अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय यानी एएमयू को अल्पसंख्यक दर्जा है या नहीं, इस पर सुप्रीम कोर्ट ने अपना फ़ैसला सुरक्षित रख लिया है। अदालत की 7 न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने गुरुवार को आख़िरी दिन सुनवाई की। यह विचार किया जा रहा था कि क्या 1981 के संशोधित अधिनियम ने एएमयू की स्थिति को 1951 से पहले की तरह बहाल कर दिया है या नहीं। क्या संशोधन 'आधे-अधूरे मन से' किया गया था? सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान टिप्पणी की कि अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय अधिनियम में 1981 के संशोधन ने विश्वविद्यालय को संपूर्ण अल्पसंख्यक चरित्र नहीं दे पाया। इसने कहा है कि अधिनियम में 1951 के संशोधन से आगे नहीं बढ़ा गया, जिसने एएमयू में मुस्लिम समुदाय की भूमिका को कम कर दिया था।
एएमयू को पूर्ण अल्पसंख्यक दर्जा नहीं दे पाया था 1981 का संशोधन: SC
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- 2 Feb, 2024
सुप्रीम कोर्ट ने अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के अल्पसंख्यक दर्जे को लेकर सुनवाई के आख़िरी दिन क्या कहा।

लाइव लॉ की रिपोर्ट के अनुसार भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने सुनवाई के दौरान कहा कि 1981 का संशोधित अधिनियम कुछ कॉस्मेटिक बदलावों के अलावा एएमयू में मुस्लिम आवाज को वापस लाने का प्रयास करता है, लेकिन संशोधन एएमयू की स्थिति को 1920 में मूल अधिनियम के अनुरूप बहाल नहीं करता है। उन्होंने कहा कि इसमें लाए गए बदलाव आधे-अधूरे मन से किया गया काम लगा।