व्हाइट हाउस ने मंगलवार को घोषणा की कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने रूस-यूक्रेन युद्ध को समाप्त करने के लिए भारत पर नए व्यापारिक प्रतिबंध लगाए हैं। व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव कैरोलिन लेविट ने एक प्रेस ब्रीफिंग में कहा कि ट्रंप ने भारत पर पहले से लागू 25 प्रतिशत शुल्क के अतिरिक्त 25 प्रतिशत का नया शुल्क लगाकर कुल टैरिफ को 50 प्रतिशत कर दिया है। यह नया शुल्क 27 अगस्त से प्रभावी होगा।

अमेरिका का यह बयान इसलिए अजीबोगरीब माना जा रहा है कि किसी दूसरे देश में युद्ध रुकवाने के लिए भारत का इस्तेमाल किया जा रहा है। जबकि भारत के रिश्ते अमेरिका से रूस के मुकाबले कम बेहतर नहीं है। जब यूक्रेन और रूस युद्ध की शुरुआत हुई थी तो उसी समय भारत ने कहा था कि यह युद्ध रुकना चाहिए। पीएम मोदी ने इस बारे में यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की से फोन पर बात भी की थी। भारतीय मीडिया में लंबे समय तक यह मीम चला था कि मोदी जी ने वॉर रुकवा दी है।
लेविट ने बताया कि इन प्रतिबंधों का उद्देश्य रूस पर "दोहरा दबाव" डालना है ताकि वह यूक्रेन में चल रहे युद्ध को समाप्त करे। उन्होंने कहा, "राष्ट्रपति ट्रंप ने इस युद्ध को जल्द से जल्द खत्म करने के लिए जबरदस्त सार्वजनिक दबाव बनाया है। आपने देखा होगा कि भारत पर प्रतिबंध और अन्य कदम उठाए गए हैं। वह स्पष्ट रूप से इस युद्ध को समाप्त होते देखना चाहते हैं और उन्होंने उन सुझावों को खारिज कर दिया है कि कोई भी बैठक एक महीने बाद तक टाल दी जाए।"
यह कदम ट्रंप द्वारा हाल ही में यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमिर ज़ेलेंस्की के साथ व्हाइट हाउस में मुलाकात के कुछ दिनों बाद आया है, जहां दोनों नेताओं ने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ त्रिपक्षीय वार्ता की संभावना पर चर्चा की थी। ट्रंप ने इस मुलाकात को "बेहद सफल" बताया, जबकि ज़ेलेंस्की ने इसे "अब तक की सबसे अच्छी बातचीत" करार दिया। 
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व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव ने यह भी दोहराया कि ट्रंप का मानना है कि यदि वह पहले कार्यकाल में राष्ट्रपति होते तो यह युद्ध शुरू ही नहीं होता। लेविट ने कहा, "राष्ट्रपति पुतिन ने भी इस बात की पुष्टि की है।" उन्होंने बताया कि ट्रंप यूरोपीय नेताओं और नाटो के साथ दीर्घकालिक शांति सुनिश्चित करने के लिए चर्चा कर रहे हैं।

अमेरिकी बयान भारत के लिए चिन्ता का विषय 

यह कदम भारत के लिए चिंता का विषय है, क्योंकि रूस भारत का एक प्रमुख तेल आपूर्तिकर्ता है। उद्योग विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि रूसी तेल के आयात में अचानक कमी से भारत में तेल की कीमतों में वृद्धि हो सकती है, क्योंकि रूस भारत के कुल तेल आयात का लगभग 35-40 प्रतिशत हिस्सा प्रदान करता है।
ट्रंप ने पहले भी भारत पर रूसी तेल खरीदने और रूस के साथ व्यापारिक संबंधों को लेकर आलोचना की थी। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रुथ सोशल पर लिखा था, "भारत हमारा मित्र है, लेकिन वे रूस से भारी मात्रा में तेल और सैन्य उपकरण खरीदते हैं, जो यूक्रेन में युद्ध को रोकने की कोशिशों के लिए अच्छा नहीं है।"
भारत ने अभी तक इस बयान पर आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी है, लेकिन सूत्रों का कहना है कि नई दिल्ली अपनी ऊर्जा जरूरतों और आर्थिक हितों की रक्षा के लिए रूसी तेल खरीदना जारी रख सकता है।