तब्लीग़ी के मौलाना साद ग़लती मानने को तैयार नहीं हैं। उनका जवाब आया है। वे इसे साज़िश क़रार दे रहे हैं। कह रहे हैं कि तब्लीग़ी को बदनाम किया जा रहा है। अपनी बेवक़ूफ़ी की वजह से हज़ारों लोग की जान जोखिम में डालने वाले इस शख़्स को कब अक़्ल आयेगी? देखिए आशुतोष की बात।
पत्रकारिता में एक लंबी पारी और राजनीति में 20-20 खेलने के बाद आशुतोष पिछले दिनों पत्रकारिता में लौट आए हैं। समाचार पत्रों में लिखी उनकी टिप्पणियाँ 'मुखौटे का राजधर्म' नामक संग्रह से प्रकाशित हो चुका है। उनकी अन्य प्रकाशित पुस्तकों में अन्ना आंदोलन पर भी लिखी एक किताब भी है।