बेहद ख़राब आर्थिक हालात का सामान कर रहे पाकिस्तान में राजनीतिक उथल-पुथल भी मची हुई है। प्रधानमंत्री इमरान ख़ान देश के आर्थिक हालात को संभालने में पूरी तरह नाकाम रहे हैं और अब धार्मिक नेता और राजनेता मौलाना फज़लुर रहमान ने इमरान ख़ान को अल्टीमेटम दे दिया है। बता दें कि जमीअत उलेमा-ए-इसलाम के प्रमुख मौलाना फज़लुर रहमान ने कुछ दिनों पहले आज़ादी मार्च निकाला था और लोगों से राजधानी इसलामाबाद पहुंचने के लिए कहा था। लाखों की संख्या में उनके समर्थक इसलामाबाद पहुंचे थे और कई दिनों तक धरना दिया था।
पाकिस्तान में विपक्षी राजनीतिक दलों के नेता इमरान ख़ान पर ज़ोरदार हमले कर रहे हैं। विपक्षी नेताओं का कहना है कि इमरान ने जो वादे चुनाव के दौैरान किए थे, वे झूठे निकले और उनकी सरकार के आने के बाद देश के हालात और भी ज़्यादा ख़राब हुए हैं।
आज़ादी मार्च को बताया था सर्कस
पाकिस्तानी टीवी चैनल जियो न्यूज़ के मुताबिक़, रहमान ने कहा, ‘इमरान ख़ान ने अपनी बहन को राष्ट्रीय सुलह अध्यादेश का काम दिया है। हमें भी कोई ऐसी सिलाई की मशीन दे दें जिससे एक साल में 70 अरब रुपये कमाए जा सकते हैं।’ पाकिस्तान में अक्टूबर 2007 में राष्ट्रीय सुलह अध्यादेश जारी किया गया अध्यादेश था। इसके तहत भ्रष्टाचार, गबन, मनी लॉन्ड्रिंग, हत्या और आतंकवाद के आरोपी नेताओं, राजनीतिक दलों के कार्यकर्ताओं और नौकरशाहों को क्षमादान देने की बात कही गई थी।
आज़ादी मार्च में शामिल हुए थे लाखों लोग।
रहमान ने जब इसलामाबाद को घेर लिया था तो उन्होंने इमरान ख़ान को 2 दिन के अंदर इस्तीफ़ा देने के लिए कहा था। धार्मिक नेता के मुताबिक़, केवल पाकिस्तान की ही अर्थव्यवस्था नीचे जा रही है जबकि अन्य देशों की अर्थव्यवस्था बढ़ रही है।
रहमान ने दिखाई थी सियासी ताक़त
आज़ादी मार्च में शामिल मौलाना फज़लुर रहमान व अन्य नेता।
टमाटर 300 रुपये के पार
सवाल यह है कि इमरान ख़ान भले ही दुनिया भर के मुल्कों में घूम-घूमकर ख़ुद को कश्मीरियों का सबसे बड़ा हिमायती बताने पर तुले हों लेकिन वह अपने देश के आर्थिक-राजनीतिक हालात क्यों नहीं दुरुस्त कर पा रहे हैं।
एशियन डेवलपमेंट बैंक की ओर से हाल ही में जारी रिपोर्ट के मुताबिक़, पाकिस्तान की जीडीपी ग्रोथ बहुत कम रहने वाली है। वित्त वर्ष 2019-20 में यह 2.8 फ़ीसदी रह सकती है। एडीबी की रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि पाकिस्तान में महंगाई आने वाले वक्त में रिकॉर्ड तोड़ हो सकती है। पाकिस्तान का रुपया लगातार कमजोर होता जा रहा है और सरकार टैक्स में बढ़ोतरी करती जा रही है, इससे देश के हालात और ख़राब हो सकते हैं।
एफ़एटीएफ़ की लटक रही है तलवार