केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने 10 अक्टूबर 2025 (शुक्रवार) को नई दिल्ली में दैनिक जागरण के कार्यक्रम में 'घुसपैठ, आबादी परिवर्तन और लोकतंत्र' विषय पर बोलते हुए मुस्लिम आबादी के बढ़ने को 'घुसपैठ' से जोड़ा। उन्होंने दावा किया कि मुस्लिम आबादी की वृद्धि दर 24.6% है, जो प्रजनन दर (फर्टिलिटी रेट) के कारण नहीं, बल्कि पाकिस्तान और बांग्लादेश से अवैध घुसपैठ के कारण हुई है। शाह ने 1951 से 2011 तक की जनगणना के आंकड़ों का हवाला दिया। लेकिन वर्तमान आंकड़ों को लेकर अस्पष्टता बरती। अमित शाह ने बाद में आंकड़ों को अपने एक्स हैंडल से ट्वी किया। 
शाह के बयान के बाद सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक ट्वीट साझा किया गया, जिसमें शाह के इन आंकड़ों को हाइलाइट किया गया। फैक्ट-चेकर और पत्रकार मोहम्मद जुबैर (ऑल्ट न्यूज के सह-संस्थापक) ने तुरंत इसे गलत बताते हुए सही आंकड़े जारी किए। इसके बाद अमित शाह के हैंडल से किया गया ट्वीट डिलीट कर दिया गया। विपक्षी दलों, खासकर कांग्रेस ने इसे 'गलत जानकारी फैलाने' का आरोप लगाते हुए शाह पर हमला बोला, दावा किया कि वे 'झूठे आंकड़ों के कारण भागे'। पहले अमित शाह और जुबैर का ट्वीट देखिए-

पिछले 11 साल में भाजपा राज में बढ़ी घुसपैठ

फैक्ट चेकर ज़ुबैर ने सही आंकड़े देते हुए लिखा है- आपके (अमित शाह) डिलीट किये गए ट्वीट में, आपने कहा था कि भारत में मुस्लिम आबादी अब 24.6% हो गई है। मतलब, जो 2014 में 15-16% थी, वह अब भाजपा सरकार 11 साल के राज के बाद 24.6% हो गई. और इसका कारण आप वृद्धि और घुसपैठ बता रहे हैं। तो भाई, सरकार किसकी थी, 11 साल तक गृह मंत्री क्या कर रहे था?
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अमित शाह ने कहा था

शाह का बयान (10 अक्टूबर, दोपहर):  कार्यक्रम में शाह ने कहा, "1951 की जनगणना में हिंदू 84%, मुस्लिम 9.8% थे। 1971 में हिंदू 82%, मुस्लिम 11%। 1991 में हिंदू 81%, मुस्लिम 12.21%। 2011 में हिंदू 79%, मुस्लिम 14.2%। मुस्लिम आबादी की वृद्धि दर 24.6% है। यह घुसपैठ के कारण हुई, न कि प्रजनन दर से।"  
उन्होंने असम (29.6% दशकीय वृद्धि), पश्चिम बंगाल (कुछ जिलों में 40-70% वृद्धि) और झारखंड के आदिवासी क्षेत्रों का उदाहरण दिया।  
शाह ने 'डिटेक्ट, डिलीट एंड डिपोर्ट' नीति का जिक्र किया और विपक्ष पर 'घुसपैठियों को राजनीतिक संरक्षण' देने का आरोप लगाया।  
दरअसल, उन्होंने यह बयान चुनाव आयोग की स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) के बचाव में दिया। सरकार और चुनाव आयोग ने पहले कहा था कि बिहार में घुसपैठिए के नाम हटाए जाएंगे। यही बात सीईसी ज्ञानेश कुमार ने अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस में दोहराई लेकिन अगली प्रेस कॉन्फ्रेंस में मांगने के बावजूद आंकड़े पेश नहीं किए। 

जुबैर ने पुरानी जनगणना रिपोर्ट्स और NFHS (नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे) डेटा के हवाले से अमित शाह को जवाब दिया था। सरकारी डेटा बता रहा है कि मुस्लिम ज्यादा बच्चे पैदा नहीं कर रहे हैं, उनकी प्रजनन दर में गिरावट आई है (2019-21 NFHS: मुस्लिम TFR 2.36, हिंदू 1.94)। इस तरह कथित घुसपैठ का प्रभाव सीमित क्षेत्रों तक है, पूरे देश पर नहीं। इसलिए अमित शाह का आंकड़ा गलत हो गया। बहरहाल, इसका नतीजा यह निकला कि जुबैर के ट्वीट को हजारों रीट्वीट मिले। सरकार इस बात से परेशान हुई। जुबैर के ट्वीट से अमित शाह का ट्वीट वायरल हुआ। फिर देर रात अमित शाह का ट्वीट हटा लिया गया लेकिन लोगों ने सोशल मीडिया पर उसका स्क्रीन शॉट डाल दिया था।

इस पर सोशल मीडिया पर काफी प्रतिक्रिया हो रही है। कुछ लोगों के ट्वीट पढ़ने लायक हैं। जिसमें कांग्रेस नेता रागिनी नायक का ट्वीट खास है।

बिहार चुनाव और अमित शाह का बयान 

पिछले दिनों झारखंड विधानसभा चुनाव में भी घुसपैठिए को मुद्दा बनाने की कोशिश की गई थी। पीएम मोदी से लेकर छुटभैया ऐसे बयान दे रहे थे जैसे झारखंड आतंकियों का अड्डा हो। लेकिन इसके बावजूद बीजेपी को धूल चटाते हुए झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) ने जीत दर्ज की। अब बिहार चुनाव आ गया तो यहां भी बीजेपी ने घुसपैठिए वाला राग अलापना शुरू कर दिया। गृह मंत्री अमित शाह का भाषण चुनाव की घोषणा के बाद शुक्रवार को आया। उन्होंने मुस्लिमों की जनसंख्या वृद्धि का कारण 'अवैध घुसपैठ' बताया। बहुत जल्द ही 1951-2025 के दौरान भारत में मुस्लिम जनसंख्या वृद्धि और हिंदू जनसंख्या में कमी पर कई समाचार रिपोर्ट और ट्वीट देखने को मिलेंगे। उनके इस भाषण का इस्तेमाल अब गोदी चैनल/एंकर और भाजपा आईटी सेल मुस्लिम समुदाय को निशाना बनाने के लिए करेंगे।