Bihar SIR Controversy : अमित शाह ने SIR को लेकर राहुल गांधी पर निशाना साधते हुए जवाहरलाल नेहरू का नाम क्यों लिया? जानें इस बयान के पीछे की राजनीतिक वजह और विवाद।
लीजिए, अब SIR के लिए भी नेहरू के नाम को घसीट ले आया गया!
SIR यानी विशेष गहन पुनरीक्षण। चुनाव आयोग की बिहार में चल रही वह प्रक्रिया जिसपर कांग्रेस सहित तमाम विपक्षी दलों ने हंगामा खड़ा किया हुआ है। राहुल गांधी इसपर काफ़ी मुखर हैं। यही वजह है कि बिहार के सीतामढ़ी में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी पर तीखा हमला बोला।
विशेष गहन पुनरीक्षण यानी SIR अभियान को लेकर विपक्ष के आरोपों का जवाब देते हुए अमित शाह ने कहा कि मतदाता सूची को सही करने की शुरुआत जवाहरलाल नेहरू ने की थी। सवाल है कि अमित शाह ने आख़िर एसआईआर के लिए नेहरू का नाम क्यों लिया? आइए जानते हैं कि क्या है यह विवाद और क्यों बीजेपी बार-बार नेहरू का नाम घसीट ले आती है।
नेहरू पर बीजेपी की रणनीति को समझने से पहले यह जान लें कि अमित शाह बिहार क्यों पहुँचे थे। अमित शाह सीतामढ़ी के पुनौराधाम में माता सीता के जन्मस्थल माने जाने वाले माता जानकी मंदिर के 882.87 करोड़ रुपये की पुनर्विकास परियोजना का शिलान्यास करने पहुंचे थे। इस अवसर पर उन्होंने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी और कई केंद्रीय मंत्रियों के साथ भूमि पूजन किया और मंदिर के पुनर्विकास का डिजाइन भी अनावरण किया। इस परियोजना का लक्ष्य 67 एकड़ क्षेत्र में एक भव्य मंदिर परिसर का निर्माण करना है, जिसे 11 महीनों में पूरा करने की योजना है। शाह ने कहा कि यह अयोध्या के राम मंदिर की तर्ज पर बनाया जाएगा। इसी दौरान उन्होंने राहुल गांधी और विपक्षी दलों पर बिहार के SIR अभियान को लेकर वोटबैंक की राजनीति करने का आरोप लगाया और कहा कि घुसपैठियों को कभी भी वोट का अधिकार नहीं दिया जाएगा।
राहुल जी, आपके परदादा (परनाना) ने शुरू किया था: शाह
एसआईआर अभियान को लेकर राहुल गांधी के आरोपों का जवाब देते हुए अमित शाह ने कहा कि मतदाता सूची के शुद्धिकरण की शुरुआत कांग्रेस के ही नेतृत्व में हुई थी। उन्होंने कहा, 'राहुल जी, वोटबैंक की राजनीति बंद कीजिए। मतदाता सूची का शुद्धिकरण पहली बार नहीं हो रहा है। आपके परदादा (परनाना) जवाहरलाल नेहरू ने इसे शुरू किया था, और 2003 में भी यह किया गया था।'
SIR विवाद और राहुल गांधी का विरोध
बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण यानी एसआईआर अभियान को लेकर विपक्ष, खासकर कांग्रेस और राष्ट्रीय जनता दल ने तीखा विरोध जताया है। विपक्षी दलों का आरोप है कि यह अभियान गरीब, वंचित और अल्पसंख्यक समुदायों को निशाना बनाकर उनके नाम को मतदाता सूची से हटाने की कोशिश है। राहुल गांधी ने इसे लेकर केंद्र सरकार और बीजेपी पर निशाना साधते हुए इसे 'वोट चोरी' का प्रयास बताया था। संसद के मानसून सत्र में भी इस मुद्दे पर विपक्षी सांसदों ने हंगामा किया, जिसके कारण दोनों सदनों की कार्यवाही स्थगित करनी पड़ी थी।
अमित शाह ने इन आरोपों का जवाब देते हुए कहा कि
एसआईआर अभियान का उद्देश्य केवल मतदाता सूची को सही करना है, न कि किसी समुदाय को निशाना बनाना। उन्होंने यह भी साफ़ किया कि यह प्रक्रिया नई नहीं है और इसका इतिहास नेहरू के समय से शुरू होता है। शाह ने कहा, 'यह कोई नई बात नहीं है। यह प्रक्रिया पहले भी कई बार हुई है, और इसका मकसद सिर्फ यह सुनिश्चित करना है कि मतदाता सूची में कोई अनधिकृत नाम न रहे।'
नेहरू पर बीजेपी का बार-बार हमला?
