कर्नाटक और तमिलनाडु में राजनीतिक दलों का तर्क यह है कि 2018 के सुप्रीम कोर्ट के आदेश में केवल सामान्य मानसून वर्ष के लिए जल-बंटवारे के मानदंडों को बताया गया है न कि संकट वाले वर्ष के लिए। जैसा अभी कम बारिश की वजह से हो रहा है। इस बार सामान्य से 30 फीसदी कम बारिश हुई है।