इसराइल और ईरान के बीच बढ़ते तनाव के बीच परमाणु बम को लेकर एक नया विवाद खड़ा हो गया है। इसराइल का सनसनीखेज दावा कि ईरान परमाणु बम बनाने की दहलीज पर है, लेकिन अमेरिकी खुफिया एजेंसियों ने ही इसराइल के इन दावों की हवा निकाल दी। इसने कहा कि ईरान अभी सालों दूर है! अमेरिकी खुफ़िया एजेंसियों ने इस दावे को खारिज करते हुए कहा है कि ईरान अभी परमाणु हथियार विकसित करने से कम से कम तीन साल दूर है।

इसराइल ने पिछले हफ़्ते ईरान के कथित कई परमाणु और मिसाइल ठिकानों पर बड़े पैमाने पर हवाई हमले किए। इसराइली वायुसेना ने नतांज़ क्षेत्र में ईरान के सबसे बड़े यूरेनियम संवर्धन स्थल को निशाना बनाया। इसे इसराइल ने 'परमाणु हथियार विकसित करने की दिशा में अहम' बताया। इसराइली अधिकारियों ने दावा किया कि उनके पास ठोस खुफिया जानकारी थी, जिसके अनुसार ईरान परमाणु हथियारों के निर्माण के अंतिम चरण में था और इसे रोकना ज़रूरी हो गया था।
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इसराइल के प्रधानमंत्री ने एक बयान में कहा, 'ईरान का परमाणु कार्यक्रम न केवल इसराइल के लिए, बल्कि पूरे विश्व के लिए ख़तरा है। हमने समय रहते कार्रवाई की और यह सुनिश्चित किया कि ईरान परमाणु हथियार प्राप्त न कर सके।' इसराइल ने यह भी दावा किया कि उसके पास गोपनीय रिपोर्ट हैं कि ईरान ने हजारों किलोग्राम समृद्ध यूरेनियम का उत्पादन किया था और उसकी गुप्त अंडरग्राउंड फ़ैसिलिटीज़ में परमाणु हथियारों के लिए तेज़ी से काम चल रहा था।

दूसरी ओर, अमेरिकी खुफिया एजेंसियों ने इसराइल के दावों को समर्थन नहीं दिया। एक ताज़ा रिपोर्ट में अमेरिकी खुफिया समुदाय ने आकलन किया कि ईरान वर्तमान में परमाणु हथियार बनाने की सक्रिय कोशिश नहीं कर रहा है। सीएनएन के अनुसार, अमेरिकी खुफिया सूत्रों ने बताया कि ईरान को एक परमाणु हथियार विकसित करने और उसे मिसाइल पर तैनात करने की क्षमता हासिल करने में अभी कम से कम तीन साल लग सकते हैं।

अमेरिकी अधिकारियों ने यह भी कहा कि दोनों देशों के पास एक ही खुफिया जानकारी होने के बावजूद, उनके निष्कर्ष अलग-अलग हैं।

रिपोर्ट के अनुसार एक वरिष्ठ अमेरिकी अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, "हमारा आकलन यह है कि ईरान ने अभी तक परमाणु हथियार बनाने का अंतिम निर्णय नहीं लिया है। उनकी गतिविधियाँ चिंताजनक हैं, लेकिन वे उस बिंदु पर नहीं पहुंचे हैं, जिसे इसराइल 'पॉइंट ऑफ नो रिटर्न' कह रहा है।"

ईरान की प्रतिक्रिया

ईरान ने इसराइल के हमलों को 'अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन' करार देते हुए इसकी कड़ी निंदा की है। ईरान ने जवाबी कार्रवाई करते हुए इसराइल की ओर दर्जनों बैलिस्टिक मिसाइलें दागीं, जिनमें से कुछ तेल अवीव तक पहुंचीं। ईरान ने दावा किया कि उसके परमाणु कार्यक्रम का उद्देश्य केवल शांतिपूर्ण ऊर्जा उत्पादन है और वह परमाणु हथियार बनाने की दौड़ में नहीं है।
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ईरान के विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा, 'इसराइल का यह दावा पूरी तरह से ग़लत है और क्षेत्र में अस्थिरता पैदा करने का प्रयास है। हमारी परमाणु सुविधाएं अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (आईएईए) की निगरानी में हैं।' आईएईए के प्रमुख ने हाल ही में संकेत दिए हैं कि इसराइल के हमलों से ईरान की सबसे बड़ी परमाणु सुविधा को व्यापक नुकसान हुआ है।

इसराइल और ईरान के बीच परमाणु विवाद कोई नया नहीं है। 1992 में इसराइली सांसद बेंजामिन नेतन्याहू ने दावा किया था कि ईरान 3-5 साल में परमाणु हथियार बना सकता है। तब से इसराइल बार-बार इसी तरह के दावे करता रहा है, लेकिन अमेरिकी और अंतरराष्ट्रीय खुफिया एजेंसियों ने इन दावों को बार-बार कमतर आंका है।

ट्रंप की राष्ट्रीय खुफिया निदेशक तुलसी गबार्ड ने मार्च में कहा था कि अमेरिकी खुफिया समुदाय का यह आकलन रहा है कि ईरान परमाणु हथियार नहीं बना रहा है और सर्वोच्च नेता खामेनेई ने 2003 में निलंबित किए गए परमाणु हथियार कार्यक्रम को अधिकृत नहीं किया है।

2024 में इसराइल और अमेरिका ने संयुक्त रूप से अनुमान लगाया था कि ईरान को परमाणु हथियार बनाने में 10-18 महीने लग सकते हैं, लेकिन इसके लिए उसे हथियार-ग्रेड यूरेनियम को और समृद्ध करने और इसे मिसाइलों पर तैनात करने की तकनीक विकसित करने की ज़रूरत होगी।

इस तनाव ने वैश्विक समुदाय को चिंता में डाल दिया है। संयुक्त राष्ट्र के महासचिव ने दोनों पक्षों से संयम बरतने और बातचीत के ज़रिए विवाद सुलझाने की अपील की है। रूस और चीन ने इसराइल के हमलों की निंदा की, जबकि अमेरिका ने अपने सहयोगी इसराइल का समर्थन करते हुए कहा कि वह क्षेत्र में स्थिरता के लिए प्रतिबद्ध है।
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वॉल स्ट्रीट जर्नल के अनुसार, वित्तीय बाज़ारों ने अभी तक इस तनाव को गंभीरता से नहीं लिया है, लेकिन जानकारों ने चेतावनी दी है कि यदि युद्ध बढ़ा तो तेल की क़ीमतों और वैश्विक आपूर्ति पर गंभीर असर पड़ सकता है।

इन विरोधाभासी दावों ने इसराइल और अमेरिका के बीच मतभेदों को उजागर किया है, जो पहले से ही ईरान को लेकर कई मुद्दों पर असहमत रहे हैं। जानकारों का मानना है कि इसराइल के हमलों से ईरान का परमाणु कार्यक्रम कुछ समय के लिए पीछे धकेला जा सकता है, लेकिन इससे क्षेत्रीय तनाव और बढ़ेगा।