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गुजरात के सीएम भूपेंद्र पटेल गिरे हुए पुल को निहारते हुए।

गुजरात हादसाः 8 हिरासत में, लेकिन ओरेवा ठेकेदार अभी तक नहीं

गुजरात के मोरबी में पुल गिरने की घटना में 8 लोगों को पुलिस ने हिरासत में लिया है। कुछ मीडिया रिपोर्ट में हिरासत में लेने वालों की संख्या 3 बताई गई है। पुलिस ने जिन्हें हिरासत में लिया है वे ओरेवा ट्रस्ट के कर्मचारी हैं। ओरेवा के पास इस पुल के रखरखाव का ठेका है। इस हादसे में अब तक 141 लोगों की मौत हो चुकी है। 177 जख्मी लोगों को अस्पतालों में भर्ती कराया गया है।

पुलिस की एफआईआर में कहा है कि माछु नदी पर बना मोरबी केबल पुल मरम्मत कार्य, रखरखाव में कमी, कुप्रबंधन या किसी अन्य तकनीकी कारणों से ढह गया। पुलिस ने आईपीसी की धारा 304 लगाया है। मोरबी डिवीजन के इंस्पेक्टर पीए देकावड़िया ने कहा कि पुल रविवार शाम करीब 6ः30 बजे गिरा। रात 8ः15 बजे शिकायत दर्ज की गई। तब तक 50 लोगों के मरने और 150 के घायल होने की सूचना थी।  

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पुलिस अधिकारी ने एफआईआर में लिखा है कि क्वॉलिटी जांच या उस पर ज्यादा भीड़ की परवाह किए बिना पुल को लोगों के लिए खोल दिया गया। पुलिस ने कहा कि इस मामले में सरासर लापरवाही हुई है और ऐसा लगता है कि यह काम जानबूझकर किया गया है। गुजरात के गृह राज्य मंत्री हर्ष संघवी ने मीडिया को बताया कि एक आपराधिक मामला दर्ज किया गया है और एक रेंज आईजी अधिकारी के तहत जांच शुरू हो गई है।

इससे पहले एनडीटीवी ने खबर दी थी कि गुजरात के मोरबी शहर में ढह गए 140 साल पुराने केबल पुल को खोलने से पहले म्युनिस्पल अधिकारियों से फिटनेस प्रमाणपत्र नहीं लिया गया था। यह बात स्थानीय नगर निकाय प्रमुख ने एनडीटीवी से कही। माछू नदी पर बना यह पुल मोरबी शहर को दो हिस्सों में बांटता है।

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एनडीटीवी के मुताबिक एक निजी ट्रस्ट ओरेवा को इस पुल की मरम्मत का सरकारी टेंडर मिला था। मरम्मत के लिए सात महीने से पुल बंद था। 26 अक्टूबर को इसे फिर से खोल दिया गया। 26 अक्टूबर को गुजरात का नववर्ष मनाया जाता है। गुजरात के कुछ पत्रकारों का कहना है कि ओरेवा ट्रस्ट सत्तारूढ़ पार्टी के नजदीकी लोगों का है। 
मोरबी नगरपालिका एजेंसी के प्रमुख संदीप सिंह जाला ने एनडीटीवी को बताया कि कंपनी ओरेवा ने पुल खोलने से पहले अधिकारियों से फिटनेस प्रमाणपत्र नहीं लिया था। उन्होंने कहा कि यह एक सरकारी टेडर था। ओरेवा समूह को पुल खोलने से पहले इसके नवीनीकरण का विवरण देना था और क्वॉलिटी की जांच करानी थी। लेकिन उसने ऐसा नहीं किया। सरकार को इसके बारे में पता नहीं था।
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क़मर वहीद नक़वी
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