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लालू के खिलाफ सीबीआई क्या नीतीश को संदेश देने के लिए है?

सीबीआई के सहारे लालू प्रसाद यादव को राजनैतिक रूप से पंगु बनाये रखने की बीजेपी की नीति की बात लंबे अरसे से कही जाती रही है।

शुक्रवार को जब लालू-राबड़ी के आवासों और उनसे जुड़े लोगों और जगहों पर सीबीआई की छापेमारी की खबर आयी तो हाल की वैसी सभी बातें चर्चा में आ गयीं जिनसे सीधे तौर पर बिहार में बीजेपी नेतृत्व को परेशानी हो रही थी। 

लालू प्रसाद का लंबे समय तक जेल में रहना अगर बिहार में किसी राजनैतिक दल के लिए सबसे लाभकारी रहा है तो वह निश्चित रूप से बीजेपी के लिए रहा है। 

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इधर, चारा घोटाला के अंतिम केस में जमानत मिलने के बाद यह बात बीजेपी की नजर में है कि लालू प्रसाद बिहार में कोई नया गुल खिला सकते हैं मगर यह काम नीतीश कुमार से मिले बिना नहीं हो सकता है।

बीजेपी नेतृत्व दो स्तर पर लालू और नीतीश दोनों को काबू में रखने की चाल चल रहा है। ऐसा लगता है कि बिहार के नेतृत्व को यह जिम्मेदारी मिली हुई है कि वह नीतीश कुमार को विवादस्पद मांगों और बयानों से काबू में रखे। उन्हें यह अहसास दिलाता रहे कि वे बीजेपी के रहमो करम पर मुख्यमंत्री बने हुए हैं। इसीलिए बीजेपी के कई मंत्री-नेता मुसलमानों को लेकर विवादास्पद बयान देते रहे हैं।

विधानसभा अध्यक्ष और बीजेपी नेता विजय कुमार सिन्हा से नीतीश कुमार की विधानसभा में हुई बकझक बहुत पुरानी बात नहीं है।

दूसरी ओर बीजेपी का केन्द्रीय नेतृत्व यह बिल्कुल नहीं जताना चाहता कि 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री पद से हटाने पर जोर डाला जाए हालांकि प्रदेश के बीजेपी नेता कहते रहते हैं कि उनकी पार्टी सबसे बड़ी है तो मुख्यमंत्री भी उनका होना चाहिए।

जातीय जनगणना का मुद्दा 

इन सबके बीच हाल में सबसे बड़ा पेच बिहार में जातीय जनगणना की मांग और इस मुद्दे पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी प्रसाद यादव का एक स्वर होना बताया जा रहा है। खासकर बीजेपी का केन्द्रीय नेतृत्व इस बात के लिए बिल्कुल राजी नहीं कि जातीय जनगणना करायी जाए।

CBI raid against Lalu Yadav in land for railway job scam - Satya Hindi
रोचक बात यह है कि जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से बिहार का सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में मिलने गया था तो उसमें तेजस्वी यादव के अलावा बीजेपी के नेता भी हंसी खुशी शामिल हुए थे। तब प्रधानमंत्री के हवाले से यह बताया गया था कि उन्होंने इस पर विचार करने की बात कही है।

बाद में जब केन्द्र सरकार की ओर से यह स्पष्ट कर दिया गया कि जातीय जनगणना कराने का कोई इरादा नहीं है तो तेजस्वी यादव ने पहले तो दिल्ली तक पदयात्रा की बात कही और फिर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से अलग से मुलाकात भी की। उन्होंने इस मुलाकात के बाद दावा किया था कि नीतीश कुमार ने जातीय जनगणना के बारे में अतिशीघ्र फैसला लेने की बात कही है।

खुद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार यह कह रहे हैं कि जातीय जनगणना पर कैबिनेट की बैठक में फैसला लिया जाएगा। वह इस बात को अलग-अलग अवसर पर अलग-अलग तरीके से कह रहे हैं। लेकिन हाल ही में स्वास्थ्य मंत्री और बीजेपी नेता मंगल पांडे ने इस सवाल को यह कहकर टाल दिया कि इस विषय पर उनके नेता उप मुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद बयान देंगे।

CBI raid against Lalu Yadav in land for railway job scam - Satya Hindi

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव का परिणाम बीजेपी के पक्ष में आने के बाद बिहार बीजेपी का रवैया नीतीश कुमार के प्रति सख्त होता गया और उसने अपने हिन्दुत्ववादी एजेंडे पर खुलआम बात करनी शुरू कर दी। 

फिर उत्तर प्रदेश में बीजेपी उम्मीदवारों को चुनौती देने वाले विकासशील इंसान पार्टी के मुकेश सहनी के खिलाफ बीजेपी नेतृत्व ने अपना रुख कठोर कर लिया और नीतीश कुमार से कहकर उन्हें मंत्री पद से हटवा दिया।

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बोचहां उपचुनाव

उधर, मुकेश सहनी ने इसका बदला मुजफ्फरपुर के बोचहां उपचुनाव में लिया और अपना उम्मीदवार खड़ा किया। हालांकि वीआईपी को यहां जीत नहीं मिली लेकिन बीजेपी के उम्मीदवार को इस कारण बहुत घाटा उठाना पड़ा और यहां राजद के उम्मीदवार को जीत मिल गयी। उस समय भी बीजेपी के नेताओं ने दबे स्वर में नीतीश कुमार पर बीजेपी उम्मीदवार के पक्ष में मन से प्रचार न करने की बात कही थी।

‘चाचा-भतीजा’ फिर एक होंगे?

इन परिस्थितियों में यह चर्चा तेज हो गयी थी कि लालू प्रसाद को जमानत मिलने के बाद नीतीश और आरजेडी को एक साथ करने की कोशिश तेज हो रही है। 

नीतीश कुमार रमजान के समय ताबड़तोड़ इफ्तार पार्टियों में शामिल हुए। यहां तक कि तेजस्वी यादव की दी गयी इफ्तार की दावत में भी शामिल हुए। इससे इस चर्चा को बल मिला कि ‘चाचा-भतीजा’ फिर एक होने वाले हैं।

हालांकि इस चर्चा के खिलाफ यह बात भी सामने आयी कि जब वीर कुंवर सिंह के नाम पर आरा में आयोजित ‘विजयोत्सव’ में गृह मंत्री अमित शाह पटना पहुंचे तो नीतीश कुमार ने उनसे भी मुलाकात की थी। लेकिन उस समय भी नीतीश कुमार अमित शाह के आरा कार्यक्रम में शामिल नहीं हुए थे और यह कहा था कि हम लोग तो पहले से ही उनके नाम पर कार्यक्रम करते आ रहे हैं।

अब इस छापेमारी के बाद लालू प्रसाद के लिए एक और केस लड़ने की चुनौती आ गयी है। उधर, तेजस्वी यादव भी फिलहाल व्याख्यान देने के लिए विदेश में हैं। ऐसे में लालू प्रसाद को राजनैतिक रूप से पंगु बनाने की नीति में यह छापेमारी बीजेपी के लिए मददगार साबित हो सकती है।

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समी अहमद
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