अमित शाह और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित बीजेपी के वरिष्ठ नेताओं ने हाल के वर्षों में कई मौकों पर जवाहरलाल नेहरू को विभिन्न राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मुद्दों के लिए जिम्मेदार ठहराया है।
अमित शाह ने कई बार संसद में कहा कि 1947-48 के भारत-पाक युद्ध के दौरान नेहरू ने समय से पहले युद्धविराम (सीजफायर) कर दिया, जिसके कारण पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर अस्तित्व में आया। उन्होंने दावा किया कि अगर तीन दिन और युद्ध चलता तो पीओके भारत का हिस्सा होता। अमित शाह यह भी कहते रहे हैं कि कश्मीर मुद्दे को संयुक्त राष्ट्र में ले जाने का नेहरू का फैसला एक बड़ी भूल थी।
अमित शाह सहित बीजेपी नेताओं ने 1962 के भारत-चीन युद्ध में भारत की हार के लिए नेहरू की नीतियों को जिम्मेदार ठहराया है। उनका कहना है कि नेहरू की कमजोर विदेश नीति और सैन्य तैयारियों की कमी के कारण भारत को अक्साई चिन का हिस्सा गंवाना पड़ा।
बीजेपी दावा करती रही है कि नेहरू ने भारत को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की स्थायी सीट की पेशकश को ठुकरा दिया और इसे चीन को देने की सिफारिश की, जो एक ऐतिहासिक भूल था।
अमित शाह और अन्य बीजेपी नेताओं ने 1960 की सिंधु जल संधि को भी नेहरू की गलती बताया है, जिसमें भारत ने 80% जल संसाधनों का अधिकार पाकिस्तान को दे दिया। उनका कहना है कि यह भारत के हितों के खिलाफ था।
हाल ही में सीएनएन-न्यूज18 राइजिंग भारत समिट 2025 में अमित शाह ने कहा कि देश के विभाजन के लिए कांग्रेस की तुष्टीकरण नीति जिम्मेदार थी और नेहरू को प्रधानमंत्री बनाने का फैसला भी इसका एक हिस्सा था। उन्होंने कहा कि 1946 के प्रांतीय चुनावों में मुस्लिम लीग की हार से साफ था कि आम मुस्लिम जनता बंटवारे के पक्ष में नहीं थी।
पीएम मोदी का नेहरू पर फोकस!
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी अपने भाषणों में बार-बार नेहरू का जिक्र किया है। हाल ही में एक भाषण में उन्होंने 14 बार नेहरू का नाम लिया और उनकी नीतियों को निशाना बनाया। जानकारों का मानना है कि बीजेपी नेहरू को निशाना बनाकर कांग्रेस की ऐतिहासिक विरासत को कमजोर करने की रणनीति अपनाती है।
मोदी और शाह नेहरू को एक प्रतीक के रूप में पेश करते हैं, जिसके जरिए वे कांग्रेस की नीतियों को 'राष्ट्र-विरोधी' या 'तुष्टीकरण' से जोड़कर जनता के बीच अपनी विचारधारा को मजबूत करते हैं। कुछ जानकारों का कहना है कि यह रणनीति नेहरू-गांधी परिवार की छवि को कमजोर करने और बीजेपी की 'नए भारत' की अवधारणा को स्थापित करने का हिस्सा है।
डीएमके सांसद कनिमोझी ने हाल ही में बीजेपी की इस रणनीति पर तंज कसते हुए कहा था कि 'नेहरू को बीजेपी जितना याद करती है, उतना तो कांग्रेस भी नहीं करती।'
कांग्रेस का जवाब
राहुल गांधी और कांग्रेस ने बीजेपी के इन आरोपों को 'इतिहास को तोड़-मरोड़कर पेश करने' का प्रयास बताया है। राहुल ने संसद में और सार्वजनिक मंचों पर कहा कि बीजेपी अपनी नाकामियों को छिपाने के लिए नेहरू को निशाना बनाती है।
एसआईआर पर विवाद बढ़ेगा?
अमित शाह का यह बयान बिहार में आगामी विधानसभा चुनावों से पहले एक बड़े राजनीतिक विवाद को जन्म दे सकता है। एसआईआर अभियान और नेहरू को लेकर बीजेपी और कांग्रेस के बीच तीखी बयानबाजी से राज्य का सियासी माहौल गर्म हो गया है। बीजेपी जहां इसे मतदाता सूची को सही करने के लिए जरूरी बता रही है, वहीं विपक्ष इसे मतदाताओं के खिलाफ साजिश करार दे रहा है।
अमित शाह का राहुल गांधी पर ताजा हमला और नेहरू को
एसआईआर अभियान से जोड़ने का बयान बीजेपी की उस रणनीति का हिस्सा है, जिसमें वह नेहरू को ऐतिहासिक गलतियों का प्रतीक बनाकर कांग्रेस को कमजोर करने की कोशिश करती है। दूसरी ओर, विपक्ष इसे बीजेपी की विभाजनकारी नीति का हिस्सा मानता है। जैसे-जैसे बिहार में चुनाव नजदीक आ रहे हैं, यह विवाद और तूल पकड़ सकता है।