रोमन कैथोलिक चर्च के प्रमुख पोप फ्रांसिस का 88 वर्ष की आयु में निधन हो गया है। वेटिकन ने सोमवार को इसकी आधिकारिक पुष्टि की। पोप फ्रांसिस का निधन ईस्टर मंडे 21 अप्रैल को वेटिकन के कासा सांता मार्टा में उनके निवास पर हुआ। इस ख़बर ने विश्व भर के लगभग 1.4 अरब कैथोलिक समुदाय को शोक में डुबो दिया है।

वेटिकन के कैमरलेंगो कार्डिनल केविन फैरेल ने सुबह 9:45 बजे कासा सांता मार्टा से इस दुखद समाचार की घोषणा की। पोप फ्रांसिस लंबे समय से स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहे थे। उनकी युवावस्था में फेफड़े का एक हिस्सा हटाया गया था, जिसके कारण उन्हें सांस संबंधी समस्याएँ बार-बार होती थीं। इस वर्ष 14 फ़रवरी को साँस लेने में तकलीफ के बाद उन्हें रोम के जेमेली अस्पताल में भर्ती कराया गया था। शुरू में ब्रॉन्काइटिस का इलाज हुआ जो बाद में दोनों फेफड़ों में निमोनिया में बदल गया। 38 दिनों तक अस्पताल में रहने के बाद 23 मार्च को वह वेटिकन लौटे थे।

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अस्पताल में उनके स्वास्थ्य को लेकर स्थिति गंभीर रही। 22 फ़रवरी को वेटिकन ने उनकी स्थिति को “गंभीर” बताया था और उन्हें ऑक्सीजन सप्लीमेंट और रक्त आधान की ज़रूरत थी। डॉक्टरों ने उनकी स्थिति को “टच-एंड-गो” करार दिया था, लेकिन चिकित्सा टीम के अथक प्रयासों और प्रार्थनाओं के बीच, उनकी स्थिति में सुधार हुआ। 6 मार्च को उन्होंने अस्पताल से एक ऑडियो संदेश में विश्वासियों का धन्यवाद किया, जिसमें उन्होंने कहा, 'मैं यहाँ से आपके साथ हूँ।'

वेटिकन लौटने के बाद पोप फ्रांसिस ने आराम और पुनर्वास पर ध्यान दिया। रविवार को उन्होंने ईस्टर संडे के अवसर पर सेंट पीटर स्क्वायर में 35,000 से अधिक श्रद्धालुओं को संबोधित किया था। यह उनका अंतिम सार्वजनिक उपस्थिति थी। अगले दिन सुबह, उनकी स्थिति अचानक बिगड़ गई और उन्होंने अंतिम सांस ली।

पोप फ्रांसिस का जन्म 17 दिसंबर 1936 को अर्जेंटीना के ब्यूनस आयर्स में जॉर्ज मारियो बेर्गोलियो के रूप में हुआ था। वह पहले दक्षिण अमेरिकी और जेसुइट पोप थे। 2013 में पोप बेनेडिक्ट सोलहवें के इस्तीफे के बाद वह 266वें पोप चुने गए। उनका पापल नाम “फ्रांसिस” संत फ्रांसिस ऑफ असीसी से प्रेरित था, जो गरीबी और विनम्रता के प्रतीक हैं।

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पोप फ्रांसिस ने अपने 12 साल के कार्यकाल में कैथोलिक चर्च को समावेशी और दयालु बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाए। उन्होंने गरीबों, शरणार्थियों और हाशिए पर रहने वालों के लिए आवाज उठाई, जिसके कारण उन्हें 'पीपल्स पोप' का उपनाम मिला। 

उन्होंने वेटिकन की वित्तीय पारदर्शिता बढ़ाने और पादरी यौन शोषण के मुद्दे से निपटने के लिए सुधार शुरू किए। हालांकि, इन मुद्दों पर उनकी प्रगति को मिश्रित प्रतिक्रिया मिली। उन्होंने समलैंगिकता को अपराधमुक्त करने, महिलाओं की भूमिका बढ़ाने और पर्यावरण संरक्षण जैसे प्रगतिशील मुद्दों का समर्थन किया, लेकिन रूढ़िवादी कैथोलिकों के बीच उनकी कुछ नीतियों को लेकर विवाद भी रहा।

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पोप फ्रांसिस ने 2024 में पापल अंतिम संस्कार के लिए संशोधित नियमों को मंजूरी दी थी, जिसमें उन्होंने सादगी पर जोर दिया। परंपरागत रूप से, पोप को तीन ताबूतों (साइप्रस, सीसा, और ओक) में दफनाया जाता था, लेकिन फ्रांसिस ने एक साधारण लकड़ी और जस्ता के ताबूत का चयन किया। उन्होंने यह भी इच्छा जताई थी कि उनका दफन वेटिकन के बजाय रोम की सांता मारिया मेजर बेसिलिका में हो, जो उनका पसंदीदा चर्च था। यह 100 वर्षों में पहली बार होगा जब किसी पोप को वेटिकन के बाहर दफनाया जाएगा।

पोप फ्रांसिस के निधन की ख़बर से विश्व भर में शोक की लहर दौड़ गई। सेंट पीटर स्क्वायर में हजारों लोग उनकी स्मृति में प्रार्थना करने के लिए जुटे। विश्व नेताओं और धार्मिक नेताओं ने उनके प्रति श्रद्धांजलि अर्पित की। उनकी विनम्रता, करुणा, और सामाजिक न्याय के प्रति समर्पण को याद किया जा रहा है।

पोप फ्रांसिस का निधन कैथोलिक चर्च और विश्व के लिए एक युग का अंत है। उनकी प्रगतिशील दृष्टि और विनम्र नेतृत्व ने लाखों लोगों को प्रेरित किया। अब, कार्डिनल कॉलेज के सामने यह महत्वपूर्ण निर्णय है कि क्या वे उनके समावेशी दृष्टिकोण को जारी रखेंगे या अधिक रूढ़िवादी नेतृत्व की ओर लौटेंगे।