नेशनल रजिस्टर ऑफ़ सिटीजंस (एनआरसी) में जिन 19 लाख लोगों के नाम नहीं हैं, उनके पास क्या विकल्प बचे हुए है? वे अब क्या कर सकते हैं और केंद्र और राज्य सरकार उनके साथ क्या कर सकती है?
असम के मुख्य मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने कहा है कि जिनके नाम एनआरसी सूची में नहीं हैं, वे फॉरनर्स ट्राब्यूनल में अपील कर सकते हैं। अपील करने की मियाद 60 दिन से बढ़ा कर 120 दिन कर दी गई है। उन्होंने कहा, 'अपीलकर्ता की अर्ज़ी जब तक फ़ॉरनर्स ट्राइब्यूनल में है, उन्हें विदेशी घोषित नहीं किया जाएगा।'
फ़ॉरनर्स ट्राइब्यूनल में सुनवाई के बाद भी जिनके नाम एनआरसी लिस्ट में नहीं जोड़े जाएंगे, वे हाई कोर्ट और उसके बाद सुप्रीम कोर्ट में अपील कर सकते हैं। अदालत में भी अपील हार गए लोगों को गिरफ़्तार किया जा सकेगा। ऐसे लोगों को गिरफ़्तार करने के बाद बंदी शिविर में रखा जा सकता है।
विदेशी अधिनियम 1946 और विदेशी ट्राइब्यूनल आदेश 1964 के तहत सिर्फ़ फ़ॉरनर्स ट्राइब्यूनल ही किसी को विदेशी घोषित कर सकता है। इसलिए एनआरसी में किसी का नाम नहीं होने का मतलब यह नहीं कि वह विदेशी है।
उन्होंने कहा, 'जिन लोगों के नाम एनआरसी की अंतिम सूची में शामिल नहीं हैं उन्हें किसी सूरत में तब तक गिरफ़्तार नहीं किया जा सकता जब तक फ़ॉरनर्स ट्राइब्यूनल उन्हें विदेशी घोषित नहीं करता।'
असम सरकार ने यह भी कहा है कि जो सूची से बाहर छूट गए, उन 'ज़रूरतमंद लोगों' की मुफ़्त क़ानूनी मदद की जाएगी। इसके लिए हर ज़िले में क़ानूनी प्रकोष्ठ का गठन किया जाएगा। इन्हें डिस्ट्रिक्ट लीगल सर्विसेज अथॉरिटी यानी डीएलएसए कहा जाएगा।