पश्चिम बंगाल का मुर्शिदाबाद हिंसा की लपटों में घिरा है, जहाँ वक़्फ़ संशोधन अधिनियम के ख़िलाफ़ भड़का आक्रोश सड़कों पर तांडव मचा रहा है। तीन मौतें, सैकड़ों गिरफ्तारियाँ और बीएसएफ़ की नई टुकड़ियों की तैनाती, ये सब उस तनाव की गवाही दे रही हैं जो अब सिर्फ़ क़ानून का नहीं, बल्कि सियासत और समाज के विभाजन का मुद्दा बन चुका है। क्या यह केवल एक क़ानून का विरोध है, या बंगाल की जमीन पर सांप्रदायिक ध्रुवीकरण की नई स्क्रिप्ट लिखी जा रही है? क्या ममता बनर्जी की हुंकार और बीजेपी के तीखे तेवर इस आग में और घी डाल रहे हैं?

दरअसल, इसकी शुरुआत तब हुई जब पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले में वक़्फ़ संशोधन अधिनियम 2025 के ख़िलाफ़ शुरू हुए विरोध प्रदर्शन ने हिंसक रूप ले लिया। शुक्रवार को शुरू हुई हिंसा में अब तक तीन लोगों की मौत हो चुकी है और स्थिति को नियंत्रित करने के लिए केंद्रीय बलों की तैनाती बढ़ाई गई है। बीएसएफ़ की पांच और कंपनियों को हिंसा प्रभावित क्षेत्रों में भेजा गया है जिससे कुल आठ कंपनियाँ अब वहां तैनात हैं। 

मुर्शिदाबाद के समसेरगंज, धुलियान जैसे क्षेत्रों में शुक्रवार को भड़की हिंसा के बाद रविवार तक स्थिति तनावपूर्ण बनी हुई है। पुलिस और केंद्रीय बलों की सख्ती के कारण बड़े पैमाने पर हिंसक घटनाएँ कम हुई हैं, लेकिन स्थानीय स्तर पर छिटपुट झड़पों की ख़बरें हैं। अब तक 150 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया गया है। इनमें रविवार को हुईं 12 और गिरफ्तारियाँ शामिल हैं।

कलकत्ता उच्च न्यायालय के आदेश के बाद बीएसएफ़ की अतिरिक्त तैनाती की गई है। कोर्ट ने शनिवार को सुनवाई के दौरान केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों यानी सीएपीएफ़ की तत्काल तैनाती का निर्देश दिया था। इसके अलावा कर्फ्यू लगाया गया है और इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी गई हैं ताकि अफवाहों को रोका जा सके। 

हिंसा में तीन लोगों की मौत ने मामले को और गंभीर बना दिया है। मृतकों में एक पिता-पुत्र की जोड़ी शामिल है, जो कथित तौर पर हिंदू देवी-देवताओं की मूर्तियाँ बनाते थे। एक अन्य युवक की मौत गोली लगने से हुई, जिसके बाद पुलिस ने इस मामले में जाँच शुरू की है।

बीजेपी ने आरोप लगाया है कि स्थानीय निवासियों में डर का माहौल है और कई परिवारों ने कथित तौर पर सुरक्षित स्थानों की ओर पलायन किया है। हालाँकि, टीएमसी ने इस दावे को खारिज किया है।

बीजेपी के आरोप

बीजेपी ने इस हिंसा को सांप्रदायिक रंग देते हुए ममता बनर्जी सरकार पर तीखा हमला बोला है। विपक्ष के नेता शुभेंधु अधिकारी ने दावा किया कि धुलियान में 400 से अधिक हिंदू परिवारों को उनके घर छोड़कर भागना पड़ा। उन्होंने इसे 'धार्मिक कट्टरपंथियों' की साज़िश क़रार दिया और टीएमसी पर तुष्टिकरण की राजनीति का आरोप लगाया। अधिकारी ने राष्ट्रीय जांच एजेंसी यानी एनआईए से जांच की मांग की और केंद्र से हस्तक्षेप का आग्रह किया।

बीजेपी के आईटी सेल प्रमुख अमित मालवीय ने कहा कि मुर्शिदाबाद की स्थिति 'बंगाल को बांग्लादेश बनाने' की ओर इशारा करती है। उन्होंने ममता बनर्जी को 'कट्टरपंथी तत्वों को बढ़ावा देने' के लिए जिम्मेदार ठहराया। बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष सुकांत मजूमदार ने भी ममता पर चुप्पी साधने का आरोप लगाया और कहा कि राज्य में क़ानून-व्यवस्था ध्वस्त हो चुकी है।

