भारत के पड़ोसी देश श्रीलंका में क्या फिर से राजनीतिक संकट उभर रहा है? पूर्व राष्ट्रपति विक्रमसिंघे को गिरफ्तार किया गया। क्या इससे सत्ता संघर्ष और गहराने की आशंका है?
श्रीलंका के पूर्व राष्ट्रपति विक्रमसिंघे गिरफ्तार
भारत के पड़ोस श्रीलंका में बड़ी राजनीतिक हलचल है। श्रीलंका के पूर्व राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे को शुक्रवार को आपराधिक जांच विभाग ने सरकारी धन के कथित दुरुपयोग के आरोप में गिरफ्तार किया। यह श्रीलंका के किसी पूर्व राष्ट्रपति की पहली गिरफ्तारी है। यानी देश के राजनीतिक इतिहास में यह एक बड़ी घटना है। विक्रमसिंघे पर आरोप है कि उन्होंने 2023 में अपनी पत्नी के एक विश्वविद्यालय समारोह में शामिल होने के लिए लंदन की निजी यात्रा के लिए सरकारी पैसे का इस्तेमाल किया।
श्रीलंका के जाँच विभाग सीआईडी के अनुसार, रानिल विक्रमसिंघे ने सितंबर 2023 में क्यूबा में जी77 शिखर सम्मेलन में भाग लेने के बाद लंदन में रुककर अपनी पत्नी प्रोफेसर मैथ्री विक्रमसिंघे के सम्मान समारोह में भाग लिया था। यह समारोह यूनिवर्सिटी ऑफ वॉल्वरहैम्प्टन में आयोजित किया गया था, जहां उनकी पत्नी को मानद प्रोफेसरशिप की उपाधि दी गई थी। जांच एजेंसी का दावा है कि इस निजी यात्रा के लिए सरकारी धन का उपयोग किया गया, जिसमें विक्रमसिंघे की यात्रा और उनके अंगरक्षकों के खर्च भी शामिल थे।
विक्रमसिंघे ने इन आरोपों का खंडन किया है और दावा किया है कि उनकी पत्नी ने अपनी यात्रा का खर्च खुद उठाया था और कोई सरकारी धन का उपयोग नहीं हुआ। हालाँकि, सीआईडी का कहना है कि इस यात्रा के लिए सरकारी संसाधनों का दुरुपयोग किया गया। इस महीने की शुरुआत में विक्रमसिंघे के पूर्व राष्ट्रपति सचिव समन एकनायके और पूर्व निजी सचिव सैंड्रा परेरा से भी इस यात्रा के खर्चों के संबंध में पूछताछ की गई थी।
गिरफ्तारी और अदालती प्रक्रिया
विक्रमसिंघे को शुक्रवार को कोलंबो में सीआईडी मुख्यालय में बयान दर्ज करने के लिए बुलाया गया था। बयान दर्ज करने के बाद उन्हें हिरासत में ले लिया गया और कोलंबो फोर्ट मजिस्ट्रेट कोर्ट में पेश किया गया। एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने समाचार एजेंसी एएफपी को बताया, 'हम उन्हें कोलंबो फोर्ट मजिस्ट्रेट के सामने पेश कर रहे हैं।' अधिकारी ने कहा कि उन पर सरकारी संसाधनों के निजी उपयोग के लिए आरोप दायर किए जा रहे हैं। रिपोर्ट के अनुसार पुलिस प्रवक्ता ने कहा, 'पूर्व राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे को गिरफ्तार किया गया है और उन्हें अदालत में पेश किया गया है। हम अदालत के निर्देशों का इंतजार कर रहे हैं ताकि आगे की कार्रवाई तय की जा सके।'
गिरफ्तारी राजनीति से प्रेरित: यूएनपी
विक्रमसिंघे की यूनाइटेड नेशनल पार्टी यानी यूएनपी के एक सहयोगी निशांत श्री वर्णसिंघे ने उनकी गिरफ्तारी को राजनीति से प्रेरित बताया। उन्होंने कोलंबो में अदालत परिसर के बाहर पत्रकारों से कहा, 'रानिल विक्रमसिंघे ने कभी भी सरकारी या सार्वजनिक धन का दुरुपयोग नहीं किया। जब देश की अर्थव्यवस्था ढह गई थी, तब उन्होंने चुनौती को स्वीकार करते हुए देश को बचाने का काम किया। आज इस सरकार द्वारा उनके साथ ऐसा व्यवहार किया जा रहा है।' वहीं, सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर कुछ यूज़रों ने इस गिरफ्तारी को भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई के रूप में देखा, जबकि अन्य ने इसे राजनीतिक बदले की कार्रवाई करार दिया।
विक्रमसिंघे का राजनीतिक करियर
रानिल विक्रमसिंघे एक प्रमुख श्रीलंकाई राजनेता हैं। उन्होंने 2022 से 2024 तक श्रीलंका के राष्ट्रपति के रूप में कार्य किया। वे छह बार देश के प्रधानमंत्री भी रह चुके हैं, जो श्रीलंका के इतिहास में एक रिकॉर्ड है। 1977 में मात्र 28 वर्ष की आयु में संसद सदस्य चुने गए विक्रमसिंघे एक प्रभावशाली राजनीतिक परिवार से आते हैं। वे यूनाइटेड नेशनल पार्टी के नेता हैं और 1994 से इसकी कमान संभाल रहे हैं।
विक्रमसिंघे ने जुलाई 2022 में गोटाबाया राजपक्षे के इस्तीफे के बाद राष्ट्रपति का पद संभाला था, जब देश में भारी आर्थिक संकट और भ्रष्टाचार के आरोपों के बीच बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हुए थे। उन्होंने 2023 में अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष से 2.9 बिलियन डॉलर का बेलआउट हासिल किया और 2022 के सबसे ख़राब वित्तीय संकट के बाद अर्थव्यवस्था को स्थिर करने में अहम भूमिका निभाई। हालाँकि, करों में वृद्धि और ऊर्जा सब्सिडी हटाने जैसी उनकी कठोर आर्थिक नीतियों ने कुछ वर्गों में असंतोष पैदा किया था।
नयी सरकार की नीति
विक्रमसिंघे की गिरफ्तारी ऐसे समय में हुई है जब श्रीलंका में नई सरकार राष्ट्रपति अनुरा कुमारा दिसानायके के नेतृत्व में भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त कार्रवाई कर रही है। दिसानायके ने सितंबर 2024 में भ्रष्टाचार विरोधी मुहिम के दम पर चुनाव जीता था और तब से कई पूर्व मंत्रियों और राजपक्षे परिवार के सदस्यों पर भ्रष्टाचार के आरोपों में कार्रवाई की गई है। हाल ही में पुलिस प्रमुख को भी आपराधिक नेटवर्क चलाने के आरोप में महाभियोग का सामना करना पड़ा था।
यह गिरफ्तारी श्रीलंका में भ्रष्टाचार के खिलाफ चल रही बड़ी कार्रवाई का हिस्सा मानी जा रही है, जिसने देश के राजनीतिक हालात को और जटिल बना दिया है। विक्रमसिंघे की गिरफ्तारी न केवल उनके राजनीतिक करियर के लिए, बल्कि श्रीलंका की राजनीति के लिए भी एक अहम मोड़ साबित हो सकती है।