के खिलाफ मजबूत दीवार खड़ी कर सकते हैं।'

सभा में सांस्कृतिक और आध्यात्मिक प्रस्तुतियों ने सभी के दिलों को छुआ। चर्चित गीतकार फराज़ खान ने महात्मा गांधी का प्रिय भजन 'वैष्णव जन तो तेने कहिये' का सुमधुर गायन प्रस्तुत किया, जिसने सभा में एकता और करुणा का भाव जगाया।

ओरा वर्ल्ड मंडला, मेक्सिको की सोनिया देवतो और उनकी टीम—योलान्डा सर्वेंट्स, रोसी री, फौद, अडुई, इरेन क्रूज़, और विक्टर क्विंटाना—ने दक्षिण अमेरिका से प्रार्थनाएँ और शांति संदेश साझा किए। प्रेमा अन्नामलाई ने तमिल भक्ति संगीत की मार्मिक प्रस्तुति दी, जबकि वैभव कुमार ने 'रघुपति राघव राजा राम' भजन गाकर सभा को भावविभोर कर दिया।

इस वर्चुअल आयोजन में कई गणमान्य व्यक्तियों ने शिरकत की। सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर, तकनीकी विशेषज्ञ और नीति निर्माता सैम पित्रोदा, गांधी चिंतक व शहरी रणनीतिकार उदय डंडवाटे, और अफगानिस्तान के गजनी प्रांत के पर्यावरण संरक्षण विभाग के पूर्व निदेशक मोहम्मद रज़ा रफ़त ने अपने विचार रखे। ग्लोबल गांधी नेटवर्क के संस्थापक सदस्य विशाल शिवहरे (कनाडा) और अन्य सदस्य जितेंद्र पुरी, विशाल शर्मा, और विवेक कुमार साव भी उपस्थित रहे। इन सभी ने हिंसा के खिलाफ वैश्विक एकजुटता की आवश्यकता पर जोर दिया।

सभा का समापन पहलगाम हिंसा के पीड़ितों की स्मृति में दो मिनट की मौन श्रद्धांजलि के साथ हुआ। ग्लोबल गांधी नेटवर्क ने इस आयोजन के माध्यम से वैश्विक स्तर पर शांति और अहिंसा का संदेश मज़बूत करने का संकल्प दोहराया। आयोजकों ने कहा, 'जब विश्व में हिंसा बढ़ रही है तब दुनियाभर से सैकड़ों आवाज़ें एकजुट होकर शांति और अहिंसा के लिए प्रार्थना कर रही हैं। यह सभा न केवल पहलगाम के पीड़ितों को श्रद्धांजलि है, बल्कि वैश्विक शांति के लिए एक कदम है।'