यूक्रेन के स्पाइडर वेब हमले में रूस को क़रीब 7 बिलियन डॉलर का नुक़सान हुआ है। माना जा रहा है कि रूस के एक तिहाई से ज़्यादा मिसाइल ढोने वाले जहाज़ बर्बाद हो गये हैं। इस हमले का प्रभाव इतना ज़्यादा है कि इसे दूसरे विश्वयुद्ध के दौरान अमेरिका के पर्ल हार्बर पर हुए हमले के जैसा माना जा रहा है। इस हमले में ऐसा क्या हुआ है कि इस ऑपरेशन स्पाइडर वेब की तुलना पर्ल हार्बर से की जा रही है? आइए जानते हैं।

ऑपरेशन स्पाइडर वेब यूक्रेन का एक बड़ा और बहुत सोचा-समझा सैन्य हमला था, जिसे 1 जून को अंजाम दिया गया। यूक्रेन ने रूस के पांच सैन्य हवाई अड्डों पर ड्रोन से हमला किया। बताया जा रहा है कि इन हमलों में रूस के 41 लड़ाकू विमान नष्ट हो गए, जिनमें बड़े-बड़े मिसाइल क्रूज विमान जैसे टीयू-95, टीयू-22 एम3 और ए-50 शामिल थे। इस हमले के बारे में यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर ज़ेलेंस्की का कहना था कि यह काम यूक्रेन ने अकेले किया। इसमें किसी भी और देश की मदद नहीं ली गई है। दरअसल, इस ऑपरेशन की सबसे खास बात इसकी गोपनीयता थी। यूक्रेन पिछले डेढ़ साल से इसकी तैयारी कर रहा था। हमले में इस्तेमाल किये गये ड्रोन को चुपके से रूस ले जाया गया। इन्हें लकड़ी के डिब्बों में छिपाकर ट्रकों में रखा गया था। इन डिब्बों के पल्ले रिमोट से खुलने वाले थे, इनसे बाहर निकलकर ड्रोन ने रूसी हवाई अड्डों पर हमला किया। कमाल की बात यह थी कि रूस के डिफेन्स सिस्टम को इसके बारे में भनक तक नहीं मिल पाई।
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पर्ल हार्बर के हमले में भी ठीक ऐसी ही गोपनीयता बरती गई थी।  यह हमला 7 दिसंबर 1941 को हुआ था। जापान ने अमेरिका के हवाई द्वीप में पर्ल हार्बर नौसैनिक अड्डे पर अचानक हमला किया। इस हमले में जापान ने अमेरिका के कई युद्धपोत, विमान और सैन्य ठिकाने नष्ट कर दिए। यह हमला इतना गुप्त और तेज था कि अमेरिका को जवाब देने का मौका ही नहीं मिला। इस हमले ने अमेरिका को द्वितीय विश्व युद्ध में पूरी तरह शामिल कर लिया था।
ऑपरेशन स्पाइडर वेब और पर्ल हार्बर में कुछ और भी समानताएं हैं, मसलन दोनों ही हमले पूरी तरह गुप्त थे। रूस को ऑपरेशन स्पाइडर वेब की कोई जानकारी नहीं थी, जैसे अमेरिका को पर्ल हार्बर हमले की भनक नहीं थी। दोनों ही हमले अचानक हुए।

स्पाइडर वेब में यूक्रेन ने रूस के महत्वपूर्ण हवाई अड्डों को निशाना बनाया, और पर्ल हार्बर में जापान ने अमेरिका के बड़े नौसैनिक अड्डे को नष्ट किया था।

माना जा रहा है कि जिस तरह पर्ल हार्बर ने अमेरिका को युद्ध में खींच लिया, वहाँ की नौसेना को कमज़ोर कर दिया था, ठीक उसी तरह स्पाइडर वेब ने यूक्रेन की स्थिति अचानक ही मज़बूत कर दी है।

इन दोनों ही हमले में नये तरीके अपनाए गये थे। पर्ल हार्बर में जापान ने हवाई हमले की रणनीति अपनाई, और स्पाइडर वेब में यूक्रेन ने ड्रोन का इस्तेमाल किया।
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अब तक मिली जानकारियों के मुताबिक़ ऑपरेशन स्पाइडर वेब ने रूस की सैन्य ताकत को गहरी चोट पहुंचाई है। रूस के पास अब वैसे जहाज़ कम बचे हैं, जो मिसाइल दाग सकते हैं। इससे यूक्रेन को युद्ध में फायदा मिला है। साथ ही, इस हमले ने रूस की हवाई रक्षा प्रणाली की कमजोरी को भी उजागर कर दिया है। पूरी दुनिया इस बात पर भौचक्क है कि यूक्रेन जैसे छोटे देश ने रूस जैसे बड़े देश को इतना बड़ा झटका कैसे दिया।
हालांकि इस हमले के बाद यह माना जा रहा है कि रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध और तेज हो सकता है। ऑपरेशन स्पाइडर वेब से चिढ़कर रूस इस हमले का जवाब देना चाहेगा पर कई दिक्कतें सामने आ सकती हैं।

सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या सात बिलियन डॉलर के इस झटके से रूस आसानी से उबर पाएगा? एक सवाल यह भी उठता है कि क्या यूक्रेन इस जीत को और आगे ले जा पाएगा?

खैर, आगे जो भी हो, एक बात साफ़ होती है, ऑपरेशन स्पाइडर वेब ने दिखा दिया कि युद्ध में रणनीति और चालाकी कितनी अहम है। यूक्रेन ने अपनी हिम्मत और नई तकनीक से रूस को बड़ा नुकसान पहुंचाया। इसे रूस का पर्ल हार्बर इस लिहाज से भी कहा जा सकता है कि इसने रूस को वैसे ही हैरान किया, जैसे पर्ल हार्बर ने अमेरिका को किया था।