विदेशी पत्रकारों का मुँह खुला का खुला रह गया। एक रथ का रूप धरे गोल्फ कार्ट पर, जिसके पीछे क्रिकेट के बल्लों को भद्दे तरीक़े से सजाया गया था, दो देशों के प्रधानमंत्री एक क्रिकेट के मैदान की परिक्रमा कर रहे थे। मैदान था अहमदाबाद के नरेंद्र मोदी स्टेडियम का, जिसमें भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश के मेहमान, ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री के साथ भारतीय जनता पार्टी के नेताओं के पैसों से जुटाई गई भीड़ का अभिवादन कर रहे थे, उससे अभिवादन स्वीकार कर रहे थे। यह क्रिकेट प्रेमियों की नहीं, ‘मोदी प्रेमियों’ की भीड़ थी। लेकिन वह भी अपने नेता के दर्शन को ख़ुद नहीं आई थी। शायद अगर उसे अपनी जेब से अपने नेता के दर्शन के लिए कुछ खर्च करना होता तो वह घर ही रहती और टेलीविज़न के पर्दे पर उसे देख निहाल हो लेती। लेकिन भारत में हर चीज़ एक ढोंग या स्वाँग बन गई है। जैसे जो रथ कहा जा रहा है, वह गोल्फ कार्ट है उसी तरह जो जनता दीख रही है, वह पैसे से जुटाई गई भीड़ है। वैसे ही जैसे जो प्रधानमंत्री दीखता है, वह असल में सिर्फ़ राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का स्वयंसेवक है। जो सरकार दीखती है, वह देश पर कब्जा जमाने की एक मशीन है।
क्रिकेट मैदान पर पीएम मोदी का क्या काम!
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- 13 Mar, 2023

मौक़ा था भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच क्रिकेट मैच का। ऑस्ट्रेलिया से आए पत्रकार हैरान रह गए जब उन्होंने क्रिकेट के खेल का ऐसा निर्लज्ज इस्तेमाल भारत के प्रधानमंत्री की छवि को चमकाने के लिए किए जाते देखा।
कुछ भी सच नहीं है। जब मोदी प्रेमी अपने आराध्य को देख हुलस रहे थे, उसका हाथ तो उनकी दिशा में हिल रहा था, लेकिन ख़ुद वह अपने दर्शनार्थियों को नहीं, कैमरे को देख रहा था। उसकी आँखों में जनता नहीं थी, भविष्य के लिए उसे रिकॉर्ड करता कैमरा था। ये तस्वीरें काफ़ी कुछ खोलती हैं। एक तरफ़ ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री हैं जो कैमरे से बेफिक्र भीड़ की तरफ़ देख रहे हैं, दूसरी तरफ़ नरेंद्र मोदी जिनके हाथों और आँखों की दिशाएँ दो हैं।