केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह पश्चिम बंगाल के दौरे पर हैं। शाह की मिदनापुर रैली में टीएमसी छोड़कर आए शुभेंदु अधिकारी ने बीजेपी का दामन थाम लिया। शुभेंदु के अलावा टीएमसी के सांसद सुनील मंडल भी बीजेपी में शामिल हो गए। अप्रैल-मई,2021 में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले
टीएमसी और बीजेपी के बीच सियासी युद्ध तेज़ हो गया है।
अमित शाह ने रैली को संबोधित करते हुए कहा कि ममता बनर्जी ने मां, माटी, मानुष के नारे को तुष्टिकरण और भतीजावाद में बदल दिया। गृह मंत्री ने कहा कि मोदी सरकार की योजनाओं का लाभ बंगाल के लोगों को नहीं मिलता है। उन्होंने कहा कि लोकसभा चुनाव में बीजेपी को 18 सीटें मिलीं और विधानसभा चुनाव में हम 200 से ज़्यादा सीटें जीतेंगे और सरकार बनाएंगे। शाह ने रैली के दौरान जय श्री राम के नारे लगवाए।
गृह मंत्री ने कहा, ‘कोरोना काल में मोदी सरकार ने जो अनाज भेजा, उसे टीएमसी के गुंडे चट कर गए। जब तक ममता दीदी है, तब तक बंगाल के लोगों को आयुष्मान योजना का फ़ायदा नहीं मिल सकता।’
अमित शाह ने कहा कि पूरा बंगाल ममता बनर्जी के ख़िलाफ़ खड़ा हो गया है। उन्होंने राजनीतिक हिंसा में मारे गए बीजेपी के कार्यकर्ताओं का नाम लिया और कहा कि उनके कार्यकर्ता ममता सरकार के ख़िलाफ़ और ताक़त के साथ लड़ेंगे।
चुनाव हारेगी टीएमसी: शुभेंदु
बीजेपी में शामिल होने के बाद शुभेंदु अधिकारी ने कहा कि बंगाल की आर्थिक हालत बेहद ख़राब है और इसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों में सौंपने की ज़रूरत है। उन्होंने कहा कि टीएमसी ने उन्हें अपमानित किया और अब धोखेबाज़ बता रही है। शुभेंदु ने कहा कि ममता बनर्जी किसी की मां नहीं हैं, केवल एक ही मां है और वह भारत माता है।
पूर्व परिवहन मंत्री शुभेंदु ने कहा कि टीएमसी को 2021 के चुनाव में हार मिलेगी। उन्होंने पार्टी नेतृत्व और अमित शाह को उन्हें बीजेपी में शामिल करने के लिए धन्यवाद दिया।
बंगाल चुनाव पर देखिए चर्चा-
शुभेंदु ने कुछ दिन पहले हुगली रिवर ब्रिज कमिश्नर (एचआरबीसी) के अध्यक्ष पद से और उसके अगले दिन परिवहन मंत्री पद से भी इस्तीफ़ा दे दिया था और टीएमसी को भी अलविदा कह दिया था।पूर्वी मिदनापुर
सहित बंगाल के कई इलाक़ों में शुभेंदु अधिकारी का अच्छा जनाधार माना जाता है। शुभेंदु को मनाने की कई कोशिशें ममता बनर्जी की ओर से की गईं लेकिन बात नहीं बनी। शुभेंदु अधिकारी मिदनापुर जिले की नंदीग्राम सीट से विधायक रहे हैं। नंदीग्राम का नाम तब चर्चा में आया था, जब 2007 में जमीन अधिग्रहण के ख़िलाफ़ हिंसक आंदोलन हुआ था और टीएमसी के सत्ता में पहुंचने का रास्ता साफ हुआ था।
शुभेंदु मालदा, मुर्शिदाबाद, पुरूलिया और बांकुरा में टीएमसी के प्रभारी रहे हैं। इन जिलों में उन्होंने पार्टी को मजबूत करने के लिए काफी काम भी किया है। ऐसे में उनके जाने से इन इलाक़ों में टीएमसी को नुक़सान हो सकता है।
पश्चिम बंगाल में ममता सरकार को हटाने को बीजेपी ने नाक की लड़ाई बना लिया है। हाल ही में पश्चिम बंगाल के दौरे पर पहुंचे बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के काफिले पर हुए पथराव के बाद राज्य की सियासत में पहले से जारी घमासान की आग में घी पड़ गया है। बीजेपी ने अपने कार्यकर्ताओं की हत्या को लेकर राज्य में जबरदस्त आंदोलन छेड़ा हुआ है।
राज्यपाल का वार
बीजेपी-टीएमसी की इस लड़ाई के बीच कुछ दिन पहले राज्यपाल जगदीप धनखड़ भी सामने आए थे और उन्होंने कहा था कि ममता बनर्जी संवैधानिक बाध्यता के अधीन हैं और उन्हें संविधान के रास्ते पर चलना ही होगा। धनखड़ ने कहा था कि राज्य में क़ानून व्यवस्था की स्थिति बेहद ख़राब हो चुकी है और वे कई बार मुख्यमंत्री, प्रशासन और पुलिस के सामने इसे लेकर चिंता व्यक्त कर चुके हैं। नड्डा के काफ़िले पर हमले को लेकर उन्होंने कहा था कि यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण घटना थी और इसने दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र को शर्मसार किया है।
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जोरदार होगा मुक़ाबला
बंगाल बीजेपी के निशाने पर है और पार्टी वहां किसी भी तरह अपना परचम लहराना चाहती है। बंगाल में सरकार बनाने के लिए आरएसएस भी लगातार सक्रिय है। हाल ही में बीजेपी ने कई नेताओं को वहां प्रभारी बनाकर भेजा है। राज्य में बीजेपी और टीएमसी के कार्यकर्ताओं के बीच खूनी झड़पें होना आम बात है, जिसमें दोनों ओर के कार्यकर्ताओं को अपनी जान गंवानी पड़ी है। विधानसभा से लेकर पंचायत और लोकसभा चुनाव तक दोनों दलों के कार्यकर्ता बुरी तरह भिड़ते रहे हैं। ऐसे में विधानसभा चुनाव में दोनों दलों के बीच कड़ी टक्कर देखने को मिलेगी, यह तय है।