पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस की प्रमुख ममता बनर्जी अपने औचक पैसलों के लिए अक्सर सुर्खियाँ बटोरती रही हैं। लेकिन पूर्वोत्तर के तीन राज्यों के विधानसभा चुनावों और पश्चिम बंगाल में एक उपचुनाव का नतीजा सामने आने के बाद उन्होंने 2024 के लोकसभा चुनाव में अकेले लड़ने की बात कह कर विपक्षी एकता की तमाम कवायद को करारा झटका दिया है। राजनीतिक हलकों में माना जा रहा है कि इन चुनावों में तृणमूल के प्रदर्शन से नाराज होकर ही ममता ने यह फैसला किया है। लेकिन इसके नतीजे दूरगामी हो सकते हैं। यहां इस बात का ज़िक्र प्रासंगिक होगा कि बीते दो साल के दौरान अकेली ममता ही 2024 के चुनाव से पहले भाजपा के खिलाफ विपक्षी एकता की सबसे बड़ी पैरोकार के तौर पर उभरी थीं।