हिंदुस्तान की किसान राजनीति का बड़ा केंद्र हैं दिल्ली के आस-पास लगने वाले राज्य और इलाक़े। इनमें पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और पश्चिमी उत्तर प्रदेश शामिल हैं। क्योंकि यहां बड़ी संख्या में किसान हैं, खेती होती है तो किसानों के मसले भी होते हैं। इन्हें उठाने के लिए किसान नेताओं की भी ज़रूरत हुई और इन राज्यों से कई किसान नेता सियासत की बुलंदियों तक पहुंचे।
किसान आंदोलन: बीजेपी मुश्किल में, सियासी नुक़सान का डर
- देश
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- 1 Dec, 2020
इन इलाक़ों के किसान ताक़तवर हैं, इसलिए अपने हक़ की आवाज़ को जोरदार ढंग से उठाते हैं। दिल्ली और इनके सूबों की हुक़ूमत में बैठी सियासी पार्टियां भी इसे जानती हैं।

चौधरी चरण सिंह ऐसे ही किसान नेता थे जो पश्चिमी उत्तर प्रदेश के एक गांव से निकलकर मुल्क़ के प्रधानमंत्री के ओहदे तक पहुंचे। इसके अलावा कांग्रेस, बीजेपी और दीगर सियासी दलों से जुड़े नेता भी ख़ुद को किसान नेता कहलाने में गर्व महसूस करते हैं।
इन इलाक़ों के किसान ताक़तवर हैं, इसलिए अपने हक़ की आवाज़ को जोरदार ढंग से उठाते हैं। दिल्ली और इनके सूबों की हुक़ूमत में बैठी सियासी पार्टियां भी इसे जानती हैं। इन इलाक़ों में हुए जबरदस्त औद्योगिक विकास के कारण इन किसानों की माली हालत भी मजबूत है।