बिहार में एसआईआर विवाद के बीच कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने आज चुनाव आयोग पर धांधली करने का आरोप लगाया है। लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल ने दावा किया कि उनके पास कर्नाटक की एक लोकसभा सीट पर चुनाव आयोग द्वारा वोटर लिस्ट में धांधली कराए जाने के '100% पुख्ता सबूत' हैं। राहुल ने चुनाव आयोग को चेतावनी दी कि यदि आयोग या इसके अधिकारी सोचते हैं कि वे इस धांधली से बच निकलेंगे, तो वे गलत हैं। उन्होंने कहा, 'हम आपके पीछे पड़ेंगे, और आप इससे बच नहीं पाएंगे।' यह बयान संसद भवन परिसर में पत्रकारों से बातचीत के दौरान दिया गया, जब लोकसभा की कार्यवाही स्थगित होने के बाद राहुल ने यह मुद्दा उठाया।

राहुल गांधी ने आरोप लगाया कि कर्नाटक की एक लोकसभा सीट पर चुनाव आयोग ने वोटर लिस्ट में बड़े पैमाने पर हेरफेर किया। उनके दावे के मुताबिक एक ही सीट पर हजारों नए वोटर जोड़े गए, जिनकी उम्र 45, 50, 60 और 65 साल है। राहुल ने सवाल उठाया कि इतनी बड़ी संख्या में नए वोटर, जो 18 साल से बहुत ज्यादा उम्र के हैं, अचानक कहां से आ गए? कांग्रेस नेता ने कहा है कि 18 साल से ऊपर के योग्य वोटरों के नाम वोटर लिस्ट से हटाए गए। राहुल ने इसे 'वोट चोरी' का तरीका बताया।
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बिहार में SIR पर सवाल

राहुल ने बिहार में चल रहे विशेष मतदाता सूची पुनरीक्षण यानी एसआईआर पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि यह प्रक्रिया वोटरों, खासकर हाशिए पर रहने वाले समुदायों, को वोट देने से रोकने की साजिश है। बिहार में घर-घर जांच के दौरान 52 लाख से ज्यादा वोटर अपने पते पर नहीं मिले, जिसे विपक्ष ने धांधली का सबूत बताया।

राहुल ने कहा, 'हमने सिर्फ एक सीट की जांच की और हमें यह धांधली मिली। मुझे पूरा यकीन है कि हर सीट पर यही खेल चल रहा है।' उन्होंने यह भी दावा किया कि उनकी पार्टी के पास इस 'वोट चोरी' का पूरा सबूत है, जिसे वे सही समय पर जनता और चुनाव आयोग के सामने रखेंगे। राहुल ने कहा, 
चुनाव आयोग भारत के चुनाव आयोग की तरह काम नहीं कर रहा। यह एक गंभीर मामला है। आयोग अपना काम नहीं कर रहा। आयोग निष्पक्ष और संवैधानिक संस्था की तरह व्यवहार नहीं कर रहा।
राहुल गांधी
लोकसभा में विपक्ष के नेता

विपक्ष का विरोध और प्रदर्शन

कांग्रेस, समाजवादी पार्टी और डीएमके जैसे विपक्षी दलों ने इस मुद्दे पर संसद के दोनों सदनों में जोरदार विरोध किया। राहुल गांधी, समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव और डीएमके सांसद टीआर बालू ने संसद परिसर में प्रदर्शन किया। उन्होंने 'एसआईआर लोकतंत्र की हत्या है' और 'न्याय, न्याय, न्याय' जैसे नारे लगाए। विपक्ष का कहना है कि बिहार में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले एसआईआर प्रक्रिया के ज़रिए वोटरों के नाम हटाए जा रहे हैं, ताकि विपक्ष के समर्थकों को वोट देने से रोका जा सके।

चुनाव आयोग का जवाब

चुनाव आयोग ने राहुल के आरोपों का जवाब देते हुए कहा कि एसआईआर प्रक्रिया पूरी तरह पारदर्शी है और इसका मकसद मतदाता सूची को ठीक करना है। आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में एक हलफनामा दायर कर कहा कि वह मतदाता सूची में गलत नामों को हटाने और नागरिकता की जाँच करने का अधिकार रखता है। आयोग ने कहा, 'क्या पारदर्शी तरीके से तैयार की गई वोटर लिस्ट स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव की नींव नहीं है? सभी को अपनी राजनीतिक विचारधारा से ऊपर उठकर इस पर सोचना चाहिए।'

चुनाव आयोग ने यह भी कहा कि मृतकों या स्थायी रूप से पलायन कर चुके लोगों के नाम वोटर लिस्ट में नहीं रहने चाहिए। लेकिन विपक्ष का कहना है कि इस प्रक्रिया में उन लोगों के नाम भी हटाए जा रहे हैं, जो वोट देने के हकदार हैं।

