दिल्ली में पुराने वाहनों की जब्ती पर सरकार ने अब यू-टर्न ले लिया है! जब्ती वाले इस आदेश पर फ़िलहाल रोक लगा दी गई है। प्रदूषण रोकने के नाम पर लागू हुई सख्त नीति ने लाखों वाहन मालिकों को हैरान कर दिया था। जनता के ग़ुस्से और इस मुद्दे पर चौतरफ़ा बवाल के बाद दिल्ली सरकार ने घुटने टेकते हुए नीति में बदलाव का ऐलान किया। क्या यह जनता की जीत है या प्रदूषण नियंत्रण की कोशिशों पर एक और सवालिया निशान? 

दरअसल, दिल्ली में वायु प्रदूषण को कम करने के लिए सरकार ने हाल हील में सख्त नीति लागू की थी। इसके तहत 10 साल पुराने डीजल और 15 साल पुराने पेट्रोल वाहनों को जब्त करने और उन्हें फ्यूल देने पर रोक लगाने का प्रावधान था। इस पर जनता के भारी विरोध और दबाव के बाद सरकार ने इस नीति में बदलाव का फ़ैसला किया है। दिल्ली सरकार के पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने पत्रकारों से कहा कि इस तरह के ईंधन प्रतिबंध को लागू करना मुश्किल है क्योंकि इसमें तकनीकी दिक्कतें हैं। उन्होंने बताया कि इसके बजाय एक ऐसी व्यवस्था पर काम किया जा रहा है जिसमें खराब रख-रखाव वाले वाहनों को जब्त किया जाएगा, न कि उन लोगों को सजा दी जाएगी जो अपनी कारों और मोटरसाइकिलों का अच्छे से ध्यान रखते हैं। सरकार की इस घोषणा ने उन लाखों वाहन मालिकों को राहत दी है, जो इस नीति के लागू होने से प्रभावित हो रहे थे। 
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क्या थी नीति?

1 जुलाई से दिल्ली सरकार ने वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए एक सख्त नीति लागू की थी। दिल्ली में सर्दियों के महीनों में लोग जहरीले स्मॉग की चादर तले सांस लेने को मजबूर होते हैं और बाकी साल भी खराब वायु गुणवत्ता से जूझते हैं। इसके तहत 10 साल से पुराने डीजल वाहनों और 15 साल से पुराने पेट्रोल व सीएनजी वाहनों को 'एंड-ऑफ-लाइफ' वाहनों की श्रेणी में रखा गया था। इन वाहनों को न तो पेट्रोल पंपों पर ईंधन दिया जाना था और न ही इन्हें दिल्ली की सड़कों पर चलने की अनुमति दी जानी थी। 

इस नीति के तहत ऐसे वाहनों को सड़कों पर पकड़े जाने पर जब्त करने और मालिकों पर 5,000 से 10,000 रुपये तक का जुर्माना लगाने का प्रावधान था। पहले ही दिन 1 जुलाई को दिल्ली पुलिस और परिवहन विभाग ने मिलकर लगभग 80 वाहनों को जब्त किया। इनमें 67 दोपहिया वाहन, 12 कारें और 1 ऑटो रिक्शा शामिल थे। इसके अलावा 98 वाहन मालिकों को नोटिस जारी किए गए। इस नीति को लागू करने के लिए दिल्ली के सभी पेट्रोल पंपों पर ऑटोमैटिक नंबर प्लेट रिकग्निशन यानी एएनपीआर कैमरे लगाए गए थे, जो वाहनों की उम्र और रजिस्ट्रेशन की जाँच कर रहे थे। 
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क्यों मचा है बवाल?

लेकिन इस नीति का बड़ा विरोध शुरू हो गया। सोशल मीडिया पर लोगों ने इसे 'तुगलकी फरमान' क़रार दिया और इसे गरीब और मध्यम वर्ग के ख़िलाफ़ बताया। 

पूर्व मुख्यमंत्री आतिशी ने भी इस नीति की आलोचना करते हुए कहा कि यह नीति वाहन मालिकों को नई गाड़ियाँ खरीदने के लिए मजबूर कर रही है, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति पर बोझ पड़ रहा है। उन्होंने सवाल उठाया कि क्या इस नीति के पीछे वाहन निर्माता कंपनियों का दबाव है।

एक्स पर एक यूज़र ने लिखा, '10 साल पुरानी गाड़ी जिसने 2 लाख किलोमीटर चली हो उसे चलाने की अनुमति है, लेकिन 15 साल पुरानी गाड़ी जो सिर्फ 50,000 किलोमीटर चली हो, उसे नहीं? यह नियम तर्कसंगत नहीं है।'

नीति में बदलाव का ऐलान

जनता के भारी विरोध, पेट्रोल पंप डीलरों की शिकायतों और दिल्ली हाईकोर्ट में दायर याचिका के बाद दिल्ली सरकार ने इस नीति को होल्ड करने का फ़ैसला लिया। पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने कमीशन फॉर एयर क्वालिटी मैनेजमेंट यानी सीएक्यूएम को पत्र लिखकर अनुरोध किया कि इस नीति को तब तक लागू न किया जाए, जब तक एनसीआर क्षेत्र में एएनपीआर सिस्टम पूरी तरह से लागू नहीं हो जाता। उन्होंने कहा, 'लोग इस फैसले से नाराज हैं, और सरकार उनके साथ खड़ी है।'

सिरसा ने यह भी तर्क दिया कि गाड़ियों को उनकी उम्र के आधार पर नहीं, बल्कि उनके प्रदूषण स्तर के आधार पर प्रतिबंधित करना चाहिए। उन्होंने कहा कि दिल्ली में लागू किए गए नियम तब तक प्रभावी नहीं होंगे, जब तक एनसीआर के अन्य शहरों जैसे नोएडा, गुरुग्राम, और गाजियाबाद में भी समान नियम लागू नहीं किए जाते। दिल्ली सरकार और सीएक्यूएम के बीच इस मुद्दे पर जल्द ही एक बैठक होने वाली है, जहां नीति पर पुनर्विचार किया जाएगा।
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पेट्रोल पंप डीलरों की आपत्ति

दिल्ली पेट्रोल डीलर्स एसोसिएशन ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर कहा कि पेट्रोल पंप मालिकों को 'एंड-ऑफ-लाइफ' वाहनों को ईंधन देने से रोकने की जिम्मेदारी देना गलत है, क्योंकि वे कानून प्रवर्तन एजेंसी नहीं हैं। कोर्ट ने सरकार और सीएक्यूएम को सितंबर तक जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है और कहा कि पेट्रोल पंप मालिकों के ख़िलाफ़ कोई कार्रवाई होने पर उसे कोर्ट के संज्ञान में लाया जाए।

वाहन मालिकों के लिए राहत 

इस नीति पर रोक से दिल्ली के करीब 62 लाख 'एंड-ऑफ़-लाइफ़' वाहन मालिकों को तात्कालिक राहत मिली है, जिनमें 41 लाख दोपहिया और 18 लाख चार-पहिया वाहन शामिल हैं। हालांकि, सरकार ने साफ़ किया है कि यह केवल अस्थायी राहत है और भविष्य में प्रदूषण नियंत्रण के लिए और सख्त कदम उठाए जा सकते हैं। दिल्ली सरकार की नई इलेक्ट्रिक वाहन नीति भी 2025 में लागू होने वाली है, जिसमें सीएनजी और डीजल वाहनों को धीरे-धीरे इलेक्ट्रिक वाहनों से बदलने की योजना है।