वैश्विक तकनीकी और रक्षा क्षेत्र की धड़कन बन चुके बेहद अहम खनिजों की आपूर्ति पर चीन की बादशाहत को चुनौती देने के लिए क्वाड देशों- भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया ने हाथ मिलाया है। क्वाड क्रिटिकल मिनरल्स इनिशिएटिव के तहत शुरू हुई यह महत्वाकांक्षी योजना न केवल आर्थिक सुरक्षा को मज़बूत करेगी, बल्कि इलेक्ट्रिक वाहनों से लेकर जेट फाइटर तक की तकनीकों को नया आयाम दे सकती है। लेकिन सवाल यह है कि क्या यह गठजोड़ चीन की दशकों पुरानी पकड़ को तोड़ पाएगा, या यह सिर्फ़ एक शुरुआत है?

क्वाड देशों, संयुक्त राज्य अमेरिका, भारत, जापान और ऑस्ट्रेलिया ने अहम खनिजों की सप्लाई चेन को मज़बूत करने के लिए एक ऐतिहासिक पहल शुरू की है। इस क़दम का उद्देश्य चीन के वैश्विक खनिज बाजार पर बादशाहत को चुनौती देना और सप्लाई चेन में विविधता लाना है। यह पहल आर्थिक स्थिरता और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए अहम मानी जा रही है, क्योंकि इन खनिजों का उपयोग अत्याधुनिक प्रौद्योगिकियों और रक्षा उपकरणों में होता है।
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क्वाड क्रिटिकल मिनरल्स इनिशिएटिव

वाशिंगटन डीसी में 1 जुलाई को आयोजित क्वाड विदेश मंत्रियों की बैठक में 'क्वाड क्रिटिकल मिनरल्स इनिशिएटिव' की घोषणा की गई। इस बैठक में भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर, अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो, ऑस्ट्रेलियाई विदेश मंत्री पेनी वोंग और जापानी विदेश मंत्री ताकेशी इवाया ने हिस्सा लिया। संयुक्त बयान में क्वाड देशों ने अहम खनिजों की सप्लाई चेन में एक देश पर ज़्यादा निर्भरता को रणनीतिक जोखिम बताया। बयान में बिना नाम लिए चीन की ओर इशारा करते हुए कहा गया कि ऐसी निर्भरता आर्थिक दबाव, क़ीमतों में हेरफेर और सप्लाई चेन में व्यवधान का कारण बन सकती है।

इस पहल के तहत क्वाड देशों ने सप्लाई चेन को सुरक्षित करने, निजी क्षेत्र के निवेश को बढ़ावा देने और खनिजों के रिसाइकलिंग को प्रोत्साहित करने की प्रतिबद्धता जताई। भारत के विदेश मंत्रालय ने कहा, 'यह पहल सप्लाई चेन को लचीलापन करने और निजी क्षेत्र के साथ सहयोग को प्रोत्साहित करने के लिए है।'

ये खनिज इतने अहम क्यों? 

लिथियम, कोबाल्ट, निकल, ग्रेफाइट और नियोडिमियम व डिस्प्रोसियम जैसे रेयर अर्थ एलिमेंट आधुनिक तकनीकों के लिए बेहद ज़रूरी हैं। ये खनिज इलेक्ट्रिक वाहनों, सेमीकंडक्टर, नवीकरणीय ऊर्जा उपकरण, स्मार्टफोन, और जेट फाइटर और ड्रोन जैसे रक्षा उपकरणों में उपयोग होते हैं। मिसाल के तौर पर नियोडिमियम-आयरन-बोरॉन मैग्नेट इलेक्ट्रिक वाहनों की मोटरों और पवन टरबाइनों के लिए ज़रूरी हैं।

चीन की इन खनिजों पर बादशाहत वैश्विक चिंता का विषय है। वैश्विक रेयर अर्थ एलिमेंट का 60% खनन और 90% प्रोसेसिंग चीन में होती है। ग्रेफाइट और लिथियम बैटरी की सप्लाई में भी चीन का दबदबा है। इस बादशाहत ने क्वाड देशों को वैकल्पिक सप्लाई चेन तैयार करने के लिए प्रेरित किया है।

क्वाड की रणनीति क्या है?

