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बंगाल हिंसा: केंद्र ने मांगी रिपोर्ट, बीजेपी ने कहा- राष्ट्रपति शासन लगे

पश्चिम बंगाल के बीरभूम जिले में हुई आठ लोगों की मौत के बाद केंद्र सरकार ने इस मामले में रिपोर्ट मांगी है। केंद्र सरकार ने कहा है कि 72 घंटे के भीतर इसकी रिपोर्ट दी जाए। आने वाले दिनों में केंद्र सरकार कुछ बड़े नौकरशाहों को भी घटना की जांच के लिए भेजेगी।

बीजेपी इस घटना की जांच के लिए एक टीम वहां भेज रही है और उसने राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग की है। जबकि टीएमसी ने कहा है कि हिंसा में उसके नेताओं का कोई हाथ नहीं है और यह मौतें आग लगने की वजह से हुई हैं। 

राज्य सरकार ने घटना की जांच के लिए विशेष जांच टीम यानी एसआईटी बना दी है। 

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क्या हुआ था?

मंगलवार को भीड़ ने रामपुरहाट कस्बे के बोगतुई गांव में बम फेंके थे जिसमें 10 घर जलकर खाक हो गए थे। कहा जा रहा है कि भीड़ ने यह बम टीएमसी के नेता भादु शेख की हत्या का बदला लेने के लिए फेंके थे। भादु शेख का शव सोमवार को मिला था। बम फेंके जाने के बाद सात लोगों के जले हुए शव मिले थे इनमें 2 बच्चे भी थे। पुलिस ने अब तक इस मामले में 11 लोगों को गिरफ्तार किया है।

ममता सरकार के कैबिनेट मंत्री फिरहाद हाकिम ने भी मौके का मुआयना किया है। राज्य सरकार ने कार्रवाई करते हुए दो स्थानीय पुलिस अफसरों को हटा दिया है। 

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ममता का राज्यपाल को जवाब

इस मामले को लेकर पश्चिम बंगाल बीजेपी के नेता मंगलवार को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मिले थे। घटना के सामने आने के बाद राज्य के गवर्नर जगदीप धनखड़ ने कहा था कि पश्चिम बंगाल में कानून और व्यवस्था की हालत बहुत खराब है जबकि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने उन्हें पत्र लिखकर इसका जवाब दिया था।

बनर्जी ने कहा था कि निष्पक्ष जांच कर रास्ता बनाने के बजाय बेवजह के बयान देना ठीक नहीं है। उन्होंने कहा था कि राज्यपाल को इस तरह के बयानों से बचना चाहिए। 

इस मामले को लेकर मंगलवार को पश्चिम बंगाल की विधानसभा में भी हंगामा हुआ था और बीजेपी के 22 विधायकों ने विधानसभा से वॉकआउट कर दिया था। कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने इस मामले को लोकसभा में उठाया था और कहा था कि यह भयावह घटना है।

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क़मर वहीद नक़वी
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