अमेरिका ने इसराइल की रक्षा में एक अरब डॉलर यानी क़रीब 85 अरब रुपये से ज़्यादा ख़र्च कर दिए। वह भी तब जब वह इसराइल के युद्ध में सीधे तौर पर शामिल नहीं था। ईरान-इसराइल के 12 दिनों के युद्ध में इसराइल के एयर डिफ़ेंस सिस्टम पर अमेरिका ने THAAD यानी टर्मिनल हाई एल्टीट्यूड एरिया डिफेंस सिस्टम के इंटरसेप्टर मिसाइलों का इतना उपयोग कर लिया जितना अमेरिका साल भर में बना भी नहीं पाता है। 'मिलिट्री वाच' मैगज़ीन की रिपोर्ट के अनुसार युद्ध के दौरान THAAD सिस्टम पर ही एक अरब डॉलर से ज़्यादा ख़र्च कर दिए। अब अमेरिका के लिए ऐसा ही एक और युद्ध झेलना मुश्किल हो सकता है! तो सवाल है कि क्या इसका सिस्टम इतना कम पड़ गया? या फिर इसकी कुछ और वजहें हैं?

मैगज़ीन की रिपोर्ट के अनुसार अमेरिका ने इसराइल की रक्षा के लिए 12-दिवसीय संघर्ष के दौरान THAAD सिस्टम के तहत मिसाइल इंटरसेप्टर का इस्तेमाल किया। प्रत्येक THAAD इंटरसेप्टर की लागत 12 से 15 मिलियन डॉलर के बीच है। रिपोर्ट के अनुसार इस ऑपरेशन की अनुमानित लागत 810 मिलियन से 1.215 बिलियन डॉलर के बीच बताई जा रही है। 
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अमेरिका की 20% THAAD मिसाइलें ख़त्म!

यह ख़र्च उस समय हुआ जब अमेरिका ने इसराइल के ख़िलाफ़ ईरान और उसके सहयोगी समूहों द्वारा किए गए हमलों को रोकने के लिए अपनी सैन्य तकनीक का इस्तेमाल किया। अमेरिका ने 12 दिन में THAAD मिसाइलों का 15 से 20 प्रतिशत हिस्सा इस्तेमाल कर लिया। मिलिट्री वॉच मैगजीन के अनुसार, 13 जून से 24 जून के बीच ईरान के बैलिस्टिक मिसाइल हमलों से इसराइली शहरों और परमाणु ठिकानों को बचाने के लिए 60-80 THAAD मिसाइलें दागी गईं। 

रिपोर्ट के अनुसार पेंटागन के पास फ़िलहाल पाँच एयर डिफ़ेंस रेजिमेंट में सात THAAD सिस्टम हैं और आठवां सिस्टम 2025 के अंत तक चालू हो जाएगा। अमेरिका हर साल केवल 50-60 मिसाइलें बनाता है। यानी 12 दिन के युद्ध ने एक साल से ज्यादा की उत्पादन क्षमता ख़त्म कर दी। यह वाशिंगटन के लिए इसलिए चिंता का विषय है, क्योंकि THAAD सिस्टम दक्षिण कोरिया, गुआम और हवाई में भी तैनात हैं। ये उत्तर कोरिया और चीन जैसे विरोधियों को रोकने के लिए तैनात किए गए हैं।

ईरान का हमला बढ़ता तो?

मिलिट्री वॉच ने रिपोर्ट दी है कि ईरान ने अपनी मिसाइलें मध्यम स्तर पर दागीं, जो उसकी पूरी क्षमता से कम थी। ईरान ने कई वॉरहेड वाली मिसाइलें भी नहीं इस्तेमाल कीं। फिर भी इसराइल के एरो, बराक 8 और अमेरिकी नौसेना के एसएम-3 मिसाइलों से लैस एजिस डिस्ट्रॉयर्स की मदद के बावजूद अमेरिकी मिसाइल भंडार को भारी नुक़सान हुआ।

विशेषज्ञों का कहना है कि अगर ईरान ने हमले बढ़ाए होते या 12 दिन से ज़्यादा जारी रखे होते तो THAAD सिस्टम शायद कम पड़ जाता या बेअसर हो जाता।

अमेरिका की आर्थिक स्थिति

तो क्या अमेरिका आर्थिक रूप से भी ऐसे युद्ध को लंबे समय तक झेल सकता है? अमेरिका का राष्ट्रीय कर्ज पहले ही 1 ट्रिलियन डॉलर के स्तर को पार कर चुका है, जो हर तीन महीने में बढ़ रहा है। इस स्थिति में इसराइल की रक्षा में 1 अरब डॉलर से अधिक का खर्च और भविष्य में इस तरह के और खर्चों की संभावना ने कई सवाल खड़े किए हैं। अमेरिकी नागरिकों के बीच असंतोष बढ़ रहा है, क्योंकि कई का मानना है कि यह पैसा उनकी अपनी ज़रूरतों, जैसे स्वास्थ्य, शिक्षा और बुनियादी ढाँचे पर ख़र्च किया जाना चाहिए।
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क्या अगला युद्ध झेल सकता है?

जानकारों का मानना है कि मध्य पूर्व में भविष्य में और तनाव और बढ़ सकता है। यदि अमेरिका इस तरह के संघर्षों में और गहराई से शामिल होता है तो इसके आर्थिक और सैन्य संसाधनों पर भारी दबाव पड़ सकता है। रक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि THAAD जैसे उन्नत रक्षा सिस्टम की लागत बहुत अधिक है और बार-बार उपयोग से अमेरिका की मिसाइल आपूर्ति पर भी असर पड़ सकता है। इसके अलावा यदि ईरान या अन्य विरोधी ताक़तें इसराइल के प्रमुख ठिकानों को निशाना बनाती हैं तो अमेरिका की भागीदारी और खर्च और बढ़ सकते हैं।

अमेरिका द्वारा इसराइल की रक्षा में ख़र्च किए गए 1 अरब डॉलर से अधिक ने न केवल आर्थिक, बल्कि राजनीतिक और सामाजिक बहस को भी हवा दी है। यह ख़र्च उस समय हुआ जब अमेरिका खुद आर्थिक चुनौतियों का सामना कर रहा है। भविष्य में यदि मध्य पूर्व में तनाव और बढ़ता है तो अमेरिका को अपनी रणनीतिक प्राथमिकताओं और आर्थिक क्षमताओं के बीच संतुलन बनाना होगा।