क्वाड क्रिटिकल मिनरल्स इनिशिएटिव के तहत इन प्रमुख क्षेत्रों पर ध्यान दिया जाएगा-

वैकल्पिक स्रोतों का विकास: ऑस्ट्रेलिया जैसे खनिज समृद्ध देशों से कच्चे माल की सप्लाई बढ़ाना और अन्य ग़ैर-क्वाड देशों के साथ साझेदारी करना।

प्रोसेसिंग क्षमता का विस्तार: जापान और अमेरिका जैसे देशों की तकनीकी विशेषज्ञता का उपयोग कर प्रोसेसिंग और शुद्धिकरण सुविधाओं का विकास।

रिसाइकलिंग को बढ़ावा: इलेक्ट्रॉनिक कचरे से खनिजों की रिकवरी को प्रोत्साहित करना।

निजी क्षेत्र का सहयोग: ऑस्ट्रेलिया की लिनास कॉर्पोरेशन और भारत की टाटा स्टील जैसी क्वाड देशों की कंपनियों 
के साथ मिलकर निवेश को बढ़ावा देना।

ऑस्ट्रेलिया दुनिया का सबसे बड़ा लिथियम उत्पादक देश है। यह इस साझेदारी में कच्चे माल की सप्लाई में अहम भूमिका निभाएगा। भारत को विनिर्माण केंद्र के रूप में देखा जा रहा है, जबकि जापान और अमेरिका तकनीकी और वित्तीय सहायता देंगे।

ज़रूरी खनिज चीन का रणनीतिक हथियार

चीन ने अहम खनिजों की सप्लाई पर अपनी पकड़ का इस्तेमाल रणनीतिक हथियार के रूप में किया है। मिसाल के तौर पर 2010 में जापान के साथ एक क्षेत्रीय विवाद के दौरान चीन ने रेयर अर्थ एलिमेंट का निर्यात रोक दिया था। हाल के वर्षों में उसने गैलियम और जर्मेनियम जैसे खनिजों पर निर्यात प्रतिबंध लगाए, जो सेमीकंडक्टर उद्योग के लिए अहम हैं। हाल में ट्रंप के 'टैरिफ़ वार' के दौरान चीन ने रेयर अर्थ मिनरल के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिए हैं। इसने कुछ ज़रूरी खनिजों का भारत में निर्यात भी रोक दिया है जिससे कारों के निर्माण में दिक्कतें आ रही हैं।

क्वाड के सामने चुनौतियाँ क्या?

चीन की प्रोसेसिंग क्षमता: चीन की लागत प्रभावी और बड़े पैमाने पर प्रसंस्करण सुविधाओं का मुकाबला करना मुश्किल है।

वैश्विक सहयोग की ज़रूरत: केवल क्वाड देशों के संसाधन पर्याप्त नहीं हैं। मंगोलिया, कनाडा और मोजाम्बिक जैसे अफ्रीकी देशों जैसे गैर-क्वाड देशों के साथ साझेदारी ज़रूरी है।
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क्वाड की अन्य पहलें

अहम खनिजों के अलावा क्वाड ने समुद्री सुरक्षा, साइबर सुरक्षा और जलवायु परिवर्तन जैसे क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने की योजना बनाई है। 'क्वाड पोर्ट्स ऑफ़ द फ्यूचर पार्टनरशिप' के तहत अक्टूबर 2025 में मुंबई में एक परिवहन और लॉजिस्टिक्स सम्मेलन आयोजित होगा, जिसमें सप्लाई चेन को लचीलापन बनाने पर चर्चा होगी।

क्या यह चीन का मुक़ाबला कर सकता है?

जानकारों का मानना है कि क्वाड की यह पहल लंबे समय के लिए अहम है, लेकिन तत्काल प्रभाव सीमित हो सकता है। इसके अलावा यदि चीन जवाबी कार्रवाई के रूप में निर्यात प्रतिबंधों को और सख्त करता है तो वैश्विक सप्लाई चेन में और व्यवधान हो सकता है।

भारत की भूमिका

भारत इस साझेदारी में एक अहम खिलाड़ी के रूप में उभर रहा है। देश में रेयर अर्थ एलिमेंट के भंडार हैं और यह इलेक्ट्रिक वाहनों और नवीकरणीय ऊर्जा के लिए एक बड़ा बाज़ार है। हालाँकि, भारत को खनन और प्रोसेसिंग क्षमता बढ़ाने के लिए बड़े पैमाने पर निवेश और तकनीकी सहायता की ज़रूरत है।

क्वाड क्रिटिकल मिनरल्स इनिशिएटिव वैश्विक सप्लाई चेन को मज़बूत करने और चीन की निर्भरता को कम करने की दिशा में एक अहम क़दम है। यह पहल भारत जैसे देशों को वैश्विक प्रौद्योगिकी और रक्षा क्षेत्र में एक अहम भूमिका निभाने का अवसर देगी।