विपक्ष की मांगें

राहुल गांधी और विपक्षी दलों ने मांग की है कि चुनाव आयोग 2024 के लोकसभा और विधानसभा चुनावों की डिजिटल वोटर लिस्ट सार्वजनिक करे, ताकि उनकी तुलना की जा सके। उन्होंने बिहार और महाराष्ट्र के मतदान केंद्रों के सीसीटीवी फुटेज भी मांगे हैं, खासकर मतदान के दिन शाम 5 बजे के बाद की रिकॉर्डिंग। विपक्ष ने बिहार में एसआईआर प्रक्रिया पर चर्चा के लिए संसद में बहस की मांग की है।

बीजेपी का पलटवार

बीजेपी के आईटी सेल प्रमुख अमित मालवीय ने राहुल गांधी और राजद नेता तेजस्वी यादव पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि एसआईआर प्रक्रिया पूरी तरह पारदर्शी है और बिहार के मतदाताओं ने विपक्ष के इस विरोध को नकार दिया है। मालवीय ने कहा, 'बिहार में 98% से ज़्यादा वोटर लिस्ट का काम पूरा हो चुका है और एक भी वोटर ने विपक्ष के बहिष्कार का समर्थन नहीं किया।' महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने भी राहुल के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि कांग्रेस हार का बहाना ढूंढ रही है। उन्होंने कहा, 'कांग्रेस को अपनी रणनीति पर ध्यान देना चाहिए, ताकि वे समझ सकें कि वे बार-बार चुनाव क्यों हार रहे हैं।'
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पहले भी उठ चुके हैं सवाल

राहुल गांधी ने इससे पहले भी महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2024 में धांधली के आरोप लगाए थे। उन्होंने दावा किया था कि 2024 के लोकसभा और विधानसभा चुनाव के बीच पांच महीनों में महाराष्ट्र में 39 लाख नए वोटर जोड़े गए, जो 2019 से 2024 के बीच जोड़े गए 32 लाख वोटरों से ज्यादा है। उन्होंने इसे 'वोट चोरी' का सबूत बताया। हालाँकि, 2009 और 2014 के आंकड़ों से पता चलता है कि चुनावी सालों में वोटरों की संख्या में बढ़ोतरी सामान्य है।

राहुल ने यह भी आरोप लगाया था कि महाराष्ट्र में मतदान के दिन शाम 5 बजे तक 58.22% मतदान दर्ज हुआ, जो अगली सुबह 66.05% हो गया। इस 7.83% की बढ़ोतरी को उन्होंने संदिग्ध बताया और इसके लिए सीसीटीवी फुटेज मांगे। लेकिन आयोग ने गोपनीयता और कानूनी कारणों का हवाला देते हुए फुटेज देने से इनकार कर दिया।

क्या है विवाद की जड़?

विपक्ष का कहना है कि चुनाव आयोग की एसआईआर प्रक्रिया का इस्तेमाल भाजपा के पक्ष में वोटर लिस्ट को बदलने के लिए किया जा रहा है। उनका दावा है कि:
  • दलित और अल्पसंख्यक जैसे हाशिए पर रहने वाले समुदायों के वोटरों के नाम जानबूझकर हटाए जा रहे हैं।
  • नए वोटरों को जोड़कर और मतदान प्रतिशत को बढ़ाकर चुनाव परिणामों को प्रभावित किया जा रहा है।
  • आयोग पारदर्शिता नहीं बरत रहा और विपक्ष की मांगों को अनदेखा कर रहा है।
वहीं, आयोग का कहना है कि वह सिर्फ मतदाता सूची को साफ करने का काम कर रहा है, ताकि फर्जी वोटरों को हटाया जा सके।
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'वोट चोरी के सबूत आयोग के सामने रखेंगे'

राहुल गांधी ने कहा कि उनकी पार्टी जल्द ही वोट चोरी के सबूत जनता और आयोग के सामने रखेगी। उन्होंने यह भी संकेत दिया कि अगर आयोग पारदर्शिता नहीं दिखाता, तो विपक्ष बिहार विधानसभा चुनाव के बहिष्कार पर विचार कर सकता है। राजद नेता तेजस्वी यादव ने भी इस संभावना का ज़िक्र किया है। चुनाव आयोग ने कहा कि वह सभी मान्यता प्राप्त दलों को मतदाता सूची की प्रतियाँ उपलब्ध कराता है और प्रक्रिया में कोई गड़बड़ी नहीं है। लेकिन विपक्ष के लगातार हमलों और सबूतों की मांग ने इस विवाद को और गहरा कर दिया है।

राहुल गांधी के आरोपों ने भारत के चुनावी तंत्र पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं। अगर उनके दावे सही हैं, तो यह लोकतंत्र के लिए बड़ा खतरा है। लेकिन बिना ठोस सबूतों के ये आरोप सिर्फ राजनीतिक बयानबाजी माने जा सकते हैं। दूसरी ओर, चुनाव आयोग को भी पारदर्शिता के साथ इन सवालों का जवाब देना होगा, ताकि जनता का भरोसा बना रहे। इस मामले का नतीजा क्या होगा, यह आने वाले दिनों में साफ होगा, जब राहुल अपने सबूत पेश करेंगे।