पहलगाम के आतंकी हमले में 26 निर्दोष लोग मारे गए। इस घटना से यह बात और भी पुख्ता हो गई कि आतंकवाद कायरों का दर्शन है, जो आमने सामने आकर सरकार और एक प्रशिक्षित फोर्स से नहीं टकरा सकता इसलिए निर्दोष और निहत्थे लोगों को अपना शिकार बनाता है। सरकार को ऐसे दर्शन और इसके पीछे छिपे लोगों को जड़ से मिटाने का प्रयास करना चाहिए और शायद इस घटना के बाद सरकार ऐसे प्रयास करे भी। लेकिन इन सबके पीछे यह सवाल भी छिपाया नहीं जा सकता कि 2014 से केंद्र में मोदी सरकार है, 2019 में तमाम वादों और आश्वासनों के साथ अनुच्छेद-370 को हटा दिया गया, साथ ही यह कहा गया कि आतंकवाद अब जड़ से ख़त्म हो जाएगा। यह भी आश्वासन दिया गया कि कश्मीर अब वैसा नहीं रहेगा, पूरा बदल जाएगा। लेकिन वादा करने के बाद सरकार सबकुछ भूल गई। सरकार यह भी भूल गई कि नागरिकों की सुरक्षा उसका दायित्व है, नागरिक खुद अपनी सुरक्षा का ज़िम्मा नहीं ले सकता। लेकिन पहलगाम को लेकर जिस तरह की रिपोर्ट मिल रही हैं उससे पता चलता है कि सरकार की तरफ़ से सुरक्षा में भारी चूक हुई है। अब यह सवाल ज़रूरी हो जाता है कि कश्मीर में सुरक्षा किसका दायित्व है? यहाँ हुई चूक और इसकी वजह से गई जानों के लिए कौन जिम्मेदार है? जो भी जिम्मेदार है क्या उसके ख़िलाफ़ कोई कार्यवाही की गई है?
पहलगाम आतंकी हमला: बीजेपी सरकार में जवाबदेही तय क्यों नहीं?
- विमर्श
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- 27 Apr, 2025

2008 के मुंबई हमले के बाद मनमोहन सिंह सरकार ने अपने गृहमंत्री का इस्तीफ़ा ले लिया था, क्या मोदी सरकार ने पहलगाम हमले के बाद अपने गृहमंत्री का इस्तीफ़ा लिया? या ले सकती है?