बीजेपी नेताओं का तर्क है कि यह हिंसा पूर्व नियोजित थी और इसका मक़सद हिंदू समुदाय को निशाना बनाना था। उन्होंने इसे 2026 के विधानसभा चुनाव से पहले सांप्रदायिक ध्रुवीकरण की रणनीति का हिस्सा बताया।

टीएमसी के जवाब

तृणमूल कांग्रेस ने इन आरोपों को खारिज करते हुए हिंसा के लिए केंद्र सरकार और बीजेपी को ज़िम्मेदार ठहराया। टीएमसी के वरिष्ठ नेता अभिषेक बनर्जी ने कहा कि बीजेपी सांप्रदायिक सद्भाव को बिगाड़ने की कोशिश कर रही है ताकि 2026 के चुनाव से पहले राजनीतिक लाभ लिया जा सके। उन्होंने दावा किया कि हिंसा के पीछे विपक्षी ताकतों का शैतानी खेल है।

टीएमसी ने यह भी कहा कि राज्य की पुलिस ने स्थिति को नियंत्रित करने के लिए त्वरित क़दम उठाए हैं। पार्टी के नेताओं ने बीजेपी पर झूठी अफवाहें फैलाने का आरोप लगाया, खासकर हिंदू परिवारों के पलायन के दावों को लेकर। टीएमसी ने जोर देकर कहा कि ममता बनर्जी की सरकार सभी समुदायों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है।

बंगाल में वक़्फ़ क़ानून लागू नहीं होगा: ममता

राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने शनिवार को कहा कि वक़्फ़ संशोधन अधिनियम पश्चिम बंगाल में लागू नहीं किया जाएगा। उन्होंने केंद्र सरकार को इसके लिए ज़िम्मेदार ठहराया और लोगों से शांति बनाए रखने की अपील की। ममता ने कहा, 'यह क़ानून हमने नहीं बनाया। इसका जवाब केंद्र से मांगें। हमारी सरकार सभी की जान की रक्षा करेगी।'

ममता के इस बयान की कई वजहें हैं। टीएमसी ने संसद में इस क़ानून को मुस्लिम समुदाय के ख़िलाफ़ बताते हुए इसका कड़ा विरोध किया था। ममता का मानना है कि यह क़ानून सांप्रदायिक तनाव को बढ़ा सकता है। पश्चिम बंगाल में मुस्लिम आबादी टीएमसी का महत्वपूर्ण वोट बैंक है। ममता का यह बयान इस समुदाय को आश्वस्त करने की कोशिश है। ममता ने केंद्र पर देश को बांटने का आरोप लगाया, जिससे उनकी रणनीति बीजेपी को कटघरे में खड़ा करने की रही है।

बीजेपी ने ममता के इस रुख को असंवैधानिक क़रार दिया। नेताओं ने तर्क दिया कि संसद द्वारा पारित क़ानून को लागू करना हर राज्य की ज़िम्मेदारी है। यह विवाद अब क़ानूनी और राजनीतिक स्तर पर और गहरा सकता है, खासकर जब सुप्रीम कोर्ट में इस क़ानून को चुनौती दी जा रही है।

मुर्शिदाबाद की हिंसा ने कई सवाल खड़े किए हैं। क्या यह हिंसा वक़्फ़ क़ानून के ख़िलाफ़ स्वतःस्फूर्त थी या इसके पीछे गहरी सियासी साज़िश थी? कहा जा रहा है कि पुलिस लाठीचार्ज में किसी की मौत की ख़बर जैसी अफवाहों ने हिंसा को भड़काने में भूमिका निभाई। बीजेपी और टीएमसी के बीच बढ़ता सांप्रदायिक ध्रुवीकरण 2026 के चुनावों से पहले राज्य की सामाजिक ताने-बाने को और नुक़सान पहुँचा सकता है।

ममता का क़ानून लागू न करने का बयान अल्पसंख्यक समुदाय को संदेश देने की कोशिश है, लेकिन यह केंद्र-राज्य संबंधों में टकराव को बढ़ा सकता है। दूसरी ओर, बीजेपी का आक्रामक रुख हिंदू वोटों को एकजुट करने की रणनीति का हिस्सा लगता है।

मुर्शिदाबाद में स्थिति धीरे-धीरे नियंत्रण में आ रही है, लेकिन सामाजिक और राजनीतिक तनाव बरकरार है। बीएसएफ़ और पुलिस की मौजूदगी ने हिंसा पर अंकुश लगाया है, लेकिन स्थायी शांति के लिए जिम्मेदार नेतृत्व की ज़रूरत है। ममता बनर्जी का बयान और बीजेपी-टीएमसी का टकराव इस मुद्दे को और जटिल बना रहा है।