क्या केंद्र की मोदी सरकार और तमाम राज्य सरकारें सुप्रीम कोर्ट को कोई महत्व नहीं देती है? क्या उनके लिए सुप्रीम कोर्ट और उसके आदेशों का कोई अर्थ नहीं रह गया है? क्या सुप्रीम कोर्ट के आदेश अब सिर्फ़ काग़ज़ों तक सिमट कर जाएँगे? ये सवाल इसलिए उठते हैं कि बीते दिनों सर्वोच्च अदालत ने एक आदेश जारी कर पूछा है कि उसने मॉब लिन्चिंग रोकने के लिए जो आदेश जारी किए थे, उसे कितना लागू किया गया है।